वन्य जीव एवं जैव विविधता

विलुप्त मानी जा रही 32 मेंढक प्रजातियों का चला पता: शोध

शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि 32 हार्लेक्विन मेंढक की प्रजातियां, जिन्हें कभी विलुप्त माना जाता था, अभी भी जंगल में जीवित हैं।

Dayanidhi

एक रोग फैलाने वाला कवक (फंगस) लगभग चालीस वर्षों से दुनिया भर में उभयचरों (थल व जल दोनों में रहने वाले जीव) की आबादी को नष्ट कर रहा है और कई प्रजातियों को विलुप्ति की ओर धकेल रहा है। एक बार जब किसी प्रजाति को विलुप्त के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, तो उसके वापस आने की संभावना न के बराबर होती है।

यही कारण है कि शोधकर्ता एक वंश एटेलोपस या हार्लेक्विन मेंढक को फिर से देखकर दंग रह गए है। यह शोध मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के पारिस्थितिकीविदों और इक्वाडोर के सहयोगियों ने एक साथ मिलकर किया है।

टीम ने साहित्य की समीक्षा और फील्डवर्क के द्वारा दिखाया है कि 32 हार्लेक्विन मेंढक प्रजातियां, जिन्हें कभी विलुप्त माना जाता था, अभी भी जंगल में जीवित हैं।

नए अध्ययन के प्रमुख अध्ययनकर्ता काइल जेनेस ने कहा, मैं आपको यह नहीं बता सकता कि किसी ऐसी चीज को पकड़ना कितना खास है जिसे हमने कभी सोचा नहीं था कि हम फिर से उसे देखेंगे।  

टीम का काम इन मेंढकों के भविष्य और सामान्य रूप से जैव विविधता के लिए एक बहुत अच्छी तस्वीर पेश करता है। लेकिन शोधकर्ताओं को यह भी उम्मीद है कि यह फिर से खोजी गई प्रजातियों के संरक्षण के लिए तेजी से काम करेंगे, जो कि अभी भी गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं

कॉलेज ऑफ नेचुरल साइंस में सहायक प्रोफेसर सारा फिट्जपैट्रिक की प्रयोगशाला में काम करने वाले जेनेस ने कहा, हम चाहते हैं कि लोग इस बात की उम्मीद करें कि हम अभी भी जैव विविधता संकट की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। 

जेनेस ने कहा लेकिन पुनर्वितरण फिर से बहाली के बराबर नहीं है। उन्होंने कहा इन मेंढकों की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है और हम वहां नहीं हैं जहां हमें संरक्षण और सुरक्षा के मामले में होना चाहते हैं। हमें अभी भी बहुत कुछ सीखना है और बहुत कुछ करना है।

फिट्जपैट्रिक ने कहा यह अध्ययन कई अन्य प्रश्नों को उजागर करता है। उदाहरण के लिए, ये मेंढक अभी भी क्यों बने हुए हैं? हमने जो पाया वह इस बात की ओर इशारा करता है कि शायद इसका एक भी स्पष्टीकरण नहीं है। अब जब हमने इन मेंढकों का वर्णन किया है, तो हम उनकी बहाली कैसे सुनिश्चित करें?

टीम इक्वाडोर में स्थानीय समुदायों के साथ काम करती है, जिसमें स्वदेशी समुदाय भी शामिल हैं जो मेंढकों को उतना ही महत्व देते हैं जितना कि शोधकर्ता देते हैं।

फिट्जपैट्रिक ने कहा हम वास्तव में चाहते हैं कि लोग समझें कि हमारी साझेदारी कितनी महत्वपूर्ण है। हमें इस काम में हमारे इक्वाडोर के सहयोगियों द्वारा आमंत्रित किया गया था। वे दशकों से इन चुनौतियों पर अथक प्रयास कर रहे हैं। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो वे इस काम में लाते हैं जो इसे संभव बनाती हैं। यह अध्ययन बायोलॉजिकल कंजर्वेशन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।