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मौसम

मॉनसून 2025: सामान्य से अधिक बारिश की संभावना, पूर्वोत्तर रह सकता है सूखा

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 27 मई 2025 को जारी मॉनसून का पूर्वानुमान जारी किया

Raju Sajwan

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने वर्ष 2025 के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के लिए दूसरा चरण का पूर्वानुमान जारी किया है। 27 मई 2025 को जारी इस पूर्वानुमान के अनुसार, देश भर में इस बार मॉनसून सामान्य से बेहतर रहने की संभावना है।

मौसम विभाग के अनुसार, जून से सितंबर के बीच पूरे देश में औसतन 106 प्रतिशत वर्षा हो सकती है, जिसमें ±4 प्रतिशत परिवर्तन की संभावना है।

मौसम विभाग का कहना है कि मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में इस बार सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। वहीं उत्तर-पश्चिम भारत में बारिश सामान्य सीमा के भीतर रहने की संभावना है।

हालांकि पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। विभाग ने यह भी बताया कि देश के ‘मॉनसून कोर जोन’, यानी वह क्षेत्र जहां वर्षा आधारित खेती पर निर्भरता अधिक है, वहां भी इस वर्ष सामान्य से अधिक वर्षा के आसार हैं।

जून 2025 के लिए अलग से जारी किए गए पूर्वानुमान में कहा गया है कि इस महीने देश भर में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। साथ ही अधिकतम तापमान अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य या उससे कम रह सकता है, जबकि न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। इससे दिन के समय गर्मी कुछ कम महसूस हो सकती है, लेकिन रातें अपेक्षाकृत गर्म रहेंगी।

समुद्री स्थितियों की बात करें तो मौसम विभाग ने बताया है कि वर्तमान में प्रशांत महासागर क्षेत्र में अल नीनो और ला नीना की स्थिति तटस्थ बनी हुई है, जिसे इएनएसओ (अल नीनो-सदर्न ऑस्सीलेशन) कहा जाता है। इसी प्रकार, हिंद महासागर में भी आइओडी (हिंद महासागर द्विध्रुव) की स्थिति तटस्थ है, लेकिन मानसून के दौरान इसके थोड़ा कमजोर नकारात्मक रूप में विकसित होने की संभावना है।

मौसम विभाग ने यह भी बताया है कि जून के महीने में देश के अधिकांश हिस्सों में हीटवेव यानी लू के दिनों में सामान्य से कमी रहेगी। खासकर उत्तर-पश्चिम भारत और मध्य भारत में यह राहत की बात है, जहां हर वर्ष गर्मी का प्रभाव अधिक होता है।

इस वर्ष मानसून सामान्य से बेहतर रहने का संकेत न केवल किसानों के लिए बल्कि जल-संसाधन प्रबंधन, ऊर्जा उत्पादन और आम जनजीवन के लिए भी सकारात्मक माना जा रहा है। हालांकि, मौसम विभाग ने वर्षा के साथ आने वाले संभावित जोखिमों जैसे बाढ़, भूस्खलन यातायात बाधाओं से निपटने के लिए सावधानी बरतने की सलाह भी दी है।