मौसम

सूखे हिमाचल में बर्फ व बारिश के लिए देवी देवताओं की शरण में पहुंचे लोग

हिंदू और बौध धर्म के लोग मंदिरों और मठों में बारिश, बर्फबारी के लिए विशेष पूजा-पाठ कर रहे हैं

Rohit Prashar

हिमाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी के लिए प्रार्थनाओं का दौर शुरू हो गया है। मौसमी की बेरुखी के चलते पिछले तीन माह से बारिश और बर्फबारी नहीं हो रही है। बारिश और बर्फबारी करवाने के लिए हिमाचल के हिंदू और बौद्ध धर्म के लोग मंदिरों और मठों में विशेष पूजा करवा रहे हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हिमाचल प्रदेश में दो ऐसे बड़े देवता हैं जिन्हें बारिश का देवता माना जाता है।

ऐसे में हिमाचल के बड़ा देव कमरूनाग और इंद्रू नाग के पास लोगों की ओर से विशेष पूजा पाठ किया जा रहा है। वहीं बौद्ध धर्म के अनुयायी भी लाहौल स्पीति, किन्नौर और धर्मशाला क्षेत्र में पूजा पाठ और हवन कर रहे हैं। इतना ही नहीं, स्पीति क्षेत्र के हिंदू और बौद्ध धर्म के लोगों ने मिलकर 4,590 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कुंजम पास में जाकर बारिश के लिए पूजा अर्चना की है।

इसके स्पीति घाटी बौद्ध धर्म के लोगों ने 1 हजार वर्ष से पुराने बौद्ध मठ कीह मठ में जाकर विशेष पूजा की और बारिश व बर्फबारी करवाने की गुहार लगाई। इस धार्मिक अनुष्ठान में तोत वैली के सभी गांव आए लोगों ने भाग लिया।

रोहडू क्षेत्र के बागवान जोगेंद्र शर्मा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि बारिश और बर्फबारी न से सभी लोग परेशान हैं और बारिश करवाने के लिए लोग अब भगवान की शरण में चले गए हैं। देवता को मनाने के लिए विशेष पूजा अर्चना का दौर शुरू हो गया है और उनका मानना है कि देवता अपने लोगों को राहत पहुंचाने के लिए शिघ्र ही बारिश व बर्फबारी करवाएंगे।

मंडी जिला में बारिश के सबसे बड़े देवता के पास भी क्षेत्र वासियों ने बारिश व बर्फबारी के लिए पिछले दो सप्ताह में विशेष पूजा पाठ करवाया है और देव गुरों ने शिघ्र की बारिश करवाने की भविष्यवाणी की है।

बड़े देवताओं के पास हाजरी लगाने के साथ हिमाचल के गावों के ग्राम्य देवता के पास भी लोग बारिश व बर्फबारी के लिए छोटे-छोट अनुष्ठानों का आयोजन करवा रहे हैं ताकि किसी भी सूरत में देवता मान जाएं और प्रदेश में बारिश और बर्फबारी हो जाए।

लंबे समय से बारिश न होने के चलते हिमाचल प्रदेश में फल व फसलों को भारी नुकसान पहुंच रहा है। जहां फसलें सूखने की कगार पर हैं। वहीं, सेब के लिए चिलिंग ऑवर पूरे न होने का डर बागवानों को सताने लगा है। मौसम विभाग के अनुसार इस साल पिछले 122 वर्षाें का बारिश का रिकॉर्ड टूट गया है। साथ ही विभाग ने अभी 24 जनवरी तक बारिश और बर्फबारी के कम ही आसार बताए हैं।

लाहौल स्पीति क्षेत्र के शाम आजाद ने डाउन टू अर्थ को बताया कि बारिश और बर्फबारी के लिए लोग हिंदू और बौद्ध मठों में विशेष पूजा अर्चना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि समय पर बारिश व बर्फबारी होने की वजह से हमारे क्षेत्र में बहुत सी दिक्कतें होंगी। जिससे बचने के लिए अब लोगों के पास देवता के अलावा अब और कोई चारा नहीं बचा हुआ है।