वन्य जीव एवं जैव विविधता

भारत में जल, जंगल, जमीन के लिए एक दशक में 79 पर्यावरण प्रहरियों की हुई हत्या

वहीं 2012 से 2021 के बीच दुनिया भर में 1,733 पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई थी, क्योंकि वो अपने पर्यावरण को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे

Lalit Maurya

कवासी वागा, दलजीत सिंह, गुरविंदर सिंह, लवप्रीत सिंह, मयनल हक, नक्षत्र सिंह, सद्दाम हुसैन, शेख फरीदी, स्टेन स्वामी, टी श्रीधर, उईका पांडु, उर्सा भीम, वेंकटेश एस और विपिन अग्रवाल। यह उन 14 भारतीय पर्यावरण रक्षक है जिनकी 2021 में इसलिए हत्या कर दी गई थी, क्योंकि वो जल, जमीन, जंगल और पर्यावरण को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

वहीं यदि पिछले एक दशक के आंकड़ों को देखें तो वैश्विक स्तर पर जल, जमीन, जंगल बचाने को लेकर जद्दोजहद कर रहे 1,733 पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई। मतलब की दुनिया के किसी न किसी हिस्से में हर दूसरे दिन एक पर्यावरण रक्षक की हत्या कर दी जाती है। यदि भारत की बात करें तो 2012 से 2021 के बीच देश में 79 पर्यावरण कार्यकर्ताओं की इसलिए हत्या कर दी गई थी, क्योंकि वो अपने पर्यावरण को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे

यह जानकारी ग्लोबल विटनेस नामक संस्था द्वारा कल जारी रिपोर्ट “डिकेड ऑफ डेफिएंस” में सामने आई है। रिपोर्ट ने यह भी माना है कि पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या के यह जो आंकड़े सामने आए हैं वो वास्तविकता का एक छोटा सा हिस्सा हैं क्योंकि न जाने कितने ऐसे मामले हैं जिनकी खबर भी नहीं मिल पाती और यह सारी दुनिया में हो रहा है।  

देखा जाए तो इन हत्याओं से परे, न जाने कितने ऐसे पर्यावरण रक्षक हैं जिन्हें अपना मुंह बंद रखने के लिए मारने की धमकी दी जाती है। न जाने कितनों को इसके चलते यौन हिंसा, और अन्य तरीकों से चुप कराने की कोशिश की जाती है। वहीं पता नहीं कितनों की तो अब भी निगरानी की जा रही है। दुर्भाग्य देखिए की इनमें से ज्यादातर मामले तो कभी सामने ही नहीं आते हैं। 

क्या सरकार और समाज की नहीं है इन पर्यावरण कार्यकर्ताओं को बचाने की जिम्मेवारी

अकेले 2021 में 200 पर्यावरण रक्षकों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें 14 भारतीय भी शामिल थे। रिपोर्ट से पता चला है कि ब्राजील पर्यावरण रक्षकों के लिए सबसे घातक जगह है, जबकि 2021 से जुड़े आंकड़ों को देखें तो पर्यावरण रक्षकों पर तीन-चौथाई से ज्यादा हमले लैटिन अमेरिकी देशों में दर्ज किए गए हैं।

रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले दस वर्षों में इनमें से करीब 68 फीसदी हत्याएं केवल दक्षिण अमेरिकी देशों में दर्ज की गई थी। आंकड़ें दर्शाते हैं कि मारे गए 1,733 रक्षकों में से करीब 11 फीसदी महिलाऐं और 39 फीसदी वहां के मूल निवासी थे। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है की जो देश ज्यादा भ्रष्टाचार में लिप्त हैं वहां ज्यादा कार्यकर्ताओं की हत्याएं हुई हैं। 

देखा जाए तो 2012 से 2021 के बीच सबसे ज्यादा पर्यावरण रक्षकों की हत्या ब्राजील में हुई हैं जहां इन 10 वर्षों में 342 ने अपनी जान गंवाई है, जबकि कोलंबिया में 322 और फिलीपीन्स में इस दौरान 270 पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई थी।

जल, जमीन, जंगल और पर्यावरण के लिए संघर्ष कर रहे ये रक्षक अपने लिए नहीं बल्कि समाज के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में इनको बचाना और संरक्षण देना न केवल समाज की जिम्मेवारी है बल्कि साथ ही सरकारों की भी इस दिशा में गंभीरता से विचार करने की जरूरत है कि आखिर प्रशासन की नाक के नीचे इन लोगों को कैसे निशाना बनाया जा रहा है।