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मॉनूसन 2022: परेशान करने वाले हैं खरीफ सीजन में बुआई के आंकड़े

मॉनसून 2022 देश में प्रवेश तो कर चुका है, लेकिन बारिश के शुरुआती आंकड़े किसानों के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं

Raju Sajwan

खरीफ सीजन 2022 की शुरुआत अच्छी नहीं रही है। सीजन के पहले पखवाड़े में लगभग 22 फीसदी कम बुआई की खबर है। विशेषज्ञ इसके लिए मॉनसून की बारिश को बड़ा कारण मान रहे हैं।

ऑल इंडिया कॉर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट ऑन एग्रोमेट्रोलॉजी, आईसीएआर के प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर डॉ. संतोष कुमार बल कहते हैं कि यद्यपि दक्षिणपूर्व मॉनसून सही समय पर केरल में प्रवेश कर चुका है, लेकिन बावजूद इसके दक्षिण प्रायद्वीप और मध्य भारत में 12 जून 2022 तक सामान्य से 41 एवं 69 प्रतिशत बारिश कम हुई।

वह कहते हैं कि मध्य और दक्षिणी भारत का ज्यादातर हिस्सा वर्षा आधारित सिंचाई पर निर्भर है, यही वजह है कि किसान खरीफ सीजन की बुआई शुरू नहीं कर पा रहे हैं। उनके अनुसार 15 जून तक भी दक्षिण प्रायद्वीप और मध्य भारत में 36 एवं 65 प्रतिशत बारिश कम हुई है।

कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि खरीफ सीजन की शुरुआती समय में तिलहन फसलों की बुआई सबसे अधिक प्रभावित हुई है। दलहन की फसल खासकर अरहर और मूंग की फसल की बुआई में 40 से 45 प्रतिशत की गिरावट आई है।

हालांकि अभी से यह कहना जल्दबाजी होगा कि आने वाले दिनों में खरीफ की बुआई कितनी प्रभावित होगी, लेकिन ऐसे में जब मॉनसून की रफ्तार काफी धीमी है तो फसलों की बुआई का यह आंकड़ा किसानों को परेशान कर सकता है।

कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 10 जून 2022 को समाप्त हुए सीजन के दूसरे सप्ताह तक 66.52 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों की बुआई हुए हैं, जबकि पिछले साल 2021 में इन दो सप्ताह के दौरान 85.26 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हो चुकी थी। मतलब, इस साल 18.74 लाख (21.98 प्रतिशत) हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों की बुआई नहीं हुई है।

कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की बुआई भी पिछड़ी हुई है। पिछले साल जून माह के दूसरे सप्ताह तक 6.59 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हुई थी, जबकि इस साल 6.44 लाख हेक्टेयर में ही धान की बुआई हुई है।

इसी तरह पिछले साल 2.75 लाख हेक्टेयर में दलहन की फसलों की बुआई हो चुकी थी, जो इस साल 2.03 लाख हेक्टेयर ही हुई है। मोटा अनाज की बुआई पिछले साल 4.51 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जो इस साल 3.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। खरीफ सीजन में मक्के की खेती प्रमुख है। पिछले साल 3.47 लाख हेक्टेयर में मक्के की बुआई की गई थी, लेकिन इस साल केवल 2.59 लाख हेक्टेयर में ही मक्के की बुआई हो पाई है।

तिलहन की फसल की बुआई की बात करें तो पिछले साल जून के दूसरे सप्ताह तक 1.98 लाख हेक्टेयर में तिलहन की बुआई हो चुकी थी। जबकि इस साल 1.34 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई है।

हालांकि इस साल गन्ने की बुआई में वृद्धि देखी जा रही है। पिछले साल जून के दूसरे सप्ताह तक 46.32 लाख हेक्टेयर में गन्ने की बुआई हुई थी, जबकि इस साल 47.13 लाख हेक्टेयर में गन्ने की बुआई हो चुकी है।

राज्यवार देखें तो जून के दूसरे सप्ताह तक उत्तर प्रदेश में पिछले साल 23.503 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी, लेकिन इस साल 22.725 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई है। महाराष्ट्र में 10.361 लाख हेक्टेयर की बजाय 10.027 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 8.269 की बजाय 7.306 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई है। पश्चिम बंगाल में पिछले साल 5.213 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी, लेकिन इस बार 5.150 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है।

जून के इस सीजन में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में भी बुआई काफी कम हुई है। पिछले साल जून के दूसरे सप्ताह तक 4.580 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी, लेकिन इस बार केवल 1.600 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है, इसी तरह हरियाणा में 8 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 1.360 लाख हेक्टेयर और राजस्थान में 4.580 लाख हेक्टेयर के मुकाबले केवल 51 सौ हेक्टेयर में ही बुआई हुई है।

अकेला गुजरात ऐसा राज्य है, जहां जून के दूसरे सप्ताह तक पिछले साल के मुकाबले अधिक बुआई हुई है। यहां 2.540 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 2.695 लाख हेक्टेयर बुआई की गई है।

खरीफ सीजन की बुआई में देरी की एक और वजह मॉनसून पूर्व बारिश न होने के कारण खेतों में नमी न होना है। मॉनसून पूर्व सीजन यानी मार्च से मई 2022 वैसे तो दीर्घकालिक औसत (एलपीए) के मुकाबले केवल 1 प्रतिशत बारिश कम हुई है। लेकिन अगर मध्य भारत और उत्तर पश्चिम भारत की बात करें तो यहां काफी कम बारिश हुई है।

मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक मॉनसून पूर्व के दौरान मध्य भारत में 37.5 मिलीमीटर के मुकाबले 22.8 प्रतिशत बारिश (39 प्रतिशत कम) हुई, जबकि उत्तर पश्चिमी राज्यों में 114.4 मिमी के मुकाबले 42.3 मिमी बारिश (63 प्रतिशत कम) हुई। हालांकि इस सीजन में दक्षिण प्रायद्वीप में 63 प्रतिशत और पूर्व व पूर्वोत्तर क्षेत्र में 18 प्रतिशत अधिक बारिश हुई।

ऐसे में कृषि विभाग के खरीफ सीजन के बुआई के आंकड़े देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि मॉनसून 2022 किसानों की नई परीक्षा लेने वाला है।