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एसओई इन फिगर्स 2023: भारत के लिए पांचवां सबसे गर्म वर्ष रहा 2022

2022 में सभी 28 भारतीय राज्यों ने कम से कम एक महीने रिकॉर्ड तोड़ तापमान को अनुभव किया

Anil Ashwani Sharma

भारत ने 2022 में अपना पांचवां सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया। इस वर्ष औसत तापमान सामान्य (1981-2010 के औसत के मुकाबले) से 0.51 डिग्री सेल्सियस ऊपर रहा। यह असामान्य गर्मी पूर्व-मॉनसून (मार्च से मई में +1.06 डिग्री सेल्सियस), मॉनसून के बाद के मौसम (अक्टूबर से दिसंबर में + 0.52 डिग्री सेल्सियस) और मॉसून के मौसम (जून से सितंबर में +0.36 डिग्री सेल्सियस) के दौरान सामान्य से अधिक तापमान के कारण था।  यह बात दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा जारी स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट- 2023 रिपोर्ट में कही गई है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछला दशक (2013–2022) भारत का सबसे गर्म दशक था। 1901-2022 के दौरान देश के औसत वार्षिक तापमान में 0.64° डिग्री सेल्सियस/100 वर्षकी वृद्धि दिखाई दी। इस दौरान अधिकतम तापमान (1 डिग्री सेल्सियस/100 वर्ष) में महत्वपूर्ण वृद्धि और न्यूनतम तापमान में अपेक्षाकृत कम वृद्धि (0.28 डिग्री सेल्सियस/100 वर्ष) थी। 2016 में भारत 0.71O सेल्सियस सामान्य से अधिक गर्म था। यह देश का अब तक का सबसे गर्म वर्ष था। इस वर्ष जनवरी और फरवरी को छोड़कर शेष सभी 10 महीनों में औसत तापमान सामान्य से अधिक था। 2022 में सभी 28 भारतीय राज्यों ने कम से कम एक महीने रिकॉर्ड तोड़ तापमान को अनुभव किया।

साल 2022 में आठ राज्यों ने रिकॉर्डतोड़ अधिकतम, औसत और न्यूनतम वार्षिक तापमान की तीनों श्रेणियों में रिकॉर्ड तोड़ा। इनमें से सात राज्य-असम, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, ओडिशा, सिक्किम और उत्तराखंड हिमालय में हैं। केरल एकमात्र गैरहिमालयी राज्य है 2021-22 की तुलना में 2022-23 में प्राकृतिक आपदाओं पर भारत के खर्च में 36 प्रतिशत की कमी आई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 में 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्राकृतिक आपदा प्रबंधन के खर्च में अच्छी खासी कटौती देखी गई। इस साल में तमिलनाडु इस मामले सबसे अव्वल रहा कि उसने सबसे आपदा पर सबसे कम खर्च किया। उसका खर्च था 1.9 लाख रुपए यानी 2021-22 में किए गए खर्च के मुकाबले सौ फीसदी कम खर्च। वहीं इस वर्ष सबसे अधिक आपदा पर खर्च करने वाला राज्य था महाराष्ट्। इसने आपदा पर कुल खर्च किया 6, 79, 746 लाख रुपए। सबसे अधिक खर्च के बावजूद वह 2021-22 में किए गए खर्च के मुकाबले 32 प्रतिशत कम था।