वन्य जीव एवं जैव विविधता

जैव विविधता की सुरक्षा के लिए 'संरक्षण आय' बहुत अहम है : अध्ययन

कम और मध्यम आय वाले देशों में संरक्षित क्षेत्रों के सभी निवासियों को प्रति दिन 5.50 डॉलर की मूल संरक्षण आय या कंजर्वेशन बेसिक इनकम (सीबीआई) दी जानी चाहिए

Dayanidhi

दुनिया भर में जैव विविधता के नुकसान को रोकने, खराब भूमि को बहाल करने, जलवायु परिवर्तन को कम करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में भारी बदलाव की जरूरत है।

इसी को लेकर वन्यजीव संरक्षण सोसायटी के नेतृत्व में संरक्षणवादियों की एक टीम का कहना है कि, कम और मध्यम आय वाले देशों में संरक्षित क्षेत्रों के सभी निवासियों को प्रति दिन 5.50 डॉलर की मूल संरक्षण आय या कंजर्वेशन बेसिक इनकम (सीबीआई) दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा यह राशि जीवाश्म ईंधन और अन्य पर्यावरणीय रूप से हानिकारक उद्योगों को सालाना दी जाने वाली सब्सिडी से बहुत कम है

मूल संरक्षण आय सार्वभौमिक बुनियादी आय (यूबीआई) के समान लोगों को बिना शर्त नकद भुगतान करना है, लेकिन इसमें अहम संरक्षण क्षेत्रों से जुड़े निवासियों को शामिल किया जाता है। अध्ययनकर्ताओं ने कहा यह मूल आय स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों द्वारा जमीन और जैव विविधता के प्रबंधन का समर्थन कर उसे आगे बढ़ाएगी।

अध्ययनकर्ताओं ने एक सुखद भविष्य के संरक्षण के लिए तीन तरह के परिदृश्यों के स्थानीय विश्लेषण का उपयोग करते हुए मूल संरक्षण आय की सकल लागत के लिए पहला वैश्विक अनुमान प्रदान किया है। सकल लागत अलग-अलग होती है, शामिल किए गए क्षेत्रों और आबादी के साथ-साथ भुगतान राशि 351 बिलियन डॉलर से 6.73 ट्रिलियन डॉलर सालाना हो सकती है।

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि संरक्षण में क्रांतिकारी बदलाव की सुविधा के लिए मूल संरक्षण आय (सीबीआई) एक संभावित और मजबूत तंत्र है। वे कहते हैं कि अन्य गरीबी-उन्मूलन नकद हस्तांतरण कार्यक्रमों के साक्ष्य हैं जो बिना शर्त दिए जाते हैं। संरक्षण परिणामों के संबंध में भी इसी तरह के तरीको को अपनाने की जरूरत है।

अध्ययनकर्ताओं का सुझाव है कि मूल संरक्षण आय (सीबीआई) कई संदर्भों में भी यह तरीका संरक्षण हासिल करने में अहम हो सकता है। उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया के गरीबी-विरोधी नकद हस्तांतरण के राष्ट्रीय कार्यक्रम ने भी पूरे इंडोनेशिया में जंगलों को काटे जाने को कम किया।

वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी (डब्ल्यूसीएस) के कंबोडिया कार्यक्रम के प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. एमिल डी लैंग ने कहा, मूल संरक्षण आय (सीबीआई) संरक्षण की लागत और फायदों को अधिक समान रूप से वितरित करती है, क्योंकि बुनियादी आय योजनाएं कल्याण में सुधार करती हैं। यह गरीबी को कम करती हैं और लैंगिक असमानता सहित असमानताओं का निवारण करती हैं।

जैव विविधता के नुकसान के पीछे लिंग सहित कई असमानताएं प्रमुख हैं। मूल संरक्षण आय (सीबीआई) समुदायों को एक अच्छे जीवन के अपने स्वयं के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने और उद्योगों द्वारा निकालने जाने और शोषण से बचने में सक्षम बना सकती है।

इसके अलावा, समृद्ध आबादी और हानिकारक उद्योगों से धन के पुनर्वितरण के माध्यम से, मूल संरक्षण आय (सीबीआई) कुल वैश्विक खपत और पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकती है।

मूल संरक्षण आय (सीबीआई) की ये लागतें वर्तमान सरकारी संरक्षण खर्च (2020 में लगभग 133 बिलियन डॉलर) की तुलना में अधिक हैं। लेकिन बहुत अधिक  सामाजिक और प्राकृतिक महत्व के साथ-साथ प्रकृति पर निर्भर वैश्विक आर्थिक उत्पादन में लगभग 44 ट्रिलियन डॉलर की सुरक्षा में एक अच्छे और अहम निवेश को शामिल किया जा सकता है। यह अध्ययन नेचर सस्टेनेबिलिटी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।