वन्य जीव एवं जैव विविधता

जल, जमीन, जंगल बचाने की जद्दोजहद में गई 227 पर्यावरण प्रहरियों की जान

Lalit Maurya

वर्ष 2020 में पर्यावरण और जमीन को बचाने के संघर्ष में 227 पर्यावरण प्रहरियों की जान गई थी, जिसका मतलब है कि हर सप्ताह औसतन चार पर्यावरण रक्षकों की हत्या कर दी गई थी।  यह वो लोग हैं जो दुनिया भर में इस धरती को बचाने की जंग लड़ रहे हैं। यह जानकारी आज अंतर्राष्ट्रीय संगठन ग्लोबल विटनेस द्वारा जारी रिपोर्ट ‘लास्ट लाइन ऑफ डिफेन्स’ में सामने आई है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में 227 लोगों की हत्या कर दी गई थी। जिनमें से करीब आधी हत्याएं सिर्फ तीन देशों कोलम्बिया, मेक्सिको और फिलीपीन्स में की गई थी। हालांकि वैश्विक स्तर पर पर्यावरण रक्षकों की हत्याओं का सही आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है, क्योंकि अक्सर इन मामलों की जांच तो बहुत दूर की बात है, इन्हें रिकॉर्ड ही नहीं किया जाता है।

आंकड़ों के मुताबिक 2020 में कोलम्बिया में सबसे ज्यादा 65 पर्यावरण प्रहरियों की हत्या  कर दी गई थी। 2016 में किए शांति समझौते के बाद से सरकार और विद्रोहियों के बीच संघर्ष में कमी आई है, पर साथ ही उसने संसाधनों को लेकर बढ़ते विवाद को और बढ़ा दिया है, जिसका नतीजा यह हत्याएं हैं। इनमें से हर तीसरे हमले में स्थानीय मूल निवासियों को निशाना बनाया गया था जबकि करीब आधे मामलों में छोटे किसानों की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद मेक्सिको में जहां बढ़ते विवाद में 30 लोगों की जान गई थी।

भारत में भी आवाज बुलंद करने पर 4 की कर दी गई हत्या

वहीं एशिया में फिलीपींस में सबसे ज्यादा पर्यावरण को बचाने के ले काम कर रहे 29 लोगों की हत्या कर दी गई थी। सबसे चौंकाने वाली घटना 30 दिसंबर 2020 को हुए थी जब सेना और पुलिस ने जालौर नदी पर बन रही एक मेगा-डैम परियोजना का विरोध कर रहे 9 लोगों की हत्या कर दी थी। इसके बाद ब्राजील में 20 लोगों की हत्या के मामले सामने आए थे।  

होंडुरस में 17, अफ्रीकी देश कांगो में 15, ग्वाटेमाला में 13, निकारागुआ में 12, पेरू में 6 और भारत में 4 पर्यावरण प्रहरियों की हत्या कर दी गई थी।  इसी तरह इंडोनेशिया में 3, दक्षिण अफ्रीका और थाईलैंड में दो-दो, और नेपाल, किरिबाती, कोस्टा रिका, युगांडा, सऊदी अरब, इराक, अर्जेंटीना, श्री लंका और कनाडा में एक-एक हत्याओं के मामले सामने आए हैं। 

करीब तीन-चौथाई हमले अमेरिका में सामने आए हैं जहां दक्षिण अमेरिका में सबसे ज्यादा लोगों की हत्याएं की गई थी।  इस मामले में शीर्ष 10 देशों में से 7 देश दक्षिण अमेरिका के ही थे। ब्राजील और पेरू में तीन चौथाई हमले अमेज़न क्षेत्र में हुए हैं।  यदि अफ्रीका से जुड़े आंकड़ों को देखें तो 2020 में वहां 18 लोगों की हत्याएं कर दी गई थी जबकि 2019 में यह आंकड़ा 7 था। 

जंगलों को लेकर हुए संघर्ष में गई सबसे ज्यादा जानें

वहीं इन हत्याओं को अलग-अलग क्षेत्रों के आधार पर देखें तो जंगलों को लेकर हुए संघर्ष में 23 लोगों की हत्या कर दी गई थी। जल विवाद और बांधों को लेकर 20, खनन के कारण 17, फसलों को लेकर हुए अवैध बदलावों में 17, व्यापारिक कृषि के चलते 17, भूमि संघर्ष में 12, शिकार के चलते 6, सड़क परियोजनाओं के कारण उपजे विवाद में 2, मछली मारने को लेकर हुए विवाद में एक पर्यावरण रक्षक की हत्या कर दी गई थी, जबकि 112 मामलों में क्षेत्र के बारे में स्पष्ट तौर पर विवरण उपलब्ध नहीं है। 

इनमें से करीब एक तिहाई हत्याएं संसाधनों के अनुचित दोहन को लेकर की गई थी। जिनमें वनों का अवैध कटाव, खनन, बड़े पैमाने पर की जा रही व्यापारिक कृषि, पनबिजली के लिए बनाए जा रहे बांध और अन्य निर्माण से जुड़े विवाद जिम्मेवार थे। 2020 में जितनी भी हत्याएं हुई हैं उनमें से एक तिहाई मामलों में मूल निवासियों को निशाना बनाया गया था, जबकि देखा जाए तो वो वैश्विक आबादी का केवल 5 फीसदी हिस्सा ही हैं। इसी तरह 28 लोग राज्य सरकार और पार्क रेंजर्स थे। वहीं 2020 में पर्यावरण रक्षकों की जितनी भी हत्याएं हुई हैं उनमें से दसवां हिस्सा महिलाओं का था। 

रिपोर्ट के मुताबिक सरकारें इन पर्यावरण और जमीन को बचाने की जंग लड़ रहे रक्षकों को बचाने में पूरी तरह विफल रही हैं। सरकारें इन मामलों में सिर्फ आंख मूंदकर देखती रही हैं। वहीं अमेरिका से ब्राजील, कोलंबिया और फिलीपींस जैसे देशों में तो स्थिति और बदतर है वहां नागरिकों को नियंत्रित करने और नागरिक स्थान को बंद करने के लिए उठाए गए कड़े क़दमों के लिए कोरोना महामारी का इस्तेमाल किया गया। 

इससे ज्यादा दुःख की बात क्या हो सकती है जब पर्यावरण, जल, जमीन, जंगल के लिए लड़ रहे लोगों को ही मार दिया जाता है। यह वो लोग हैं जो पूरी मानव जाति को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में इनकी हत्या पूरी मानव जाति के खिलाफ अपराध है, जिसपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।