जैव-विविधता और पारिस्थितिकी सेवाओं के अंतरराज्यीय विज्ञान नीति मंच (आईपीबीईएस) ने इसी वर्ष पहली बार अपनी विस्तृत रिपोर्ट में कहा था कि हम 6वीं बार सामूहिक प्रजातियों की विलुप्ति के कगार पर पहुंच रहे हैं। इससे पहले धरती पर डायनासोर समेत अन्य पांच प्रजातियों की सामूहिक विलुप्ति हो चुकी है। यानी इनका धरती से नामो-निशान मिट चुका है। विलुप्ति के पदचिन्ह 2019 में दिखाई देने लगे हैं। 2019 में ही पारिस्थितिकी को बेहतर बनाने वाली कुछ प्रजातियां पूरी तरह विलुप्त हो गईं हैं। आधिकारिक तौर पर यह घोषणा हो गई है कि अब मानवजाति के साथ यह नहीं होंगी। मानव गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन इसके जिम्मेदार माने जा रहे -
मुरिडे परिवार में रहने वालों के दांत ही उनकी बड़ी पहचान हैं। छोटे, पैने और तीखे दांत सब कुछ कतर देते हैं, जिन्हें हम कृंतक कहते हैं। समृद्धशाली मुरिडे परिवार में स्तनपायी चूहों की हिस्सेदारी बहुत बड़ी है। यूरेशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में 700 प्रजातियों के जरिए इनका साम्राज्य फैला है। मुरिडे लैटिन भाषा का शब्द है, इस परिवार का नामकरण हुआ लैटिन भाषा के मुस (मुरिस) से। मुस से मिलता-जुलता नाम संस्कृत और हिंदी का मूषक और मूष तो हैं ही। ऑस्ट्रेलिया में एकमात्र 12 एकड़ के ‘ब्रैंबल के’ नाम के द्वीप पर मोलोमिस रुबिकोला यानी ऑस्ट्रेलियाई ब्रैंबल के मोलोमिस चूहे की प्रजाति विलुप्त हो चुकी है। यह पहले स्तनधारी चूहे की विलुप्ति हुई है। स्तनधारी यानी मैमल्स। स्तन वाले जीव , जो लैटिन के मम्मा से आया। आज भी बच्चों के मुंह से मम्मा शब्द तो सुनते ही होंगे।
जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर्स और बर्फ की चादरें पिघल रही हैं, समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रही है। इस कारण इस कृंतक प्रजाति की विलुप्ति हुई है। वहीं, द्वीपों पर जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्ति का खतरा भी अधिक बढ़ा है।