वन्य जीव एवं जैव विविधता

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भारत में घूमने लगे चीते

Shuchita Jha

अपने 72वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से लाए गए चीतों को कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में छोड़ा। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कदम से देश की चेतना जागृत हुई है।

लेकिन उन्होंने कहा कि वन्यजीवों के प्रति उत्साही लोगों को अभी कुछ महीनों तक इन चीतों को देखने के लिए इंतजार करना होगा। चीतों को नए वातावरण के अनुकूल होने के लिए कुछ समय देना होगा।

कुनो नेशनल पार्क में सुबह 11:30 बजे बने 500 हेक्टेयर के घेरे में आठ में से दो चीतों को छोड़ने के बाद ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा, "चीता मेहमान के रूप में आए हैं और हमें उन्हें भारत को अपना नया घर बनाने के लिए कुछ समय देना होगा।"

इन चीतों को भारत भेजने के लिए नामीबिया को धन्यवाद देते हुए कहा, "हमारे वैज्ञानिकों ने व्यापक शोध किया, दक्षिण अफ्रीकी और नामीबिया के विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम किया और एक चीता कार्य योजना बनाई गई, अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, भारत इन चीतों को फिर से बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना चाहिए।"

उन्होंने कहा, "मुझे यकीन है कि ये चीते हमें न केवल प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से अवगत कराएंगे, बल्कि हमें हमारे मानवीय मूल्यों और परंपराओं से भी अवगत कराएंगे।"

नामीबिया की राजधानी विंडहोक के होसे कुटाको अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से चीतों को एक अनुकूलित बोइंग 747 में भारत लाया गया था। पहले विमान को जयपुर में उतरना था, लेकिन इसे बदलकर ग्वालियर कर दिया गया, जो श्योपुर से लगभग 200 किमी दूर है।

कुनो नेशनल पार्क अब तीन नर और पांच मादा अफ्रीकी चीतों का घर है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय अगले 15 वर्षों में देश में चीतों की मेटापॉपुलेशन स्थापित करना चाहता है।

इसके लिए इन आठ चीतों का भारत में नए वातावरण के अनुकूल होना जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पांच में से एक या दो मादा भी अगले पांच महीने या एक साल के दौरान शावकों को जन्म दे देती हैं तो इसका मतलब यह होगा कि ये चीते अच्छी तरह से घर बसा रहे हैं और वे कुनो नेशनल पार्क के अनुकूल हो गए हैं।

भारत का लक्ष्य अगले 10 वर्षों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 50 से 60 चीतों को लाना है। धीरे-धीरे जैसे-जैसे चीते प्रजनन करना शुरू करेंगे, नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य जैसे अन्य संरक्षित क्षेत्रों में भी इसी तरह के चीतों के रहने की व्यवस्था करेंगे। 

कुनो नेशनल पार्क में 500 हेक्टेयर के घेरे के अंदर चीतों के लिए शिकार का इंतजाम किया गया है। यहां राज्य के पेंच और नरसिंहगढ़ वन्यजीव अभयारण्यों से 238 चीतल या चित्तीदार हिरण लाए गए हैं और लगभग 300 और हिरणों को लाने की योजना बनाई जा रही हैं।

मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन वन संरक्षक जेएस चौहान ने कहा, "कुनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए पर्याप्त शिकार हैं, इसलिए हमारे पास यह विकल्प था कि हम कुनो से ही चीतल को पकड़ कर चीतों के बाड़े में छोड़ दें या फिर दूसरा विकल्प था कि भविष्य में जब चीतों को जंगल में छोड़ा जाएगा, तब के लिए चीतल जैसे शिकारों को बाहर ही रखा जाए। हमने बाद में फैसला किया और अभी के लिए राज्य के दूसरे अभयारण्यों से जानवरों को लाया जाए। ”

अगले कुछ हफ्तों तक चीतों की बारीकी से निगरानी की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे नए वातावरण के लिए अच्छी तरह से अभ्यस्त हो रहे हैं। इसके बाद उन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा, परंतु निगरानी रखी जएगी। नर चीता को एक से दो महीने की अवधि के बाद छोड़ दिया जाएगा, और एक बार जब वे जंगलों में जीवित रहने के सकारात्मक लक्षण दिखाते हैं, तो मादाओं को छोड़ दिया जाएगा।

सभी चीतों के पास जीपीएस कॉलर हैं, जो कुनो नेशनल पार्क के कर्मचारियों को हर समय उन पर नजर रखने में मदद करते हैं और अगर वे बाहर गांवों में पहुंच जाएंगे तो उन्हें फिर से संरक्षित क्षेत्र में लाया जाएगा।