वन्य जीव एवं जैव विविधता

जीव आधारित परागणकों पर निर्भर हैं 90 फीसदी फूलों वाले पौधों की प्रजातियां

अध्ययन के मुताबिक, 64 से 68 फीसदी परिवार, 88 फीसदी जाति और फूलों के पौधों की 90 फीसदी प्रजातियां जीवों के परागण पर निर्भर पाई गई

Dayanidhi

फूल वाले पौधों के परागकण जीवों, हवा या पानी के द्वारा भी फैल सकते हैं। परागण के तरीकों का आकलन करने में, एक बुनियादी सवाल यह है कि जीवों के द्वारा कितने फूल वाले पौधों को परागित किया जाता है। हालांकि यह प्रश्न पहले भी उठाया जा चुका है, जिसका सटीक जवाब अभी तक नहीं मिला है।

जीवों के द्वारा परागित की जाने वाली प्रजातियों के अनुपात के शुरुआती अनुमान स्प्षट नहीं थे, जो दो तिहाई से 80 फीसदी तक अलग-अलग थे। नवीनतम और व्यापक रूप से स्वीकृत जवाब 87.5 फीसदी था, जिसे 2011 में प्रस्तावित किया गया था।

यह लगभग 40 समुदायों से जीवों द्वारा परागित की जाने वाली प्रजातियों के औसत अनुपात पर आधारित था, जिसमें संपूर्ण रूप से वर्गीकरण का मिलान करने के बजाय फूलों के पौधों की एक फीसदी से अधिक प्रजातियों का नमूना शामिल नहीं था।

नेशनल साइंस रिव्यू जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में इस मुद्दे का समाधान करने की कोशिश की गई है। इस अध्ययन की अगुवाई सेंट्रल चाइना नॉर्मल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के इंस्टीट्यूट ऑफ इवोल्यूशन एंड इकोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर शुआंग-क्वान हुआंग ने किया था। अध्ययन में कहा गया है कि, प्रोफेसर हुआंग दशकों से परागण जीव विज्ञान पर काम कर रहे हैं।

प्रोफेसर हुआंग की टीम के सामने एक और मुद्दा यह था कि कुछ वर्गीकृत परागण तरीकों की सही पहचान नहीं की गई थी या उन्हें गलत समझा गया था, जिससे वास्तव में जीवों द्वारा परागित किए जाने वाले पौधों के संरक्षण में समस्याएं पैदा हुईं, साथ ही परागण तरीकों का मिलान भी हुआ। उदाहरण के लिए, टेट्रासेंट्रोन साइनेंस (ट्रोकोडेंड्रेसी), जो मध्य चीन का एक स्थानीय पेड़ है, इसमें हरे पेंडुलस पुष्पक्रम होते हैं और इसे हवा के द्वारा परागित माना जाता था।

हालांकि, टीम ने क्षेत्र में देखा कि छोटे रस युक्त फूलों को छोटी मधुमक्खियों द्वारा प्रभावी ढंग से परागित किया गया था। अध्ययन के हवाले से प्रोफेसर हुआंग कहते हैं कि, यह देखते हुए कि डार्विन के युग के बाद से दस हजार से अधिक फूलों की प्रजातियों में परागण के तरीके दर्ज किए गए हैं, अब समय आ गया है कि हम आंकड़ों की गिनती के माध्यम से अनुपात का अधिक सटीक अनुमान दें।

सह-अध्ययनकर्ता जिन्होंने हजारों प्रकाशनों से परागण के तरीकों के आंकड़ों का सर्वेक्षण किया और अजैविक रूप से परागित मामलों के साथ-साथ एम्बोफिलस या परागण के लिए जैविक और अजैविक दोनों एजेंटों का उपयोग करके इसे निकाला।

फिर उन्होंने प्रजातियों, वंश और परिवार के स्तर पर दो वैश्विक विशाल-डेटाबेस (जीबीआईएफ, वर्ल्ड फ्लोरा ऑनलाइन ((डब्ल्यूएफओ)) के संदर्भ में इन आंकड़ों का मूल्यांकन किया, जिसे सभी एंजियोस्पर्मों में जैविक परागण के अनुपात का प्रत्यक्ष अनुमान घटाकर हासिल किया गया।

टीम ने पाया कि 64 से 68 फीसदी परिवार, 88 फीसदी जाति और फूलों के पौधों की 90 फीसदी प्रजातियां पशु परागण पर निर्भर पाई गई। प्रोफेसर हुआंग कहते हैं, इस वैश्विक सर्वेक्षण ने निश्चित रूप से हमारी धरती पर फूल-पौधों के प्रजनन में परागणकों के महत्व का एक नया दृष्टिकोण और अपेक्षाकृत सटीक अनुमान प्रदान किया है।

शोधकर्ताओं ने सामुदायिक नमूने के आधार पर नवीनतम और सबसे व्यापक रूप से अपनाए गए पिछले अनुमान की भी फिर से गणना की। नमूना आकार में अंतर जो कि पहले नहीं किया गया था, को सही करने के बाद, 87.5 फीसदी का मूल अनुमान 89.5 फीसदी में बदल गया।

अध्ययन में कहा गया है कि, सामुदायिक डेटासेट की पुनर्गणना प्रत्यक्ष-मिलान और घटाने के दृष्टिकोण से अच्छी तरह मेल खाती है, यह एक संयोग नहीं हो सकता है।

फूलों के पौधों की कितनी प्रजातियां जीवों के द्वारा परागणित हैं, इस मूलभूत प्रश्न का उत्तर देना, प्राकृतिक और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र दोनों में परागण संरक्षण और प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।

पशु परागण पर निर्भर 90 फीसदी फूल वाले पौधों की प्रजातियों की नई गणना, पृथ्वी पर पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य में परागणकों द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका को बेहतर ढंग से समझने का मार्ग प्रशस्त करेगी, जबकि दुनिया भर में परागणकों में गिरावट देखी जा रही है।