मौसम

क्या भारत पर गंभीर चक्रवातों का खतरा भी मंडरा रहा है?

डर है कि क्या मई का महीना बीते दो वर्षों की तरह कहीं गंभीर चक्रवातों का गवाह तो नहीं बन जाएगा? 2020 में और 2019 में बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवातों ने पूर्वी तटों पर भारी तबाही मचाई थी।

DTE Staff

इस बार अप्रैल (2021) महीने में एक भी चक्रवात नहीं आया है। इससे आने वाले महीनों में, मानसून पूर्व चक्रवाती सीजन में गंभीर चक्रवात आने की आशंका पैदा हो गई है।

मौसम का पूर्वानुमान करने वाली निजी संस्था स्काईमेट का कहना है कि “इस साल अप्रैल महीने में भारतीय समुद्र में किसी भी चक्रवात के आने की आशंका नहीं है।”

यह पूर्वानुमान असामान्य है, लेकिन अभूतपूर्व नहीं है; यह भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका के समुद्र तटों से टकराने वाले चक्रवातों के आने का महत्वपूर्ण महीना होता है. भारतीय समुद्र के लिए मार्च से लेकर मई तक के समय को मानसून पूर्व (प्री-मानसून) चक्रवातों का मौसम माना जाता है।

अप्रैल अभी गुजर रहा है, ऐसे में डर है कि क्या मई का महीना बीते दो वर्षों की तरह कहीं गंभीर चक्रवातों का गवाह तो नहीं बन जाएगा? 2020 में और 2019 में बंगाल की खाड़ी में उठे गंभीर चक्रवातों ने पूर्वी तटों पर भारी तबाही मचाई थी।

बीते साल यानी 2020 में भारतीय समुद्रों के लिए प्री-मॉनसून चक्रवात के मौसम के दौरान दो गंभीर चक्रवातों – अंफान और निसर्ग का सामना हुआ था. हाल ही में जारी हुई स्टेट ऑफ वर्ल्ड क्लाइमेट-2020 के अनुसार, पिछले साल 20 मई को पूर्वी बंगाल की खाली में भारत-बांग्लादेश सीमा के नजदीक तट से टकराने वाला चक्रवात अंफान उत्तरी हिंद महासागर में दर्ज सबसे महंगा उष्णकटिबंधीय चक्रवात था। इसने भारत में 14 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान पहुंचाया था।

स्काईमेट के मुताबिक, “दक्षिण बंगाल की खाड़ी में बहुत जल्द एक चक्रवाती बहाव बनने वाला है, जो महीने (अप्रैल) के आखिरी दिनों (अप्रैल) में बना रहेगा और तमिलनाडु तट की तरफ बढ़ेगा. अगर इसे पर्यावरण से पर्याप्त मदद नहीं मिली तो यह बहुत ज्यादा विस्तार नहीं ले पाएगा।”

हालांकि, पूर्वानुमानकर्ताओं का कहना है कि मौसम की इस दशा के चलते प्रायद्वीपीय भारत और श्रीलंका के ऊपर मानसून-पूर्व मौसमी गतिविधियां तेज हो जाएंगी. नतीजतन यह “मई 2121 तक मानसून-पूर्व परिवर्तन से पहले चक्रवात की संभावनाओं को बढ़ा देगा।”

अब तक का मानसून पूर्व चक्रवाती मौसम असामान्य रूप से चक्रवात मुक्त रहा है। बीते दो दशकों में केवल तीन वर्षों - 2005, 2011 और 2012 ही ऐसा हुआ है, जब इस सीजन के दौरान कोई चक्रवात/तूफान नहीं आया।

किसी भी चक्रवात के बनने या जन्म लेने के पीछे अन्य दशाओं के अलावा समुद्र सतह का तापमान (एसएसटी) एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक होता है। जनवरी, 2021 में भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने पूर्वानुमान किया था कि बंगाल की खाड़ी में समुद्र सतह का तापमान (एसएसटी) जनवरी-मार्च से मार्च-मई के दौरान सामान्य से लेकर ‘सामान्य से अधिक गर्म’ के बीच रहेगा।

इस क्षेत्र में ऊंची एसएसटी को आम तौर पर इस क्षेत्र में पैदा हुए हालिया गंभीर चक्रवातों के लिए प्रमुख उत्प्रेरक के तौर पर देखा गया है। देश का प्रमुख संस्थान इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज ने बताया कि बीते साल मई में चक्रवाती तूफान अंफान के बनने से पहले बंगाल की खाड़ी में (कुछ हिस्सों में) मई में एसएसटी 34 डिग्री सेल्सियस के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था, जबकि सामान्य तापमान 28 डिग्री सेल्सियस होता है। इसी तरह साल 2019 में, अत्यंत गंभीर तूफान फानी के तट से टकराने से पहले, बंगाल की खाड़ी में एसएसटी 31-32 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था।