भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार दक्षिण पश्चिम मानसून ने अपने आने की सामान्य तिथि से एक दिन पहले 21 मई, 2021 को बंगाल की खाड़ी, अंडमान सागर और निकोबार द्वीप समूह में दस्तक दे दी है। यह अनुमान मौसम विभाग द्वारा 14 मई को जारी पूर्वानुमान के अनुरूप है, जिसके अनुसार इस बार मानसून अपने सामान्य समय से एक दिन पहले यानी 31 मई को ही केरल में बारिश कर सकता है|
हालांकि सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि मौसम के शुरुवाती दिनों में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में तीव्र चक्रवाती गतिविधियों के चलते मानसून प्रभावित हो सकता है| इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (आईआईटीएम), पुणे के जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने बताया कि, चक्रवात 'यास' मानसूनी हवाओं और नमी को उत्तरी खाड़ी की ओर खींच सकता है, जिसके परिणामस्वरूप उस क्षेत्र में बारिश की जल्दी शुरुआत हो सकती है|
गौरतलब है कि 24 मई को चक्रवात यास बंगाल की खाड़ी के मध्य में बना था। वहीं आशंका है कि यह 26 मई को ओडिशा के पारादीप और पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप समूह के बीच एक अति गंभीर चक्रवात के रूप में टकरा सकता है।
इस बारे में मैरीलैंड विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक रघु मुर्तुगुडे ने बताया कि, "पिछले साल चक्रवात अम्फान और निसर्ग की वजह से मानसून समय पर पहुंचा था जिसके बारे में भविष्यवाणी की गई थी कि 5 जून से शुरुवात करेगा। इस साल, चक्रवात यास भी उसी तरह मानसून को प्रभावित कर सकता है।"
पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च, जर्मनी की जलवायु वैज्ञानिक और मॉस्को में रूसी एकेडमी ऑफ साइंसेज के स्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट की प्रमुख शोधकर्ता एलेना सुरोव्यात्किना ने बताया कि, "केरल में मानसून की शुरुवात, पूरे देश में मानसून की प्रगति का संकेत नहीं देती है।" उनके अनुसार
चक्रवाती तूफान तौकते ने निश्चित रुप से मानसून की शुरुवात को प्रभावित किया है। हालांकि, इस तरह मानसून से पहले होने वाली भारी बारिश आमतौर पर सुव्यवस्थित मानसून प्रणाली को नष्ट कर देती है, जिसके परिणामस्वरूप मानसून देर से आगे बढ़ता है।
उन्होंने सम्भावना व्यक्त की है कि मानसून जून के अंत तक मध्य भारत में पहुंचेगा, जो इस क्षेत्र में मानसून के पहुंचने के सामान्य समय से दो सप्ताह बाद है| उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की है कि तेलंगाना में 24 जून से 2 जुलाई के बीच मानसून की शुरुवात हो सकती है। आमतौर पर इस क्षेत्र में मानसून की शुरुआत 10 जून को होती है। अंततः 11 से 19 जुलाई के बीच मानसून दिल्ली पहुंच सकता है, जिसके अपने सामान्य समय से दो सप्ताह बाद पहुंचने के आसार हैं। आमतौर पर दिल्ली में 27 जून तक मानसून दस्तक देता है|
उनके अनुसार मानसून में देरी की सम्भावना इसलिए हैं क्योंकि अप्रैल 2021 के दौरान पश्चिमी साइबेरिया के ऊपर एक उच्च वायुमंडलीय दबाव क्षेत्र बना था, जिसके कारण उस क्षेत्र में सामान्य से अधिक तापमान था। इस उच्च दबाव वाले क्षेत्र से पश्चिम की ओर ठंडी ध्रुवीय हवा चली थी, जिसके कारण आइसलैंड से भूमध्यसागर और काला सागर तक एक बड़े क्षेत्र में सामान्य से कम तापमान रिकॉर्ड किया गया था|
यही नहीं पूर्वी साइबेरिया, चीन और पूर्वी प्रशांत महासागर के अधिकांश उष्ण और उपोष्णकटिबंधीय हिस्सों में हवा का तापमान औसत से नीचे था। वहीं उत्तरी पाकिस्तान और भारत के मध्यवर्ती और उत्तरी हिस्सों में तापमान औसत से लगभग तीन से चार डिग्री सेल्सियस कम था।
सुरोव्यात्किना ने बताया कि, "मुझे पूरी उम्मीद है कि मानसून की शुरुआत के दौरान, तापमान की यह प्रवृत्ति बनी रहेगी। यदि ऐसा है, तो यह मानसून की शुरुआत को अव्यवस्थित कर सकता है| ऐसे में बारी-बारी से समय से पहले बारिश और सूखे मौसम के चलते भारत के मध्यवर्ती हिस्सों में मानसून की शुरुवात देर से होगी|