मानसून 2024  
मौसम

रिकॉर्ड बारिश और तपाने वाला रहा मॉनसून 2024, विशेषज्ञों ने जताई चिंता

इस बार 158 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश, जबकि 48 जिलों में अत्यधिक अधिक बारिश दर्ज की गई

DTE Staff

मॉनसून 2024 ने देशभर में रिकॉर्डतोड़ बारिश और असामान्य तापमान के साथ भारत को झकझोर कर रख दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के चलते मौसम का यह अस्थिर रूप देखने को मिला है। भारी वर्षा और बढ़ते न्यूनतम तापमान ने कई क्षेत्रों को प्रभावित किया और भविष्य में इस स्थिति के और गंभीर होने की आशंका जताई जा रही है।

हाल के वर्षों की तरह ही 2024 के माॅनसून में पिछले पांच सालों में सबसे अधिक बहुत ज्यादा बारिश और अचानक बाढ़ आ जाने की घटनाएं हुईं।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ( आईएमडी) की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष देशभर में सामान्य से अधिक बारिश हुई। भारत ने 1 जून से 30 सितंबर तक कुल 934.8 मिमी बारिश दर्ज की, जो मौसमी औसत 868.6 मिमी से अधिक है। माॅनसून का यह प्रदर्शन, विशेष रूप से जुलाई से सितंबर के महीनों में, अप्रत्याशित रहा, जबकि जून में अल-नीनो के प्रभाव के कारण 11 प्रतिशत की बारिश की कमी देखी गई थी।

हाल के वर्षों में माॅनसून के प्रदर्शन में वार्षिक परिवर्तनशीलता में वृद्धि देखी गई है। वैज्ञानिक माॅनसून परिवर्तनशीलता में वृद्धि जैसी चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि का श्रेय ग्लोबल वार्मिंग को देते हैं।

वर्षा की स्थिति

- 729 जिलों में से 340 जिलों में सामान्य वर्षा हुई।

- 158 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश, जबकि 48 जिलों में अत्यधिक अधिक बारिश दर्ज की गई।

- दूसरी ओर, 167 जिलों में वर्षा की कमी और 11 जिलों में गंभीर कमी दर्ज की गई।

आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त और सितंबर में रिकॉर्ड-तोड़ भारी बारिश हुई। अगस्त में 753 स्टेशनों पर और सितंबर में 525 स्टेशनों पर बहुत भारी बारिश दर्ज की गई, जो पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले सबसे अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश की तीव्रता और अस्थिरता में वृद्धि हो रही है।

जलवायु परिवर्तन और माॅनसून

वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन ने मानसून की पारंपरिक धारा को बदल दिया है। पहले जहां माॅनसून की प्रणाली उत्तर की ओर चलती थी, अब यह दक्षिण और मध्य भारत में अधिक सक्रिय हो रही है। इस बदलाव के कारण लगातार भारी बारिश और अचानक तापमान में वृद्धि देखी जा रही है।

आईएमडी के पूर्व महानिदेशक डॉ. के.जे. रमेश ने कहा, "पिछले 5-6 वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम प्रणालियों की जीवन अवधि बढ़ गई है, जिससे जमीन पर गीली मिट्टी वाले इलाकों में बारिश की तीव्रता बनी रहती है। यह वैश्विक तापमान में वृद्धि और लगातार जलवायु परिवर्तन के संकेत हैं।"

रात के तापमान में वृद्धि

भारी बारिश के बावजूद, 2024 के माॅनसून के दौरान रात के तापमान में वृद्धि दर्ज की गई। देश के मध्य और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में रात का तापमान सामान्य से अधिक रहा। पूर्वोत्तर भारत में अब तक का सबसे अधिक न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।

विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में यह वृद्धि हुई है, जिससे न केवल दिन में बल्कि रात के समय भी गर्मी का असर बढ़ रहा है। इससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है और खासकर बुजुर्गों और कमजोर स्वास्थ्य वाले लोगों के लिए यह स्थिति और खतरनाक बन रही है।

आईएमडी के पूर्व महानिदेशक डॉ. के. जे. रमेश का कहना है, "पिछले कुछ वर्षों में मौसम प्रणालियों की उम्र बढ़ी है, जिससे अधिक समय तक बारिश हो रही है। जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान में वृद्धि इस बदलाव के मुख्य कारण हैं।"

इसी तरह, आईपीई ग्लोबल के क्लाइमेट चेंज और सस्टेनेबिलिटी प्रैक्टिस हेड अभिनाश मोहंती ने कहा, "भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव अब स्पष्ट रूप से दिखने लगे हैं। 2036 तक, आठ में से दस भारतीयों पर इन अत्यधिक घटनाओं का असर होगा।"

डॉ. अक्षय देवरस, नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंस, यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग (यू.के) से कहते हैं, "जब भी बारिश के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनेंगी तो अत्यधिक बारिश की संभावना पहले से कहीं अधिक होगी। जलवायु परिवर्तन के कारण माॅनसून पहले से अधिक अस्थिर हो गया है और हमें लंबे सूखे और भारी बारिश की घटनाओं के बीच भारी अंतर देखने को मिल रहा है।"

क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला कहती हैं, "हमें अब माॅनसून के प्रदर्शन के साथ-साथ वर्षा के वितरण पर भी ध्यान देना चाहिए। चाहे सूखा वर्ष हो या भारी वर्षा का, चरम मौसम की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हमें अपने जीवन, आजीविका और पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।"

आगे की चुनौतियां

जलवायु विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में माॅनसून की अनिश्चितता और बढ़ सकती है। देश में भारी बारिश और लंबे सूखे के बीच का अंतर और गहराता जाएगा। विशेषज्ञों ने सरकार से अपील की है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए एक ठोस अनुकूलन रणनीति तैयार की जाए, ताकि जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

खराब हो सकती है स्थिति

माॅनसून 2024 ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन केवल भविष्य की चुनौती नहीं है, बल्कि वर्तमान में हमारे मौसम पैटर्न को गहराई से प्रभावित कर रहा है। भारी बारिश और बढ़ते तापमान के संयोजन ने देश के विभिन्न हिस्सों को गंभीर चुनौतियों का सामना कराया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते उचित नीतियों और ठोस अनुकूलन रणनीतियों पर काम नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में स्थिति और गंभीर हो सकती है। अब समय आ गया है कि हम जलवायु परिवर्तन के खतरों को समझें और इससे निपटने के लिए सामूहिक और टिकाऊ कदम उठाए, ताकि देश के विविध पारिस्थितिकी तंत्र, आजीविका और जनजीवन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।