जून के पहले तीन सप्ताह के दौरान हुई भारी बारिश ने जहां उत्तराखंड में जनजीवन असामान्य कर दिया है, वहीं एक बार फिर यह बात साबित हुई है कि उत्तराखंड में मौसम की मनमानी बढ़ती जा रही है। जो यहां के लोगों पर भारी पड़ रही है।
आम तौर पर उत्तराखंड में मानसून 21 जून को पहुंचता है, लेकिन इस बार 13 जून को पहुंच गया और आलम यह है कि 22 जून तक सामान्य से 128 प्रतिशत अधिक रहा। हालांकि यह बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन समस्या तब बहुत बढ़ जाती है, जबकि एक ही इलाके में बहुत अधिक बारिश हो जाए। उत्तराखंड के साथ भी ऐसा ही हुआ। केवल चमोली जिले में 485 फीसदी अधिक बारिश हुई। जबकि बागेश्वर जिले में 328 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई।
मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जून की पहले तीन सप्ताह के दौरान 13 में से 11 जिलों में बहुत अधिक बारिश (लार्ज एक्सेस) हुई है। जबकि दो जिलों में सामान्य से अधिक (एक्सेस) बारिश रिकॉर्ड की गई। मौसम विभाग सामान्य से 60 फीसदी अधिक बारिश होने की स्थिति को लार्ज एक्सेस मानता है।
मौसम विभाग के मुताबिक, 1 से 22 जून के बीच उत्तराखंड में सामान्य बारिश 104.4 मिलीमीटर (मिमी) बारिश होती है, लेकिन इस साल 238.1 एमएम हो चुकी है। सबसे अधिक बारिश चमोली में हुई है। यहां सामान्य बारिश 62.1 एमएम रिकॉर्ड की जाती है, लेकिन इस साल अब तक 363.6 एमएम बारिश हो चुकी है। दूसरे नंबर पर बागेश्वर है, यहां सामान्य बारिश 96 एमएस रिकॉर्ड होती है, जबकि इस साल 410 एमएम बारिश दर्ज की जा चुकी है। ये दोनों जिले आपस में सटे हैं।
इसके अलावा अल्मोड़ा में 272.7 मिमी, चंपावत में 333 मिमी, देहरादून में 162 मिमी, हरिद्वार में 95.7 नैनीताल में 227.8 मिमी, पौड़ी गढ़वाल में 188.4 मिमी, पिथौरागढ़ में 299.6 मिमी, रुद्रप्रयाग में 303.5 मिमी, टिहरी गढ़वाल में 163.2 मिमी, उधम सिंह नगर में 155 मिमी, उत्तरकाशी में 140.3 मिमी बारिश हो चुकी है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि आमतौर पर उत्तराखंड में जुलाई और अगस्त माह में अधिक बारिश हुई है, लेकिन इस साल जून में ही भारी बारिश से शुरुआत हुई है। बल्कि दो-तीन जिले ऐसे हैं, जहां बहुत अधिक बारिश हुई है, जिसके चलते वहां लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। 1981 से 2010 के बीच हुई औसत (मीन) बारिश की बात करें तो जून माह में उत्तराखंड में औसत बारिश 231.7 मिमी होनी चाहिए, जबकि जुलाई में 642.5 और अगस्त में 686.4 मिमी बारिश होती है। जबकि 2021 में जून के 22 दिन में 238.1 मिमी बारिश हो चुकी है और अगर यही ट्रेंड रहा तो जुलाई-अगस्त में भारी बारिश के आसार हैं। हालांकि मौसम विभाग ने मानसून का पूर्वानुमान लगाते हुए कहा था कि इस साल मानसून सामान्य रहेगा।
पिछले साल 2020 की बात करें तो पूरा मानसून सीजन के दौरान यहां औसत से 80 फीसदी बारिश हुई थी। यानी कि सामान्य से 20 फीसदी कम बारिश हुई थी। अकेले जून माह में 82 फीसदी बारिश हुई थी। उत्तराखंड में दीर्घकालिक औसत यानी सामान्य बारिश 1176.9 मिमी मानी जाती है, लेकिन जून से सितंबर 2020 के बीच उत्तराखंड में केवल 942.7 मिमी बारिश हुई। यही वजह रही कि सितंबर 2020 से लेकर मार्च 2021 के बीच उत्तराखंड के जंगल लगातार जलते रहे। जनवरी और फरवरी 2021 में राज्य में ठंड नहीं पड़ी।
दरअसल उत्तराखंड उन राज्यों में शामिल है, जो तेजी से जलवायु परिवर्तन का शिकार हो रहा है। यही वजह है कि यहां मौसम की मनमानी बढ़ती जा रही है। इस वजह से बादल फटना, बाढ़, अधिक गर्मी की वजह से जंगलों की आग, भूस्खलन, जैसी घटनाएं बढ़ी हैं।