उत्तर भारत के दो और पहाड़ी राज्यों में से एक हिमाचल प्रदेश में सामान्य की अपेक्षा आठ फीसदी अधिक बारिश, वहीं, जम्मू और कश्मीर में 10 फीसदी की गिरावट रिकॉर्ड की गई है।  
मौसम

मानसून 2025: जुलाई में सात राज्यों में बारिश में कमी, मात्र दो राज्यों में सामान्य से बहुत ज्यादा बारिश

पूरे देश में एक से 29 जुलाई, 2025 तक बारिश में सात फीसदी तक की वृद्धि देखी गई, चार राज्य में सामान्य से अधिक बारिश हुई, 23 राज्य ऐसे हैं जहां सामान्य बारिश दर्ज की गई है।

Dayanidhi

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने 2025 के मानसून के मौसम में सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान लगाया था। जलवायु परिवर्तन के कारण इस मौसम में अनियमित वर्षा पैटर्न और चरम मौसम की घटनाएं भी देखी गई है।

इसमें समय से पहले बारिश शुरू होने, भीषण बारिश की घटनाएं और विभिन्न इलाकों में बारिश में असमान वितरण भी देखा जा रहा है। जुलाई के महीने मेघालय में 56 फीसदी बारिश की कमी जबकि राजस्थान में सामान्य से 89 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है।

मानसून के मौसम का दूसरा महीना, यानी जुलाई अपने अंतिम पड़ाव पर है, देश के कुछ ही राज्य हैं जहां इस महीने सामान्य से अधिक बारिश हुई है। विभाग के बारिश संबंधी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मात्र दो ही राज्य ऐसे हैं जहां सामान्य से बहुत अधिक बारिश दर्ज की गई है, इन राज्यों में केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख और राजस्थान शामिल हैं।

मौसम विभाग के राज्यवार बारिश का ताजा अपडेट देखें तो पूरे देश में एक जुलाई से 29 जुलाई, 2025 तक बारिश में सात फीसदी तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है। जबकि चार राज्य ऐसे हैं जहां सामान्य से ज्यादा बारिश हुई, 23 राज्य ऐसे है जहां सामान्य की करीब बादल बरसे हैं। सात राज्यों को बारिश में भारी कमी का सामना करना पड़ा है, इन राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय, सिक्किम, दिल्ली, बिहार और केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप शामिल हैं।

पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में कितनी हुई बारिश?

देश के अलग-अलग हिस्सों में अब तक हुई बारिश पर नजर डालें तो पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश में एक से 29 जुलाई, 2025 के दौरान सामान्य से 44 फीसदी बारिश कम हुई, इस बीच यहां सामान्य रूप से 957.2 मिमी तक बारिश होती है जबकि पानी मात्र 533.6 मिमी ही बरसा। वहीं असम में बारिश में 41 फीसदी की गिरावट रिकॉर्ड की गई, यहां भी आमतौर पर 839.6 मिमी बारिश होती है जबकि यहां, इस दौरान 492.7 मिमी तक ही बारिश हुई।

मेघालय में 56 फीसदी की कमी, नागालैंड में तीन फीसदी की गिरावट देखी गई है, विभाग ने मेघालय को बारिश में कमी की श्रेणी में जबकि नागालैंड को सामान्य श्रेणी के रूप में रखा है। मणिपुर में 18 फीसदी की कमी, जबकि मिजोरम में चार फीसदी और त्रिपुरा में तीन फीसदी की बढ़ोतरी को भी सामान्य बारिश के रूप में रखा गया है। सिक्किम में 24 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, पूर्वोत्तर भारत के इस राज्य को भी बारिश में कमी की श्रेणी में रखा गया है।

एक जुलाई से 29 जुलाई, 2025 के दौरान पश्चिम बंगाल में सामान्य से मात्र एक फीसदी की, यानी सामान्य से मामूली बढ़ोतरी को भी सामान्य की श्रेणी में रखा गया है। वहीं, झारखंड में सामान्य से 53 फीसदी ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई, जबकि बिहार में सामान्य के मुकाबले बारिश में 40 फीसदी की गिरवाट रिकॉर्ड की गई है, विभाग ने इसे बारिश में कमी की श्रेणी में स्थान दिया है।

उत्तर पश्चिम भारत में कितने बरसे बादल ?

एक से 29 जुलाई, 2025 के दौरान उत्तर पश्चिम भारत में बारिश की बात करें तो उत्तर प्रदेश में सामान्य की तुलना में आठ फीसदी की कमी देखी गई है, जिसे सामान्य बारिश के रूप में रखा गया है। वहीं पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में सामान्य बारिश हुई, न ज्यादा न कम, यानी इस दौरान यहां 566.0 मिमी तक बारिश होती है जबकि 567.0 मिमी तक बादल बरसे।

हरियाणा में सामान्य से 12 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई, जबकि चंडीगढ़ में सामान्य की अपेक्षा नौ फीसदी तक बारिश में गिरावट दर्ज की गई, हालांकि मौसम विभाग ने इन दोनों राज्यों को बारिश के सामान्य श्रेणी में रखा है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस अवधि के दौरान बारिश में सामान्य के मुकाबले 26 फीसदी की कमी रेकॉर्ड की गई है, यहां इस दौरान आमतौर पर 239.4 मिमी तक बारिश होती है, जबकि केवल 178.1 मिमी ही बरसे बादल। वहीं पंजाब में सामान्य से तीन फीसदी बारिश कम दर्ज की गई जिसे बारिश के सामान्य से अधिक की श्रेणी में शामिल किया गया है।

वहीं उत्तर भारत के दो और पहाड़ी राज्यों में से एक हिमाचल प्रदेश में सामान्य की अपेक्षा आठ फीसदी अधिक बारिश, वहीं, जम्मू और कश्मीर में 10 फीसदी की गिरावट रिकॉर्ड की गई है। केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख में 161 फीसदी, यानी सामान्य के मुकाबले बहुत अधिक बारिश रेकॉर्ड की गई, जबकि राजस्थान में भी सामान्य से 89 फीसदी अधिक बारिश हुई, यानी इन दोनों राज्यों को सामान्य से बहुत ज्यादा बारिश की श्रेणी में इसे रखा गया है।

मध्य भारत में क्या रहा बारिश का हाल ?

मध्य भारत में बारिश संबंधी मौसम विभाग के एक से 29 जुलाई, 2025 तक के आंकड़े देखें तो ओडिशा में इस दौरान सामान्य से 13 फीसदी अधिक बारिश बारिश दर्ज की गई, यहां अमूमन इस दौरान 526.4 मिमी तक बारिश होती है, जबकि 595.9 मिमी ही बरसा पानी, यानी यहां सामान्य बारिश हुई। वहीं मध्य प्रदेश में 55 फीसदी अधिक पानी बरसा, यानी सामान्य के मुकाबले यहां ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई।

इसी अवधि के दौरान गुजरात में सामान्य की अपेक्षा 33 फीसदी, यानी अधिक बारिश बारिश हुई। वहीं, केन्द्र शासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव सामान्य से 25 फीसदी बारिश दर्ज की गई, इसे भी बारिश के सामान्य से ज्यादा की श्रेणी में रखा गया है।

गोवा में सामान्य से एक फीसदी अधिक बारिश हुई, मौसम विभाग ने इसे सामान्य की श्रेणी में रखा है। जबकि महाराष्ट्र में सामान्य के मुकाबले पांच फीसदी तथा छत्तीसगढ़ में बारिश में सामान्य से 14 फीसदी अधिक बारिश हुई इन तीनों राज्यों को बारिश के लिए सामान्य श्रेणी में रखा गया है।

भारत के दक्षिणी प्रायद्वीप में कितने बरसे बादल?

भारत के दक्षिणी प्रायद्वीप में एक से 29 जुलाई, 2025 के दौरान बादलों के बरसने की बात करें तो, केंद्र शासित प्रदेश अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह में इस दौरान सामान्य की अपेक्षा 12 फीसदी अधिक बारिश हुई, यहां आमतौर पर 777.0 मिमी बारिश होती हैं जबकि इस दौरान सामान्य से अधिक यानी 872.2 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।

आंध्र प्रदेश में सामान्य के मुकाबले बारिश में 16 फीसदी बारिश कम हुई, जबकि तेलंगाना में सामान्य से तीन फीसदी कम बरसे बादल, हालांकि दोनों राज्यों को सामान्य की श्रेणी में स्थान दिया गया है। तमिलनाडु में सामान्य की अपेक्षा 10 फीसदी की कमी रिकॉर्ड की गई। पुडुचेरी में साथ फीसदी कम गिरा पानी, यानी बारिश के सामान्य श्रेणी में रखा गया है।

दक्षिण भारत के कर्नाटक में सामान्य की अपेक्षा 10 फीसदी बारिश अधिक हुई, हालांकि मौसम विभाग ने इसे सामान्य की श्रेणी में रखा है। जिस राज्य में हर बार दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत होती है, इस बार तो यह समय से पहले दस्तक दे चुका था, यानी केरल में एक फीसदी की कमी के साथ इसे भी सामान्य की श्रेणी में रखा गया है।

लक्षद्वीप में सामान्य के मुकाबले 12 फीसदी अधिक बरसे बादल, आमतौर पर यहां एक से लेकर 29 जुलाई तक 438.2 मिमी तक बारिश होती है जबकि 491.7 फीसदी बारिश रिकॉर्ड की गई, यानी इस राज्य में भी सामान्य रूप से बरसे बादल। दक्षिण-पश्चिम मानसून के सबसे पहले दस्तक देने वाले राज्य, केरल में इस अवधि के दौरान बारिश में सामान्य से सात फीसदी की कमी के साथ इसे भी सामान्य की श्रेणी में रखा गया है।

लक्षद्वीप में सामान्य के मुकाबले 23 फीसदी बादल कम बरसे हैं, यहां एक से लेकर 29 जुलाई तक अमूमन 611.7 मिमी तक बारिश होती है जबकि 469.5 फीसदी बारिश रिकॉर्ड की गई, यानी इस राज्य में भी बारिश में कमी दर्ज की गई है।