वन्य जीव एवं जैव विविधता

जलवायु परिवर्तन से अल्पाइन तितलियों की प्रजातियों को हो सकता है नुकसान

Dayanidhi

जलवायु परिवर्तन से पारिस्थितिक तंत्र में रहने वाले जीवों पर बुरा असर पड़ रहा है। इससे कुछ प्रजातियों के अस्तित्व पर संकट बढ़ रहा है। इन्हीं में से एक पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाली तितली भी हैं। ग्लोबल चेंज बायोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है। 

कनाडा की अल्बर्टा विश्वविद्यालय के नए शोध के अनुसार, कुछ पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाली (अल्पाइन) तितलियों को उनके पारिस्थितिक तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण खतरा हो सकता है। प्रमुख-अध्ययनकर्ता एलेसेंड्रो फिलजोला ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में या तो बहुत गर्मी बढ़ेगी, बहुत सूखा पड़ेगा या बहुत बारिश हो सकती है।

हालांकि, जीवों पर जलवायु परिवर्तन का अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है जैसे किसी प्रजाति के खाद्य संसाधनों का कम या न होना। इन प्रभावों से तितलियों के अधिक प्रभावित होने की आशंका है, क्योंकि कैटरपिलर के रूप में वे अक्सर एक या कुछ पौधों की प्रजातियों से अपना भोजन प्राप्त करती हैं। 

शोधकर्ताओं ने ऊंचे क्षेत्रों में रहने वाली (अल्पाइन) तितलियों की प्रजातियों पर, बदलते पारिस्थितिकी प्रणालियों के प्रभावों को समझने के लिए जलवायु परिवर्तन मॉडल का उपयोग किया।

परिणामों से पता चला कि ये तितलियां विशेष तरह का आहार करती हैं, जिसका अर्थ है कि वे सिर्फ एक या कुछ पौधों की प्रजातियों से ही अपना भोजन प्राप्त करते हैं। इनके भोजन में उतार-चढ़ाव के कारण ये जलवायु परिवर्तन के लिए अधिक संवेदनशील होती हैं। दूसरी ओर, विविध आहारों वाली तितलियों के प्रभावित होने की आशंका कम होती है।

फिलजोला ने कहा कि इस अध्ययन के मुख्य परिणाम पारिस्थितिकी तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की मात्रा निर्धारित करने का बेहतर तरीका बतलाते हैं। 

उनके खाद्य पदार्थों के माध्यम से प्रजातियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझना जैविक संरक्षण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। एकल-प्रजातियों पर जलवायु परिवर्तन के जटिल प्रभाव पड़ने की अधिक आशंका है।

इस अध्ययन में उपयोग किए जाने वाले मॉडल यह समझने के लिए अधिक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करते हैं कि बदलती जलवायु पूरे पारिस्थितिक तंत्र को किस तरह प्रभावित कर सकती है।

फिलजोला ने कहा पारिस्थितिक तंत्र के स्तर को देखने वाले दृष्टिकोण का उपयोग करने से जैव विविधता के नुकसान को कम करने और परागण के रूप में पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बनाए रखने की हमारी क्षमता में सुधार होगा।