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भारत में इस साल सामान्य रहेगा मानसून, कम बारिश के लिए तैयार रहें बिहार, झारखण्ड: स्काईमेट

स्काईमेट ने जहां महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में अच्छी बारिश की उम्मीद जताई है। वहीं दूसरी तरफ बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में सामान्य से कम बारिश के आसार हैं

Lalit Maurya

भारत में भीषण गर्मी की आशंकाओं के बीच मानसून को लेकर अच्छी खबर सामने आई है। इस बारे में निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट ने जानकारी दी है कि 2024 में मानसून सामान्य रहने की उम्मीद है। एजेंसी ने जहां महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में अच्छी बारिश की उम्मीद जताई है। वहीं बिहार, झारखंड समेत कुछ राज्यों में सामान्य से कम बारिश के आसार हैं।

गौरतलब है कि जून से सितंबर की चार महीनों की अवधि में औसतन 868.6 मिलीमीटर बारिश को सामान्य माना जाता है। स्काईमेट ने सम्भावना जताई है कि इस दौरान 102 फीसदी बारिश हो सकती है। जो देश में फसलों के लिए अच्छा संकेत है।

बता दें कि भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) लम्बी अवधि के दौरान बारिश में चार फीसदी के उतार-चढ़ाव को सामान्य मानता है। इससे पहले 12 जनवरी 2024 को स्काईमेट ने अपना पहला पूर्वानुमान जारी किया था, जिसमें भी 2024 में मानसून के 'सामान्य' रहने की सम्भावना जताई गई थी।

इस बारे में स्काईमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि, “अल नीनो तेजी से ला नीना में तब्दील हो रहा है। ला नीना वर्ष के दौरान मानसून आमतौर पर मजबूत रहता है।"

उनका यह भी कहना है कि जब भी सुपर अल नीनो बदलकर मजबूत ला नीना का रूप लेता है तो उस साल मानसून सीजन अच्छा रहता है। हालांकि उन्होंने इस बात की भी आशंका जताई है कि अल नीनो के बचे असर के चलते मानसून की शुरूआत थोड़ी देर से हो सकती है। साथ ही अल नीनो से ला नीना में तेज बदलाव भी सीजन की शुरूआत पर असर डाल सकता है। वहीं सीजन के दूसरे भाग में शुरूआती चरण की तुलना में अच्छी बारिश हो सकती है।

इसके साथ ही स्काईमेट ने मानसून सीजन में बारिश के असमान रहने की भी आशंका जताई है। इसका मतलब है कि देश में कहीं ज्यादा तो कहीं कम बारिश हो सकती है।

बिहार, झारखंड, ओडिशा में कम बारिश के लिए रहें तैयार

स्काईमेट का अनुमान है कि देश के दक्षिण, पश्चिम और उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में काफी अच्छी बारिश हो सकती है। वहीं, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के प्रमुख मानसूनी इलाकों में भी पर्याप्त बारिश होगी। केरल, कोंकण, कर्नाटक और गोवा में भी सामान्य से अधिक बारिश होगी।

वहीं दूसरी तरफ बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के पूर्वी हिस्सों में जुलाई और अगस्त के दौरान कम बारिश की आशंका है। इसी तरह पूर्वोत्तर भारत में सीजन के पहले दो महीनों के दौरान सामान्य से कम बारिश होने की आशंका बनी हुई है। देश के मध्य भागों में बारिश सामान्य रहेगी।

इस बारे में जारी रिपोर्ट के मुताबिक जहां जून में सामान्य (165.3 मिलीमीटर) से 95 फीसदी बारिश हो सकती है। वहीं जुलाई में यह सम्भावना बढ़कर 105 फीसदी पर पहुंच जाएगी। बता दें कि जुलाई के दौरान देश में औसतन 280.5 मिमी बारिश होती है। इसी तरह अगस्त में बारिश का यह आंकड़ा सामान्य (254.9 मिमी) से  98 फीसदी रह जाएगा। वहीं सितंबर में लंबी अवधि के औसत के मुकाबले 110 फीसदी बारिश हो सकती है। गौरतलब है कि सितंबर में औसतन 167.9 मिमी बारिश होती है।

भारतीय मौसम विभाग ने आशंका जताई है कि अप्रैल से जून के बीच देश के विभिन्न हिस्सों में दस से 20 दिन लू का कहर पड़ सकता है। सामान्य तौर पर इस दौरान चार से दिन लू रिकॉर्ड की जाती है।

आंकड़ों की माने तो देश में अभी भी करीब आधी कृषि भूमि पर सिंचाई की सुविधा मौजूद नहीं है और वो इसके लिए मानसून के दौरान होने वाली बारिश पर निर्भर है। देश में धान, मक्का, गन्ना, कपास और सोयाबीन जैसी फसलें कहीं न कहीं मानसूनी बारिश पर निर्भर रहती हैं।

यानी देखा जाए तो मानसून के अच्छे या खराब होने का असर सीधे तौर पर फसलों पर पड़ता है। जो अर्थव्यवस्था पर भी असर डालता है। ऐसे में यदि मानसून का सीजन खराब हो तो उसके चलते पैदावार घट जाते है और उसका खामियाजा किसानों और महंगाई के रूप में आम आदमी पर पड़ता है।