मौसम

अब ओलावृष्टि ने बिगाड़ा किसानों का गणित

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील के 12 से ज्यादा गांवों में फसलों को 60-90 फीसदी तक नुकसान हुआ है

Madhav Sharma

राजस्थान के उत्तर-पूर्वी जिलों में गिरे ओलों ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। लगभग पक चुकी फसल को ऐन मौके पर कुदरत के कहर का सामना करना पड़ा है। 9-10 मार्च की रात को राजस्थान के उत्तरी जिले गंगानगर, हनुमानगढ़ में किसानों की सरसों, गेहूं की फसल को 90 फीसदी तक नुकसान हुआ है। ये शुरूआती आंकलन कृषि विभाग के अधिकारी और फसल बीमा के अफसरों की फील्ड विजिट में सामने आया है। 

इसके अलावा पूर्वी राजस्थान के भरतपुर, अलवर, दौसा जिलों में ओलों ने सरसों, चना और गेहूं की पकी खड़ी फसल को काफी नुकसान हुआ है। ओलावृष्टि से किशनगढ बास तहसील के ग्राम पाटनमेवान, सिवाना, नीमेडा, वल्लभग्राम, ईस्माइलपुर में सरसों व गेहूं फसल में 15-30 प्रतिशत तक क्षति हुई है।

हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील के 12 से ज्यादा गांवों में फसलों को 60-90 फीसदी तक नुकसान हुआ है। कृषि अधिकारियों के अनुसार सबसे ज्यादा नुकसान चने की फसल को हुआ है। रात को आधे घंटे तक ओलावृष्टि होती रही। इससे गांव लालनियां, खरसंडी, नगरासरी, जबरासर, पांडूसर, श्योरानी, मेघाना, दुर्जाना, रातूसर, रायसिंहपुरा, भोगाना, गंगोई, गिराजसर, ललाना-दिखनादा, उदासर बड़ा, जोजासर आदि गांवों में ओलों ने काफी तबाही मचाई है। स्थानीय किसानों का कहना है कि क्षेत्र में चना, गेहूं और सरसों की फसल खराब हुई है।

हनुमानगढ़ की नोहर तहसील के पांडूसर पंचायत में ओलों ने सबसे ज्यादा नुकसान किया है। किसान सुरेश स्वामी ने डाउन-टू-अर्थ को बताया, ‘मेरी 7 हेक्टेयर में लगभग पकी हुई सरसों पूरी बर्बाद हो गई है। इसके अलावा 2 हेक्टेयर में चने भी खराब हो गई। पूरी पंचायत के 7 गांवों में सबसे ज्यादा फसल खराब हुई है।’

सुरेश स्वामी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर भी सवाल उठाते हैं। उनके अनुसार, ‘फसल बीमा योजना में स्पष्ट है कि आपदा की वजह से खराब हुई फसल की सूचना 24 घंटे के अंदर दी जा सकती है, लेकिन बीमा कंपनी का टोल फ्री नंबर काम नहीं कर रहा। जो मेल आईडी हमें उपलब्ध कराई गई, उस पर मेल नहीं जा रहे। 24 घंटे बीत जाने के बाद कंपनी क्लेम घटा देती हैं।’

हनुमानगढ़ जिले के कृषि इंश्योरेंस अधिकारी राजेश सिहाग ने डाउन-टू-अर्थ को बताया कि अभी नुकसान का आंकलन नहीं किया गया है, लेकिन ज्यादातर नुकसान नोहर तहसील में ही हुआ है। शुक्रवार को नुकसान के आंकलन के लिए टीम भेजी जा रही है। 

भरतपुर जिले के बयाना के खरेरी गांव के रहने वाले शिवदयाल रावत (55) बीते 20 सालों से पान की खेती करते हैं। ओलों से रावत की इस सीजन की पूरी फसल बर्बाद हो गई है। वे कहते हैं, ‘हमारा पिछले चार-पांच साल से पान की फसल का लगातार नुकसान हो रहा है। 2019 में सर्दी से पान खराब हो गए। 2020 मार्च में कोरोना के कारण लॉकडाउन हुआ। बाजार बंद हो गए तो पान बिका ही नहीं। अब इस साल थोड़ी उम्मीद थी, लेकिन बारिश ने उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया। पान के पत्तों में छेद हो गए हैं।’ 

शिवदयाल आगे कहते हैं, ‘पान की फसल में एक बिस्वा में तीन क्यारियां लगाई जाती हैं। तीनों की लागत करीब 15 हजार रुपए होती है। मैंने इस साल 60 बिस्वा में पान की खेती की। बारिश से पूरी फसल खराब हुई है। मंडी में 200 पान के पत्तों की टोकरी की कीमत कम से कम 200 रुपए तो होती ही है। पत्तों में छेद होने से मंडी में 200 पत्तों की रेट मुश्किल से 40 रुपए मिलेगी। 

गांव में पान की खेती करने वाले करीब 125 लोग करते हैं। आज से 10 साल पहले तक 250-300 किसान पान की खेती करते थे, लेकिन लगातार होने वाले नुकसान के कारण आधे किसान मजदूरी के लिए शहरों में पलायन कर गए हैं।’

जयपुर मौसम केन्द्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा के अनुसार 11 व 12 मार्च को दो दिनों में प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा और इसी के कारण बारिश और ओले गिर सकते हैं। जयपुर मौसम केन्द्र के एक और अधिकारी अजय भारद्वाज कहते हैं, ‘इस मौसम में ओले गिरना कोई असमान्य घटना नहीं है। पश्चिमी विक्षोभ के चलते ऐसा हुआ है। इस वक्त उत्तर से हवाएं चलती हैं, लेकिन बीते कुछ दिन में ये पश्चिम की तरफ से आ रही हैं। इसी वजह से मौसम में बदलाव आया है।’