मौसम

जलवायु परिवर्तन ने बढ़ाई तपिश, लू से हलकान दर्जन भर राज्य

विश्व मौसम संगठन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु परिवर्तन और अल-नीनो की वजह से 2019 अब तक का सबसे गर्म वर्ष साबित हो सकता है।

Vivek Mishra

देश के दर्जन भर से ज्यादा राज्यों में सूरज की तपिश और लू के थपेड़ों ने लोगों को बेहाल कर दिया है। पानी साथ रखने और धूप से बचाव की हिदायत जारी की जा रही है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के कुछ हिस्से, उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भाग और पश्चिमी भाग में भीषण लू चल रही है। 28 मई को अधिकतम तापमान के मामले में 47.2 डिग्री सेल्सियस के साथ तेलंगाना का रामगुंदम सबसे ऊपर रहा। जबकि 29 मई को देश की राष्ट्रीय राजधानी का अधिकतम तापमान सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस ज्यादा 43 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। 

इस खतरनाक गर्मी और लू की संभावना पहले ही विश्व मौसम संगठन (डब्लयूएमओ) ने जताई थी। डब्ल्यूएमओ ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि 2019 में जलवायु परिवर्तन और अल-नीनो (सुखाड़) की दोहरी मार लोगों को झेलनी होगी। वहीं, जलवायु परिवर्तन और अल-नीनो की वजह से 2019 अब तक का सबसे गर्म वर्ष साबित हो सकता है।

 डब्ल्यूएमओ के मुताबिक जहां बीते चार वर्ष सर्वाधिक गर्म वर्ष रहे हैं। वहीं, बीते 22 वर्षों में भी सबसे गर्म 20 वर्ष रिकॉर्ड किए गए हैं। 2018 में ग्रीन हाउस गैस का रिकॉर्ड उत्सर्जन किया गया है। ग्रीन हाउस गैसें हीटवेव को रोक लेती हैं। ऐसे में कई जगह लू के हॉट-स्पॉट बन जाते हैं।

 देश के भीतर पूर्व-मानसून की देरी ने बरसात में भी कमी कर दी है। यह भी गर्मी और लू के लिए उत्प्रेरक का काम कर रहा है। विभाग का कहना है कि मौजूदा लू अगले तीन से चार दिन में गंभीर स्तर पर पहुंच सकती है। साथ ही तापमान का पारा 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक चढ़ने का अनुमान भी है। मौसम विभाग मार्च से जून महीने में मैदानी भागों में 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान और पहाड़ी भाग में 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान को हीटवेव यानी लू परिभाषित करता है।

आईएमडी के मुताबिक इस वक्त सबसे ज्यादा महाराष्ट्र का विदर्भ, मराठवाड़ा, तेलंगाना, रायलसीमा (आंध्र प्रदेश के चार जिले), कर्नाटक, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार के अलग-अलग हिस्से प्रभावित हैं। वहीं, उत्तरी-पश्चिमी सीमा में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में लू प्रभावी है। आने वाले दिनों में इन राज्यों के ज्यादातर हिस्से भीषण लू के चपेट में आ सकते हैं। इन राज्यों के अधिकतम तापमान सामान्य से 3 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज हो रहे हैं।

मौसम विभाग के उप महानिदेशक बीपी यादव ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर समेत पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अगले तीन से चार दिनों तक किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी। दिल्ली के क्षेत्रीय मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली,पंजाब और चंडीगढ़ के दक्षिणी भागों में लू अगले एक से दो दिनों में और विकराल हो सकती है जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिलों में भीषण लू का सामना लोगों को करना पड़ सकता है।

यूपी में इलाहाबाद, वाराणसी, बहराइच, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर वहीं राजस्थान में बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, कोटा, एसमाधोपुर और उड़ीसा में तितीलागढ़, सोनपुर, अंगुलस, संबलपुर, हीराकुंड, झारसुगाड़ा, सुंदरगढ़, बोलनगीर का अधिकतम तापमान 40 से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच रिकॉर्ड किया जा रहा है। अधिकांश जगह दिन का तापमान सामान्य से 3 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड हो रहा है।

आईएमडी के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि उत्तरी पट्टी में लू की पहली लहर चली है जबकि आईएडी खुद ही मार्च में उत्तर के कुछ हिस्सों में लू की घोषणा कर चुका है। इस बार मार्च के शुरुआत से ही लू चलने लगी थी। उत्तर में पश्चिमी विक्षोभ के कारण जहां मौसम में ठंड थी वहीं दक्षिण में बेहद गर्मी और कई स्थानों पर लू चल रही थी। गुजरात, यूपी, राजस्थान के कुछ हिस्सों में शुरुआती मार्च के महीने में ही लू की घोषणा आईएमडी ने खुद की थी। आईएमडी ने एक अप्रैल को कहा था कि अप्रैल से जून के सीजन के दौरान देश के उत्तर-पश्चिमी भाग और मध्य हिस्से में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 0.5-1.0 डिग्री सेल्सियस अधिक रह सकता है।

स्काईमेट के निदेशक महेश पलावत ने बताया कि देश में बरसात की कमी कुल 23 फीसदी है। जबकि क्षेत्र वार पूर्वी-उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र में 10 फीसदी, उत्तरी-पश्चिमी हिस्से में 28 फीसदी, मध्य में 18 फीसदी और दक्षिण में सबसे ज्यादा 49 फीसदी है। उनके मुताबिक इस वक्त उड़ीसा के कुछ जिले, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, तेलंगाना, रायलसीमा, कर्नाटक, महाराष्ट्र का विदर्भ सबसे ज्यादा हीटवेव से प्रभावित है।