दक्षिण एशिया में दो चक्रवातों की संभावना के चलते मौसम विभाग ने सतर्क रहने की चेतावनी दी है।
बंगाल की खाड़ी में बनने वाले इन चक्रवातों के बीच फुजीवारा प्रभाव की आशंका है, जिससे उनकी दिशा और तीव्रता अनिश्चित हो सकती है।
इससे भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार के तटीय इलाकों में खतरा बढ़ सकता है।
अगले सप्ताह बंगाल की खाड़ी में दो चक्रवाती तूफान बनने की संभावना है। इन दोनों के बीच फुजीवारा प्रकार की पारस्परिक क्रिया होने की भी आशंका जताई गई है। ऐसा होने पर चक्रवातों का मार्ग (ट्रैक) और तीव्रता दोनों अनिश्चित हो सकते हैं, जिससे दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया की बड़ी आबादी को सतर्क रहने की जरूरत है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अपनी नवीनतम उष्णकटिबंधीय मौसम बुलेटिन में बताया कि 24 नवंबर 2025 की सुबह मलेशिया और मलक्का जलडमरूमध्य के पास एक स्पष्ट निम्न दबाव क्षेत्र बना हुआ था। विभाग ने अनुमान लगाया कि यह प्रणाली पश्चिम-उत्तरी दिशा में बढ़ते हुए दक्षिण अंडमान सागर के ऊपर एक अवदाब (डिप्रेशन) में बदल रहा है।
मौसम विभाग के अनुसार, यह मौसम प्रणाली आगे भी उसी दिशा में आगे बढ़ेगी और अगले 48 घंटों में (27 नवंबर की सुबह तक) दक्षिण बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक चक्रवात के रूप में विकसित हो जाएगी।
मौसम विभाग कोमोरिन क्षेत्र के ऊपर मौजूद ऊपरी हवा के चक्रवाती परिसंचरण (अप्पर एयर साइक्लोनिक सर्कुलेशन) पर भी नजर रख रहा है। यह परिसंचरण 25 नवंबर को दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और श्रीलंका के आसपास एक और निम्न दबाव क्षेत्र बना सकता है। मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि इस प्रणाली से भी अगले दो दिनों में एक दबाव (डिप्रेशन) बन सकता है, लेकिन अभी इस बात की पुष्टि नहीं की गई है कि यह चक्रवात में बदलेगा या नहीं।
मौसम प्लेटफॉर्म विंडी पर देखे गए संयुक्त राज्य अमेरिका के ग्लोबल फोरकास्टिंग सिस्टम (जीएफएस ) और यूरोप के यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्टिंग (इसीएमडब्ल्यूएफ) के डेटा दोनों संभावित चक्रवाती प्रणालियों के बनने, उनके रास्ते और उनकी तीव्रता को लेकर अलग-अलग संकेत दे रहे हैं।
विंडी पर 24 नवंबर की शाम (4:45 बजे) उपलब्ध जीएफएस डेटा के अनुसार, दोनों मौसम प्रणालियाँ 26 नवंबर तक अवदाब (डिप्रेशन) में बदल जाएंगी और एक-दूसरे के साथ फुजीवारा प्रभाव जैसा पारस्परिक व्यवहार दिखाना शुरू करेंगी। 27 नवंबर तक ये दोनों एक-दूसरे के करीब आकर उत्तर-उत्तरपूर्व दिशा में एक ही दिशा में बढ़ने लगेंगी।
जीएफएस का अनुमान है कि अंडमान सागर से आने वाला तूफान कोमोरिन क्षेत्र की प्रणाली से बढ़ी हुई हवा की रफ्तार प्राप्त कर सकता है और म्यांमार तट की ओर बढ़ सकता है।
फुजीवारा प्रभाव तब होता है जब समुद्र में एक ही क्षेत्र में दो चक्रवाती तूफान बनते हैं और उनके हवा के परिसंचरण (सर्कुलेशन) ऊपरी व मध्य वायुमंडलीय स्तरों पर आपस में टकराने या घुलने-मिलने लगते हैं। यह परस्पर क्रिया दोनों तूफानों के बीच एक तरह का संबंध बना देती है, जिससे वे एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
यह प्रभाव कमजोर भी हो सकता है और मजबूत भी। इसके कारण किसी एक तूफान की गति और ताकत बढ़ सकती है, या दोनों तूफान कमजोर होकर खत्म भी हो सकते हैं। इस तरह की जटिल क्रियाओं को मौसम मॉडल अभी पूरी तरह सटीक रूप से भविष्यवाणी नहीं कर पाते।
विंडी पर ईसीएमडब्ल्यूएफ के डेटा के अनुसार, फुजीवारा जैसी यह परस्पर क्रिया कोमोरिन क्षेत्र से आने वाले तूफान को दक्षिण अंडमान सागर वाली प्रणाली से गति प्रदान करती दिख रही है, जिसके बाद वह तूफान भारत के पूर्वी तट के साथ आगे बढ़ता दिखाई देता है।
वर्तमान पूर्वानुमानों में बड़े अंतर के कारण भारत मौसम विज्ञान विभाग और अन्य मौसम एजेंसियों को इन दोनों चक्रवाती प्रणालियों की गतिविधियों और उनकी पारस्परिक क्रिया पर लगातार नजर रखनी होगी। ऐसा इसलिए जरूरी है ताकि श्रीलंका, पूर्वी भारत, बांग्लादेश और म्यांमार के तटीय इलाकों में रहने वाली संवेदनशील आबादी को समय रहते चेतावनी दी जा सके।