ओडिशा के नयागढ़ जिले के 24 गांवों को वनाधिकार कानून 2006 और संशोधित नियम 2012 के तहत दो नवंबर, 2021 को कुछ वनों की देखरेख का अधिकार दिया गया है। इन अधिकारों में, 14 सामुदायिक अधिकार और बाकी सामुदायिक वन संसाधन अधिकार शामिल हैं।
वनाधिकार कानून 2006 और संशोधित नियम 2012 ग्राम सभाओं को उन वनों की सुरक्षा, पुनरुउत्पादन, सरंक्षण और उनके प्रबंधन का अधिकार देता है, जिनका वे पारंपरिक तौर पर स्थायी उपयोग करते आ रहे हैं।
संभवतः ऐसा देश में पहली बार हुआ है, जब किसी पारंपरिक प्रबंधन प्रणाली को इस तरह से मान्यता दी गई हो। इस फैसले की एक खास बात यह भी है कि इसमें जनजातियों के अलावा कई ऐसे गांवों को भी शामिल किया गया है, जिनमें पारंपरिक रूप से दूसरे लोग भी रहते हैं।
नयागढ़ जिले के जिला कल्याण अधिकारी दयानिधि नाइक के मुताबिक, ‘यह जिले में समुदाय के नेतृत्व वाली पारिस्थितिक बहाली, वन संरक्षण, वन-आधारित टिकाऊ आजीविका और जैव विविधता संरक्षण की मान्यता की दिशा में पहला कदम भी है।’
उन्होंने बताया कि जिले में पहले चरण में 14 अधिकार दिए गए हैं जबकि बाकी 61 सामुदायिक अधिकार और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दूसरे चरण में दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में बढ़ते साक्ष्य इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि उन वनों का संरक्षण और प्रबंधन बेहतर तरीके से होता है, जहां इसकी जिम्मेदारी स्थानीय समुदाय संभालते हैं, उन वनों की तुलना में जहां ये जिम्मेदारी किसी और को सौंपी गई हो।
जिन गांवों को वनों की देखरेख के अधिकार मिले हैं, उनमें सुरुकाबाड़ी, हातीबाड़ी, मुशाझारी, थानापालीपटना, डेराबज, कोडलपल्ली, सिंदुरिया, कोटापोखरी, अरखापल्ली, कुलासरा, केसियापल्ली, हरिपुर, शंखमुल, खत्रीहारपुर, वेरुपाड़ा, श्रीकृष्णपुर, गणबनिकिलो, सुरुकाबादी, नंदापुर, बलबहादुरपुर, बसुदिया, अखुपदार, बसंतपुर और लखापड़ा शामिल हैं। ये गांव नयागढ़ जिले के रनपुर ब्लॉक की चार ग्राम पंचायतों सुरुकाबाड़ी, कुलासरा, बजराकोटा और बलभद्रपुर के अंतर्गत आते हैं।
नयागढ़ में काम कर रही संस्था मा मनिनाग जंगल सुरक्षा परिषद (एमएमजेएसपी) की सचिव अरकहिता साहू के मुताबिक, ‘ हमें उम्मीद है कि यह फैसला भविष्य में इस तरह के अन्य फैसलों की कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त करेगा और वितरण के दूसरे चरण को गति देगा।’
एमएमजेएसपी, वनाधिकार कानून लागू होने के बाद से ही इस फैसले के लिए कानूनी कार्रवाई में लगी हुई थी। 136 गांवों में अपना नेटवर्क रखने वाली इस संस्था का लक्ष्य वनों पर निर्भर रनपुर ब्लॉक के सभी गांवों में वन संरक्षण और प्रबंधन को गति देना है।
गांववालों के मुताबिक, जिला स्तर समिति ने 24 गांवों के वनों पर अधिकार के दावे पर 2018 में ही सहमति दे दी थी, लेकिन उनका वितरण तब से अटका हुआ था। वनों की सुरक्षा और उनका संरक्षण करने वाली समितियां नियम को लागू कराने के लिए जिला प्रशासन पर दबाव बनाए हुए थीं। अंतत: ओडिशा में आने वाले पंचायत चुनाव से पहले ही नयागढ़ के गांववालों को उनका अधिकार मिल गया।
इस जिले में 1695 गांव हैं, जिनमें से 1239 गांव ऐसे हैं, जो वनाधिकार कानून 2006 और संशोधित नियम 2012 के तहत वनों का सामुदायिक अधिकार या फिर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पाने की पा़त्रता रखते हैं। वनाधिकार कानून के अमल में आने के बाद से अब तक जिले में 3868 निजी वन अधिकार, 32 सामुदायिक अधिकार और 28 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दिए जा चुके हैं।
गौरतलब है कि नयागढ़ जिले में आजादी से पहले से ही वनों की सुरक्षा की परंपरा रही है। जिले के लोगों के वनों की सुरक्षा को लेकर ब्रिटिश अधिकारियों से मतभेद भी थे। इसकी वजह यह थी कि ब्रिटिश अधिकारी प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना चाहते थे।