पिछले दो दिनों से पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की वजह से समूचे हिमाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी का क्रम जारी है। रविवार को प्रदेश के छह जिलों शिमला, किन्नौर, लाहौल स्पीति, चंबा, कुल्लू और मंडी जिला में भारी बर्फबारी दर्ज की गई है। बर्फबारी और बारिश की वजह से जहां प्रदेश के लोगों को भंयकर ठंड और यातायात सेवाएं बाधित होने, बिजली और पानी की आपूर्ति न होने की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं दूसरी ओर यह बर्फबारी बागवानी क्षेत्र से जुड़े लाखों बागवानों के लिए संजीवनी साबित हुई है। अच्छी बर्फबारी होने की वजह से प्रदेश के बागवान खुश हैं और सेब बागवानी के लिए बेहद जरूरी चिलिंग आवर पूरे होने की वजह से उनमें खुशी की लहर है। साथ ही अनाज फसलों के लिए भी बारिश अच्छी बताई जा रही है।
मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है और आगामी चार दिनों तक प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश का क्रम जारी रहेगा। प्रदेश में सबसे कम तापमान केलांग में माइनस 5 दर्ज किया गया। जबकि शिमला जिला के खदराला और कुफरी में सबसे अधिक 55 सेंटीमीटर बर्फबारी दर्ज की गई। इसके अलावा शिलारू में 42, डलहौजी में 30, सांगला में 28, कल्पा में 22, कोठी में 20, चौपाल, हंसा और भरमौर में 15 सेंटीमीटर बर्फबारी दर्ज की गई है।
रोहडू क्षेत्र के सेब बागवान जोगेंद्र शर्मा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि इस साल अच्छी बर्फबारी देखी जा रही है जो सेब बागवानी के लिए रामबाण है। उन्होंने बताया कि इससे सेब के पौधों की चिलिंग आवर्स की जरूरत पूरा होने के साथ सेब के पौधों में पर्याप्त नमी भी बनी रहेगी। वहीं इस अच्छी बर्फबारी की वजह से सेब के पौधों को लगने वाली कई बीमारियों का खतरा भी कम हो गया है।
बागवानी विशेषज्ञ एसपी भारद्वाज का कहना है कि कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अधिक बर्फबारी देखी जा रही है। ऐसे क्षेत्रों में सेब के पौधों की टहनियों में बर्फ इकठ्ठा हो रही है। इसलिए टहनियों को नुकसान से बचाने के लिए बागवानों का सलाह दी जा रही है कि वे बागीचों का निरीक्षण करते रहें और पौधों की टहनियों से बर्फ हटाने के साथ उन्हें नुकसान से बचाने के लिए उन्हें लकड़ी के डंडों के सहारे लगाएं।
गौरतलब है कि बर्फबारी की वजह से प्रदेश के 350 से अधिक सड़क मार्ग अवरूद्ध हो गए हैं। वहीं प्रदेश के कई स्थानों में बिजली और पानी की आपूर्ती की सेवाओं पर भी बुरा असर पड़ा है। जिसकी वजह से कड़ाके की ठंड में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं प्रशासन की ओर से भारी बर्फबारी के चलते मनाली लेह रूट और ग्रांफू से लोसर वाले नेशनल हाईवे 05 को गर्मियों के सीजन तक बंद कर दिया गया है। आपदा प्रबंधन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार 1 जनवरी से 8 जनवरी तक प्रदेश में बारीश और बर्फबारी की वजह से 45 करोड़ रूपये का नुकसान हो चुका है।
वहीं 11 अगस्त को किन्नौर के निगुलसरी में 28 लोगों की मृत्यू वाले स्थान में एक बार फिर पिछले कल भूस्खलन देखा गया। हालांकि इस बार इस स्थान में किसी प्रकार की अप्रिय घटना को देखा नहीं गया। लेकिन भूस्खलन की वजह से मार्ग अवरूद्ध हो गया, जिसकी वजह से आने जाने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
हिमाचल में बर्फबारी का लुत्फ लेने के लिए आ रहे लोगों के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है। पर्यटकों को अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सफर न करने के लिए कहा गया है।
उत्तराखंड में पहाड़ों पर बिछी बर्फ की चादर
उत्तराखंड में पिछले एक हफ्ते से लगातार बारिश और बर्फ़बारी हो रही है। पहाड़ों पर बर्फ़ की मोटी चादर बिछ गई है। सड़कों पर आवाजाही मुश्किल हो गई है। लेकिन खेती और बागवानी के लिहाज से ये बारिश-बर्फ़बारी अच्छी है। सेब के बागवानों का बर्फ़बारी का लंबा इंतज़ार पूरा हुआ है। बर्फ़बारी से सेब के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स पूरे होने में मदद मिलेगी। इस समय की बर्फ़बारी ख़ासतौर पर सेब समेत अन्य फलों के लिए अच्छी मानी जाती है।
उत्तरकाशी के सेब बागवान मोहन सिंह कहते हैं कि 15 फरवरी तक हमें जितनी ज्यादा बर्फ़ मिल जाए, बागवानों के लिए उतना ही अच्छा है। बर्फ़बारी से जनजीवन जरूर प्रभावित होता है लेकिन हमारे पेड़ों के लिए ये बर्फ़ इस समय वरदान है।
जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानी डॉ आरके शर्मा के मुताबिक गेहूं की फ़सल के लिए भी ये सिंचाई का समय है। पहाड़ों पर ज्यादातर खेती वर्षा पर ही निर्भर करती है। इस लिहाज से काश्तकारों को इस बारिश से फायदा मिलेगा। सब्जियों व अन्य फसल के लिहाज से भी बारिश किसानों की मुश्किलें हल करेगी।