वन्य जीव एवं जैव विविधता

पहाड़ों पर रह रही हैं 85 फीसदी जीव प्रजातियां

Dayanidhi

पृथ्वी पर अलग-अलग तरह के जीव रहते हैं, जो जैव विविधता के अद्भुत भौगोलिक पैटर्न को प्रदर्शित करते हैं। पर्वतीय क्षेत्र, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय इलाकों में निराली और चौंका देने वाली विविधता आकर्षण के केंद्र होते हैं।  हालांकि, पर्वतीय क्षेत्र पृथ्वी के केवल 25 फीसदी भू-भाग को ही कवर करते हैं। पर्वत दुनिया की उभयचरों, पक्षियों और स्तनधारियों की 85 फीसदी  से अधिक प्रजातियों का घर हैं, और इनमें से कई प्रजातियां केवल पहाड़ों में ही पाई जाती हैं। पहाड़ों पर पाई जाने वाली उच्चस्तरीय जैव विविधता परिकल्पनाओं से भी बाहर है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।

साइंस पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर कार्स्टन राहबेक कहते हैं कि पहाड़ों पर बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती हैं, और हम इन सभी जैव विविधता के वैश्विक हॉटस्पॉट के बारे में जानने और इन्हें स्पष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।

पहाड़ों में इतनी जैव विविधता क्यों हैं, इस सवाल का हल ढूंढ़ने के लिए कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के ग्लोब इंस्टीट्यूट में सेंटर फॉर मैक्रोइकोलॉजी, इवोल्यूशन एंड क्लाइमेट (सीएमईसी) के वैज्ञानिकों ने मैक्रोकोलॉजी, विकासवादी जीव विज्ञान, पृथ्वी विज्ञान और भूविज्ञान को समझकर उनके असमान क्षेत्रों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है।

अध्ययन से पता चला कि विषम उष्णकटिबंधीय पर्वतीय क्षेत्रों की जलवायु समीपवर्ती तराई क्षेत्रों की तुलना में काफी अलग और जटिल होती है। विशिष्ट रूप से विषम पर्वतीय जलवायु सबसे अधिक विविधता को उत्पन्न करने और बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

सह-अध्ययनकर्ता माइकल के. बोरेगार्ड कहते हैं कि लोग अक्सर पहाड़ की जलवायु को कठोर मानते हैं, लेकिन दुनिया में सबसे अधिक प्रजातियां पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं, उत्तरी एंडीज का उदाहरण लिया जाए तो इस छोटे से क्षेत्र में दुनिया की लगभग आधी जलवायु के प्रकार पाए जाते हैं। जो कि अमेजन से अधिक हैं, जबकि अमेजन इस क्षेत्र से 12 गुना अधिक बड़ा है।

पहाड़ की जलवायु की एक और अनूठी विशेषता बताते हुए माइकल कहते हैं कि उष्णकटिबंधीय पर्वत, उपजाऊ और गीली भूमध्यरेखीय तराई क्षेत्रों में स्थित हैं और ये आर्कटिक की तरह विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में फैले हुए हैं। कुछ पर्वतों मे पाई जाने वाली उच्च जैव विविधता का एक अन्य हिस्सा पहाड़ के निर्माण और भूगर्भीय गतिशीलता (जियोलाजिकल डायनामिक्स ) से जुड़ा हुआ है। भूमि के अंदर होने वाली प्रक्रियाएं, समयानुसार जटिल जलवायु परिवर्तनों के साथ परस्पर प्रभाव डालती हैं और विकास-क्रम को आगे बढ़ाती हैं। 

जैव विविधता के वैश्विक पैटर्न से पता चलता है कि पहाड़ों में प्राचीन प्रजातियां लगातार रहती आ रही हैं, पहाड़ों का वातावरण उन्हें जीवन जीने का मौका देते रहे हैं। तराई क्षेत्रों की तुलना में, यहां नई प्रजातियां बहुत अधिक तेजी से उत्पन्न हुई हैं। अध्ययन में कहा गया है कि पहाड़ की समृद्धि भूविज्ञान और जीव विज्ञान के बीच में निहित हो सकती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि उच्च विविधता अधिकांश उष्णकटिबंधीय पहाड़ों में भूविज्ञान से जुड़ी हुई है। विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों के साथ, जो कि प्राचीन समुद्री सतहों से जुड़ी है।