पश्चिमी हिमालयी राज्य एक बार फिर असामान्य मौसमी स्थिति का सामना कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में इस महीने अब तक 7 पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो चुके हैं। इनके प्रभाव से इन राज्यों में कई जगहों पर जनवरी के महीने में अब तक सामान्य से 700 प्रतिशत से ज्यादा बारिश हो चुकी है।
खास बात यह है कि जिस मात्रा में बारिश हो रही है, उस हिसाब से अब तक हिमपात नहीं हुआ है। हिमपात अब तक 2500 मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही हुआ है। जबकि इस पश्चिमी विक्षोभ के दौरान 2000 मीटर तक की ऊंचाई वाली पहाड़ियों तक हिमपात होने की संभावना जताई जा रही थी।
1 से 23 जनवरी 2022 के बीच उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में सामान्य से 734 प्रतिशत अधिक (129.3 मिमी) हो चुकी है। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में सामान्य से 788 प्रतिशत ज्यादा (257.5 मिमी) बारिश हो चुकी है। जम्मू-कश्मीर के जम्मू संभाग में इस अवधि में 193.5 मिमी बारिश हुई है। सामान्य तौर में इस अवधि में यहां 30.0 मिमी बारिश होती है। यानी यहां 528 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो चुकी है।
इन तीनों राज्यों में राज्य स्तर पर हुई बारिश का औसत भी सामान्य से काफी ज्यादा है। उत्तराखंड में 1 से 23 जनवरी तक होने वाली बारिश का सामान्य स्तर 26.3 मिमी है, लेकिन अब तक 100.7 मिमी बारिश दर्ज की जा चुकी है, जो सामान्य से 283 प्रतिशत ज्यादा है। हिमाचल में 58.8 मिमी के सामान्य स्तर के बजाय अब तक 166.4 मिमी (183 प्रतिशत ज्यादा) बारिश हो चुकी है, जबकि जम्मू-कश्मीर में 51.1 मिमी सामान्य के मुकाबले 131.2 मिमी (157 प्रतिशत ज्यादा) बारिश हो चुकी है।
देहरादून में मौसम विज्ञान केन्द्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार पश्चिमी हिमालय के तीनों राज्यों में अगले दो दिन तक पश्चिमी विक्षोभ का असर जारी रहने की संभावना है यानी कि इन राज्यों में बारिश का आंकड़ा कुछ और बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा 28 जनवरी की रात से एक और पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की संभावना है।
हालांकि उनका कहना है कि इस पश्चिमी विक्षोभ की अभी सटीक स्थिति की जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन यदि यह विक्षोभ वर्तमान के चल रहे इस महीने के सातवें विक्षोभ की तरह के मजबूत हुआ तो तय है कि पिछले कई वर्षों के जनवरी में हुई बारिश के रिकॉर्ड टूट सकते हैं।
मौसम विभाग के अनुसार उत्तराखंड में इससे पहले 2020 में भी जनवरी के महीने में ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी। उस समय पूरे महीने में राज्य में 131.7 मिमी बारिश हुई थी और पिछले कई वर्षों के रिकॉर्ड टूटे थे। 2020 से पहले 1992 में राज्य में जनवरी में 105 मिमी बारिश हुई थी। माना जा रहा है कि 28 जनवरी के बाद फिर से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है तो 2020 का रिकॉर्ड टूट सकता है।
रुद्रप्रयाग को छोड़कर राज्य के हर जिले में सामान्य से 100 प्रतिशत से ज्यादा बारिश अब तक दर्ज की जा चुकी है। 24 जनवरी की सुबह तक ऊधमसिंह नगर जिले में सामान्य से 618 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई। देहरादून में 23.2 मिमी के सामान्य स्तर के बजाय अब तक 152.5 मिमी यानी 557 प्रतिशत और उत्तरकाशी में 27.7 मिमी के बजाय 126.4 मिमी यानी 356 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की जा चुकी है। अल्मोड़ा में 242 प्रतिशत, बागेश्वर में 172 प्रतिशत, चमोली में 213 प्रतिशत, चंपावत में 221 प्रतिशत, पौड़ी में 297 प्रतिशत, टिहरी में 362 प्रतिशत, नैनीताल में 323 प्रतिशत, पिथौरागढ़ में 133 प्रतिशत और रुद्रप्रयाग में सामान्य से 85 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है।
उधर हिमाचल प्रदेश के सोलन में जनवरी महीने में अब तक सामान्य से 743 प्रतिशत ज्यादा 241.2 मिमी बारिश हुई है। ऊना जिले में 572 प्रतिशत ज्यादा कुल 182 मिमी, बिलासपुर में सामान्य से 506 प्रतिशत ज्यादा 205.5 मिमी, हमीरपुर में सामान्य से 400 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो चुकी है। किन्नौर और लाहौल स्पीति जिलों में सामान्य से 41 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है, जबकि राज्य के अन्य सभी जिलों में बारिश का प्रतिशत सामान्य से 200 प्रतिशत से ज्यादा पहुंच चुका है।
पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में तीन ऐसे जिले भी हैं, जहां इस महीने सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में सामान्य से 70 प्रतिशत, सोपियां में 95 प्रतिशत और लद्दाख के लेह में सामान्य से 46 प्रतिशत कम बारिश अब तक दर्ज की गई है। जम्मू कश्मीर के पुंछ सामान्य से 26 प्रतिशत ज्यादा, कुलगाम सामान्य से 44 प्रतिशत ज्यादा और कुपवाड़ा सामान्य से 48 प्रतिशत ज्यादा को छोड़कर राज्य के सभी जिलों में अब तक सामान्य से 100 से 600 प्रतिशत तक ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। पिछले दो दिनों के दौरान राज्य के पहलगाम में 12.8 सेमी, गुलमर्ग में 11 सेमी, भद्रवाह में 7.4 सेमी, कुकरनाग में 3.5 सेमी और बनिहाल में 0.5 सेमी बर्फबारी हुई है।
इन राज्यों में बारिश का असर अब फसलों पर भी पड़ने लगा है। खासकर पहाड़ों की तलहटी से लगते भाबर के क्षेत्रों में सब्जियों और सरसों की फसल को नुकसान पहुंचने की संभावना है। नैनीताल जिले के भाबर क्षेत्र के किसान कैलाश चंदोला के अनुसार टमाटर और फूलगोभी को इस बारिश ने काफी नुकसान पहुंचाया है और 40 प्रतिशत तक फसल खराब हो चुकी है। प्लाज की नर्सरी को भी नुकसान पहुंचा है।
मटर और बीन्स की फसल भी खराब होने के आसार बढ़ गये हैं। इसके अलावा निचले क्षेत्रों में जहां जल भराव की संभावना है, वहां गेहूं और सरसों की फसल को नुकसान पहुंचा है। वे कहते हैं कि बारिश शुरू होने से पहले भाबर क्षेत्र में करीब एक हफ्ते तक धूप न निकलने से सब्जियांे पर फफूंद आने लगी थी, लगातार बारिश के बाद सब्जियां खराब हो गई हैं।