12 राज्यों में अधिक, 18 राज्यों में सामान्य बारिश, जबकि चार राज्यों (अरुणाचल, असम, मेघालय और बिहार) में कमी रही।
लद्दाख में 342 फीसदी और राजस्थान में 63 फीसदी अधिक बारिश, वहीं मेघालय में 42 फीसदी की भारी कमी।
पूर्वोत्तर में संकट, उत्तर-पश्चिम में राहत, पूर्वोत्तर भारत में बारिश की भारी कमी, लेकिन पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल में सामान्य से काफी अधिक।
जलवायु परिवर्तन का असर – बारिश का वितरण असमान, कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा, किसानों और जल सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती।
जलवायु परिवर्तन के कारण भारतीय मानसून तेजी से अस्थिर और तीव्र होता जा रहा है। इससे कहीं अत्यधिक बारिश हो रही है, तो कहीं सूखा पड़ रहा है। यह परिवर्तन विशेष रूप से किसानों के लिए चिंता का कारण बन गया है, क्योंकि बारिश की समय-सीमा और मात्रा अब भरोसेमंद नहीं रही।
गर्म वातावरण में नमी अधिक होती है, जिससे भारी बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं और बाढ़ जैसी स्थितियां पैदा हो रही हैं। वहीं दूसरी ओर बारिश अब छोटे अंतरालों में अत्यधिक मात्रा में होती है, जिससे लंबे सूखे दौर देखने को मिलते हैं। इससे मिट्टी की नमी कम हो जाती है और फसलें प्रभावित होती हैं।
भारत में मानसून 2025 का सफर एक जून से 29 सितंबर तक मिला-जुला रहा। पूरे देश में औसतन आठ फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई, लेकिन राज्यवार स्थिति काफी असमान रही। कहीं बादलों ने जमकर बरसात की तो कहीं सूखे जैसी स्थिति बनी रही।
मौसम विभाग के बारिश संबंधी आंकड़ों को देखें तो मानसून के इस मौसम में, 29 सितंबर, 2025 तक मात्र दो राज्य ऐसे हैं जहां बहुत अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है, इन राज्य में केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख और राजस्थान शामिल हैं। लद्दाख में इस दौरान सामान्य से 342 फीसदी बारिश अधिक रिकॉर्ड की गई, जबकि राजस्थान में 63 फीसदी अधिक बरसे बादल।
विभाग के राज्यवार बारिश के आंकड़े बताते हैं कि पूरे देश में एक जून से 29 सितंबर, 2025 तक बारिश में लगभग आठ फीसदी तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है। जबकि इसी दौरान 12 राज्य ऐसे हैं जहां सामान्य से ज्यादा बारिश हुई, 18 राज्य ऐसे हैं जहां सामान्य बारिश दर्ज की गई है।
जबकि एक जून से 29 सितंबर, 2025 तक चार राज्यों में बारिश में कमी दर्ज की गई है। इन राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय, नागालैंड और बिहार शामिल हैं, इनमें भी बारिश में सबसे ज्यादा 42 फीसदी की कमी मेघालय में दर्ज की गई है।
🌧️ पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में कितना बरसा पानी?
देश के अलग-अलग हिस्सों में मानसूनी बारिश पर गहराई से नजर डालें तो पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश में एक जून से 29 सितंबर, 2025 के बीच सामान्य से 41 फीसदी बारिश कम हुई, इस बीच यहां सामान्य रूप से 1668.9 मिमी तक बारिश होती हैं जबकि 979.3 मिमी ही बादल बरसे। वहीं असम में बारिश में 33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, यहां भी सामान्य तौर पर 1473.5 मिमी बारिश होती है जबकि यहां, इस दौरान 994.5 मिमी तक ही बारिश रिकॉर्ड की गई।
सबसे अधिक बारिश के लिए जाना जाने वाले मेघालय में इस दौरान आमतौर पर 2681.6 मिमी तक बारिश होती है जबकि यहां केवल 1542.1 मिमी बारिश दर्ज की गई, यानी बारिश में सामान्य के मुकाबले 42 फीसदी की कमी दर्ज गई है। नागालैंड में सामान्य से 19 फीसदी ज्यादा बारिश हुई, मौसम विभाग के द्वारा मेघालय को बारिश में कमी की श्रेणी में जबकि नागालैंड को सामान्य श्रेणी में रखा गया है। मणिपुर में 11 फीसदी की कमी, मिजोरम में 10 फीसदी और त्रिपुरा में एक फीसदी अधिक तथा सिक्किम में 11 फीसदी को भी सामान्य के रूप में जगह दी गई है।
एक जून से 29 सितंबर, 2025 के दौरान पश्चिम बंगाल में सामान्य से एक फीसदी, यानी सामान्य से मामूली ज्यादा को भी सामान्य की श्रेणी में रखा गया है। वहीं, झारखंड में 18 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई, जबकि बिहार में सामान्य के मुकाबले बारिश में 31 फीसदी की कमी दर्ज की गई, जिसे मौसम विभाग के द्वारा सामान्य से कम बारिश की श्रेणी में रखा गया है।
🌧️ क्या उत्तर पश्चिम भारत में मेहरबान रहे बादल?
एक जून से 29 सितंबर, 2025 के दौरान उत्तर पश्चिम भारत में बादलों के बरसने की बात करें तो, उत्तर प्रदेश में सामान्य की तुलना में छह फीसदी की कमी, जिसे सामान्य बारिश के रूप में रिकॉर्ड किया गया है। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड जिसने इस मानसून में बादल फटने की घटनाओं का दंश झेला,यहां सामान्य के मुकाबले 22 फीसदी, यानी सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है। हरियाणा में 34 फीसदी अधिक बरस चुके हैं बादल, जबकि चंडीगढ़ में सामान्य की अपेक्षा 13 फीसदी अधिक बारिश हुई है, जिसे भी मौसम विभाग ने बारिश के सामान्य श्रेणी में रखा है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस दौरान बारिश में सामान्य के मुकाबले 35 फीसदी अधिक बारिश रेकॉर्ड की गई है, यहां सामान्यतया 544.0 मिमी तक बारिश होती है, जबकि 736.2 मिमी ज्यादा बरसे बादल, यानी यहां सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। वहीं पंजाब में 42 फीसदी बारिश अधिक दर्ज की गई जिसे बारिश के सामान्य से अधिक की श्रेणी में जगह दी गई है।
वहीं दो अन्य पहाड़ी प्रदेशों ने इस साल के मानसून के मौसम के दौरान बादल फटने तथा भूस्खलन की मार झेली जिसके कारण भारी जान-माल का नुकसान हुआ। हिमाचल प्रदेश में सामान्य की अपेक्षा 39 फीसदी अधिक बारिश, वहीं, जम्मू और कश्मीर में 29 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है। वहीं केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख में 342 फीसदी, यानी सामान्य के मुकाबले बहुत ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई, जबकि राजस्थान में भी सामान्य से 63 फीसदी अधिक बारिश हुई, यानी इन दोनों को बहुत ज्यादा बारिश की श्रेणी में शामिल किया गया है।
🌧️ मध्य भारत में क्या रहा बारिश का हाल?
मध्य भारत में बारिश को लेकर मौसम विभाग के एक जून से 29 सितंबर, 2025 तक के आंकड़े देखें तो ओडिशा में इस दौरान बारिश में सामान्य से एक फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, इस दौरान यहां सामान्यतया 1144.3 मिमी तक बारिश होती है, जबकि यहां 1151.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई, यानी यहां सामान्य बारिश हुई। वहीं मध्य प्रदेश में 21 फीसदी अधिक बरसे बादल, यानी सामान्य के मुकाबले अधिक बरसे बादल।
इस अवधि के दौरान गुजरात में सामान्य की अपेक्षा 25 फीसदी बारिश अधिक हुई, इसे सामान्य से अधिक की श्रेणी में शामिल किया गया है। वहीं, केन्द्र शासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव में भी 33 फीसदी बारिश हुई इसे भी बारिश के लिए सामान्य से अधिक की श्रेणी में जगह दी गई है।
गोवा में सामान्य से एक फीसदी अधिक हुई बारिश, हालांकि मौसम विभाग ने इसे सामान्य की श्रेणी में रखा है। जबकि महाराष्ट्र में सामान्य के मुकाबले 20 फीसदी अधिक बारिश हुए जिसे भी सामान्य से अधिक की श्रेणी में रखा गया है। जबकि छत्तीसगढ़ में इस अवधि के दौरान 1128.6 मिमी बादल बरसते हैं जबकि यहां 1165.9 मिमी बादल बरसे यानि तीन फीसदी की बढ़ोतरी के साथ यहां भी सामान्य बारिश रिकॉर्ड की गई।
🌧️ भारत के दक्षिणी प्रायद्वीप में कितनी हुई वर्षा?
भारत के दक्षिणी प्रायद्वीप में एक जून से 29 सितंबर, 2025 के दौरान कितने बरसे बादल, केंद्र शासित प्रदेश अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह में इस दौरान सामान्य की अपेक्षा 17 फीसदी ज्यादा बरसे बादल, यहां सामान्यतया 1618.7 मिमी बारिश होती हैं जबकि इस दौरान सामान्य से अधिक यानी 1898.2 मिमी बारिश देखी गई।
आंध्र प्रदेश में सामान्य के मुकाबले बारिश में छह फीसदी अधिक बारिश हुई, मौसम विभाग के द्वारा इसे सामान्य की श्रेणी में जगह दी गई है। जबकि तेलंगाना में सामने की अपेक्षा 31 फीसदी अधिक बरसे बादल, यानी सामान्य से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई। तमिलनाडु में इस दौरान उतनी ही बारिश हुई जितनी होती थी, यानी न कम न ज्यादा। पुडुचेरी में 34 फीसदी, यानी सामान्य अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई।
जबकि कर्नाटक में सामान्य की अपेक्षा 15 फीसदी बारिश अधिक हुई, मौसम विभाग ने इसे सामान्य की श्रेणी में शामिल किया है। जिस राज्य में हर बार दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत होती है, यानी केरल में 13 फीसदी की कमी के साथ इसे भी सामान्य की श्रेणी में रखा गया है।
लक्षद्वीप में सामान्य के मुकाबले 16 फीसदी बादल कम बरसे हैं, यहां एक जून से 29 सितंबर, 2025 तक सामान्यतः 1021.9 मिमी तक बारिश होती है जबकि यहां 856.3 मिमी ही बारिश रिकॉर्ड की गई, यानी इस राज्य को भी सामान्य की श्रेणी में रखा गया है।
भारत में एक जून से 29 सितम्बर, 2025 तक मानसून सामान्य से बेहतर रहा। यद्यपि पूर्वोत्तर भारत और कुछ दक्षिणी क्षेत्रों में कमी दर्ज की गई, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में अच्छी बारिश ने कुल औसत को संतुलित रखा। देश के पहाड़ी राज्यों में हुई तबाही को छोड़ दिया जाए तो यह साल कृषि और जल संसाधनों के नजरिए से सामान्य से बेहतर मानसून साल माना जा सकता है।