मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में एक साल से ज्यादा समय से मौजूद दो दक्षिणी अफ्रीकी चीतों अग्नि और वायु को अगले दो हफ्तों में यानी अक्तूबर के अंत तक विचरण के लिए जंगल में छोड़ा जाएगा। हालांकि, उन्हें अभी एक सुरक्षित बाड़े में ही रखा जाएगा।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के वरिष्ठ अधिकारियों ने 14 अक्तूबर, 2024 को एक अनौपचारिक प्रेस वार्ता के दौरान डाउन टू अर्थ से कहा कि चीतों को चरणबद्ध तरीके से छोड़ने की योजना बनाई गई है। इसके अलावा केन्या और दक्षिण अफ्रीका से चीतों के तीसरे बैच को लाने की योजना पर भी बातचीत चल रही है।
एनटीसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा चीता संचालन समिति की सिफारिश के बाद ही अग्नि और वायु को छोड़े जाने की योजना बनाई गई है। वहीं, कुनो के बाद चीतों के लिए दूसरा पर्यावास गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य होगा। इस अभ्यारण्य में सभी जरूरी तैयारी पूरी कर ली गई है। 368 वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) में फैला हुआ यह वन्यजीव अभयारण्य मध्य प्रदेश में मंदसौर और नीमच जिलों की उत्तरी सीमा पर स्थित है।
जुलाई 2024 में डाउन टू अर्थ ने बताया था कि कुनो नेशनल पार्क में चीतों को रखने की क्षमता पूरी हो चुकी है और 'अतिरिक्त चीतों' को गांधी सागर के बाड़े वाले आवासों में स्थानांतरित किया जाएगा।
सितंबर 2022 और फरवरी 2023 के बीच नामीबिया और दक्षिण अफ़्रीका से कुल 20 चीते भारत लाए गए। हालांकि, उन्होंने खुले में घूमने के लिए सिर्फ कुछ महीने ही बिताए हैं, और ज्यादातर समय वे सॉफ्ट-रिलीज बाड़ों तक ही सीमित रहे हैं।
इस बीच स्वतंत्र परिस्थितियों में रहने वाले एकमात्र चीतों में से एक - पवन नामक नामीबियाई नर चीते की सितंबर 2024 में मौत हो गई थी। प्राथमिक रिपोर्ट में यह बताया गया था कि इसकी मौत डूब कर हुई है। हालांकि, अंतिम रिपोर्ट आनी बाकी है।
अधिकारियों ने डाउन टू अर्थ से कहा कि पवन चीते की मौत को लेकर अभी तक फोरेंसिक रिपोर्ट नहीं आ सकी है।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि चीतों के जो बच्चे हैं उनमें सर्वाइव करने के लिए ज्यादा बेहतर इम्यूनिटी देखी जा रही है।
मध्य प्रदेश वन विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2023 से अब तक केवल पवन और दक्षिण अफ्रीकी मादा चीता वीरा को ही स्वतंत्र परिस्थितियों में छोड़ा गया है। वर्तमान में, कुनो नेशनल पार्क में 11 वयस्क चीते और एक दर्जन शावक बाड़ों में रह गए हैं, जबकि वीरा का जंगल में विचरण जारी है।
प्रोजेक्ट टाइगर के लिए वन के अतिरिक्त महानिदेशक और एनटीसीए के सदस्य सचिव गोबिंद सागर भारद्वाज ने कहा कि चीतों के आहार के लिए उनके शिकारों की संख्या अभ्यारण्य में बढाई जा चुकी है। वहीं, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से भी यह आश्वासन दिया गया है कि मानसून का सीजन लगभग खत्म हो चुका है इसलिए चीतों को अब छोड़ना सुरक्षित है।
दक्षिण अफ्रीका के दो नर चीते - तेजस और सूरज - और नामीबिया की एक मादा - धात्री - अगस्त और सितंबर 2023 में टिक संक्रमण के कारण मर गए, जिससे मानसून के मौसम में सेप्टीसीमिया हो गया। इसके कारण अधिकारियों ने शेष चीतों को बाड़ों में बंद कर दिया।