वन्य जीव एवं जैव विविधता

44 वर्षों में 10.26 लाख हेक्टेयर जंगल साफ

Bhagirath

साल 1980 में वन संरक्षण अधिनियम बनने के बाद से अब तक देशभर में लगभग 10 लाख 26 हजार हेक्टेयर वन भूमि का गैर वनीय उपयोग के लिए डायवर्जन हुआ है। यह भूमि दिल्ली के भौगोलिक क्षेत्रफल से लगभग 7 गुना अधिक है। उदारीकरण से ठीक पहले साल 1990 में सर्वाधिक 1 लाख 27 हजार से अधिक वन भूमि का डायवर्जन हुआ है। दूसरा सबसे बड़ा डायवर्जन साल 2000 में हुआ। इस साल 1 लाख 16 हजार से अधिक वन भूमि गैर वनीय उपयोग के लिए डायवर्ट की गई।

7 अगस्त 2023 को लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने बताया कि पिछले 15 वर्षों (2008-09 से 2022-23) में 3,05,756 हेक्टेयर वन भूमि का डायवर्जन हुआ है। वहीं अगर पिछले 5 वर्षों के आंकड़ों को देखें तो करीब 90 हजार हेक्टेयर वन भूमि का डायवर्जन हुआ है। अप्रैल 2018 से मार्च 2023 के बीच देशभर के 33 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की सबसे अधिक वन भूमि सड़क और खनन के लिए ली गई है।

पिछले पांच सालों में कुल 90 हजार हेक्टेयर में से सड़क (19,497 हेक्टेयर) और खनन (18,790 हेक्टेयर) के लिए 38,767 हेक्टेयर (43 प्रतिशत) भूमि का डायवर्जन हुआ है। ट्रांसमिशन लाइन व सिंचाई के लिए 10 हजार हेक्टेयर से अधिक वन भूमि का उपयोग किया गया है। रक्षा से जुड़ी परियोजनों के लिए 7,631 हेक्टेयर, हाइड्रो परियोजनों के लिए 6,218 हेक्टेयर और रेलवे के लिए 4,770 हेक्टेयर भूमि का डायवर्जन किया गया है। इनके अतिरिक्त नहरों, अस्पताल/डिस्पेंसरी, पेयजल, वनग्रामों के कन्वर्जन, उद्योग, ऑप्टिकल फाइबर केबल, पाइपलाइन, पुनर्वास, स्कूल, सौर ऊर्जा, ताप ऊर्जा, पवन ऊर्जा, गांवों में विद्युतीकरण की परियोजनाओं के लिए भी वन भूिम का बड़े पैमाने पर डायवर्जन हुआ है।