मौसम के पैटर्न में बदलाव
सर्दियों के महीनों के दौरान, इस साल जनवरी 2023 में भारत के उत्तरी भागों में लगभग 74 शीतलहर की घटनाएं दर्ज की गई, जबकि दक्षिण भारत में केवल छह शीतलहर की घटनाएं महसूस की गई। इसके अलावा, 1971 के बाद से शीतलहर के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि, उत्तर भारत में शीतलहर की घटनाओं में कमी आई है।
यह भी देखा गया है कि 1971-80 के दशक की तुलना में हाल के दशकों (2001-2020) में भारत के उत्तरी हिस्सों में शीतलहर की घटनाओं में काफी कमी आई है, इस बात की जानकारी आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में दी।
बादल फटने का पूर्वानुमान
बादल फटने का पूर्वानुमान लगाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। यह मुख्य रूप से छोटे आकार, कम अवधि और आंधी के अचानक बढ़ने के लिए जिम्मेदार है और यह भारत जैसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्रचलित वायुमंडलीय प्रक्रियाओं की जटिलता के कारण होते हैं। जिसके कारण, दुनिया भर में बादल फटने का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, यह आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया।
देश में महिला शोधकर्ता
नवीनतम उपलब्ध आरएंडडी आंकड़ों के अनुसार, देश में महिला शोधकर्ताओं (एफटीई) की संख्या 56,747 है जो कि कुल शोधकर्ताओं का 16.6 फीसदी है, इस बात की जानकारी आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में दी।
विद्युत उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का हिस्सा
वर्ष 2021-22 में देश में कुल बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी लगभग 3.15 प्रतिशत थी। देश में वर्तमान स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता में 6780 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 22 रिएक्टर शामिल हैं। 8700 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 11 रिएक्टर निर्माण या स्थापना के विभिन्न चरणों (जिसमें भाविनी द्वारा केएपीपी-3 और पीएफबीआर शामिल हैं) के तहत हैं।
इसके अलावा, सरकार ने 7000 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 10 और परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के लिए मंजूरी दे दी है। निर्माणाधीन परियोजनाओं के प्रगतिशील समापन और मंजूरी मिलने पर वर्तमान स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता 2031 तक 6780 मेगावाट से बढ़कर 22480 मेगावाट हो जाएगी। यह आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया।
खाद्य फोर्टिफिकेशन
एक चुनी हुई आबादी के बीच एक समान पोषण का असर हासिल करने के लिए, भारत सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) और भारत सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं में फोर्टीफाइड चावल की आपूर्ति को मंजूरी दी है। इसे चरणबद्ध तरीके से वर्ष 2024 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जाएगा, इस बात की जानकारी आज ग्रामीण विकास और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने लोकसभा में दी।
पीएम-पोषण के तहत रकम
प्रधानमंत्री पोषण (पूर्व मध्याह्न भोजन) योजना शिक्षा मंत्रालय के अधीन है। स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2017-18 के लिए पीएम पोषण योजना के तहत आवंटित बजट 10000.00 करोड़ था जो 2018-19 में बढ़कर 10500.00 करोड़ रुपये हो गया और आगे बढ़कर यह 10,000.00 करोड़ रुपये किया गया, जो वर्ष 2019-20 में 11000.00 करोड़ करोड़ रुपये हो गया।
वर्ष 2020-21 के लिए बजट को फिर से बढ़ाकर 12900.00 करोड़ रुपये कर दिया गया क्योंकि वर्ष के दौरान सभी नामांकित बच्चों को कोविड-19 महामारी के कारण खाद्य सुरक्षा भत्ता (एफएसए ) प्रदान किया गया था। 2021-22 में बीई कोविड-19 महामारी के अप्रत्याशित प्रकोप के कारण कम था, जिससे सभी स्कूलों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप गतिविधियां ठप हो गई।
2022-23 के लिए बजट अनुमान 10,233.75 करोड़ रुपये थी। हालांकि सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। साथ ही सामान की कीमत भी बढ़ा दी गई है। उपरोक्त के मद्देनजर, संशोधित अनुमान 2022-23 के 10233.75 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले बढ़ाकर 12,800.00 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह आज महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने राज्यसभा में बताया।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को कमतर दिखाना
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) भारत की सही तस्वीर पेश नहीं करता है, क्योंकि यह 'भूख' का एक गलत माप है। इसे अंकित मूल्य पर नहीं लिया जाना चाहिए, यह न तो उचित है और न ही किसी देश में प्रचलित भूख का प्रतिनिधित्व करता है। इसके चार संकेतकों में से केवल एक संकेत यानी अल्पपोषण का सीधा संबंध भूख से है।
दो संकेतक, अर्थात्, ठीक से विकास न हो पाना या स्टंटिंग और वेस्टिंग भूख के अलावा स्वच्छता, आनुवंशिकी, पर्यावरण और भोजन सेवन के उपयोग जैसे विभिन्न अन्य कारकों की जटिलता के परिणाम हैं, जिन्हें जीएचआई में स्टंटिंग और वेस्टिंग के प्रेरक/परिणाम कारक के रूप में लिया जाता है। इस बात की जानकारी आज महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने राज्यसभा में दी।
बागड़ी, लोहार और बंजारा खानाबदोश जनजातियों का सर्वेक्षण
फरवरी 2014 में भारत सरकार द्वारा बिना-अधिसूचित, खानाबदोश और अर्ध-खानाबदोश जनजातियों (एनसीडीएनटी) के लिए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन किया गया था, अन्य बातों के साथ-साथ, इसमें बिना-अधिसूचित, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जातियों, खानाबदोश जनजाति की राज्य-वार सूची तैयार करना था।
रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में कुल 1262 समुदायों की बिना-अधिसूचित, खानाबदोश और अर्ध-घुमंतू समुदायों के रूप में पहचान की गई है, जिसमें अन्य बातों के अलावा बागड़ी, लोहार और बंजारा समुदाय शामिल हैं, यह आज सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री ए नारायण स्वामी ने राज्यसभा में बताया।