मौसम

मॉनसून 2022: असम-मेघालय में 121 साल के इतिहास में हुई सबसे अधिक बारिश

केरल में 121 में चौथा सबसे कम बारिश होने का रिकॉर्ड बनाया है, केवल दो दिन कम दबाव प्रणाली सक्रिय होने से कई इलाके सूखे रह गए

Raju Sajwan

मॉनसून सीजन 2022 के पहले महीने ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं। जून 2022 में जहां असम और मेघालय में 121 साल में सबसे अधिक बारिश का रिकॉर्ड बना है। वहीं केरल में 121 साल में चौथी बार कम बारिश होने का रिकॉर्ड बना है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा 5 जुलाई को जारी जून माह की क्लाइमेट समरी बताती है कि वैसे तो पूरे देश में दीर्घकालिक औसत (एलपीए) के मुकाबले जून 2022 में केवल आठ प्रतिशत कम बारिश हुई है, लेकिन बारिश का वितरण जिस तरह से हुआ है, वो बेहद चौंकाने वाला है।

आईएमडी के मुताबिक जून माह में पूरे देश में 152.3 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि दीर्घकालिक औसत 165.3 मिमी है।

लेकिन असम-मेघालय में जून माह में 858.1 मिमी बारिश हुई है, जो कि 1901 के बाद से लेकर अब तक का उच्चतम रिकॉर्ड है, इससे पहले 1966 में जून माह में 789.5 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई थी।

इसी तरह केरल एवं माहे में कम बारिश में 308.7 मिमी बारिश हुई। यह आंकड़ा 1901 से लेकर अब तक का चौथा सबसे कम बारिश का रिकॉर्ड है। इससे पहले 1976 में 196.4 मिमी, 1962 में 244.9 मिमी और 1974 में 266.9 मिमी बारिश हुई थी।

क्षेत्रवार की बात करें तो जून माह में जहां पूर्व व पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से 22 फीसदी अधिक बारिश हुई है, वहीं मध्य भारत में 30 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई।

आईएमडी के मुताबिक उत्तर पश्चिमी भारत में 68.9 मिमी बारिश हुई, जबकि यहां 78.1 मिमी बारिश सामान्य तौर पर होती है, इस तरह यहां जून में उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में 12 फीसदी कम बारिश हुई।

मध्य भारत में सामान्यतया 170.3 मिमी बारिश होती है, लेकिन जून 2022 में 118.9 मिमी बारिश हुई। जो सामान्य से 30 फीसदी कम रही।

दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य तौर पर 161 मिमी बारिश होती है, लेकिन 139 मिमी बारिश हुई। यानी 14 प्रतिशत बारिश कम हुई।

वहीं, पूर्व व पूर्वोत्तर क्षेत्र में सामान्य बारिश 328.4 होती है, जबकि जून 2022 में 400.9 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 22 प्रतिशत अधिक है।

आईएमडी के मुताबिक जून में 2 सब डिवीजन में बहुत अधिक, 4 सब डिवीजन में अधिक, 10 सब डिवीजन में सामान्य और 20 सब डिवीजन में कम बारिश रिकॉर्ड की गई।

यहां उल्लेखनीय है कि सामान्य बारिश यानी नॉर्मल रेनफॉल से आशय 1971 से 2020 के दौरान जून माह में हुई बारिश के औसत से है।

इस साल मॉनसून जिसे दक्षिण पश्चिम मॉनसून कहा जाता है अंडमान और बंगाल की खाड़ी में सामान्य से 6 दिन पहले यानी 16 मई को पहुंच गया था। सामान्य तौर पर मॉनसून 22 मई को पहुंचता है। चूंकि 7 से 12 मई के बीच असनी चक्रवात के सक्रिय होने के कारण मॉनसून के प्रवाह में तेजी आई। और यही वजह है कि दक्षिण केरल और दक्षिण तमिलनाडु में मॉनसून 29 मई को पहुंच गया था, जबकि सामान्य तौर पर 1 जून को पहुंचता है।

इस साल जून में पूर्वोत्तर भारत में बहुत भारी बारिश की घटनाएं हुई। जैसे कि 548 मौसम केंद्रों में से 40 केंद्रों में भारी से बहुत भारी बारिश (204.5 मिमी से अधिक) रिकॉर्ड की गई, जबकि 97 मौसम केंद्रों में बहुत भारी बारिश (115.6 मिमी से 204.4 मिमी) और 411 केंद्रों में भारी बारिश (64.5 मिमी से 115.6 मिमी) हुई।

जून माह में जिन 13 इलाकों में 24 घंटे में बारिश का पिछला रिकॉर्ड टूटा, उनमें मौसिनराम (मेघालय) सबसे ऊपर है। यहां 17 जून 2022 को 1003.6 मिमी बारिश हुई, जबकि इससे पहले 7 जून 1966 में 945.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई थी। इसके फोर्बसगंज में 29 जून 2022 को 352.6 मिमी (पिछला रिकॉर्ड 219 मिमी), 22 जून 2022 को श्रीनगर एरो में 62.4 मिमी (पिछला रिकॉर्ड 22 मिमी), बटोटे में 121.4 मिमी (पिछला रिकॉर्ड 121 मिमी), उडगिर में 48 मिमी (पिछला रिकॉर्ड 40.6 मिमी), महाबलपुरम में 25.4 मिमी (पिछला रिकॉर्ड 14.2 मिमी), के.परमाथी में 65 मिमी (पिछला रिकॉर्ड 57.6 मिमी), टोंडी में 68 मिमी (पिछला रिकॉर्ड 63.7 मिमी), बेंगलुरु कियाल ओबीएसवाई में 66 मिमी (पिछला रिकॉर्ड 55.5 मिमी), चमराजनगर में 51.4 मिमी (पिछला रिकॉर्ड 44.8 मिमी), मैसूर में 76 मिमी (पिछला रिकॉर्ड 73 मिमी), सिलचर में 288.7 (पिछला रिकॉर्ड 229.8 मिमी) और नजीबाबाद में 121 मिमी (पिछला रिकॉर्ड 93.5 मिमी) बारिश का रिकॉर्ड बना।

मौसम विभाग की इस क्लाइमेट समरी में कहा गया है कि मॉनसून में लो प्रेशर सिस्टम से भारी से भारी बारिश होती है और इस साल जून में केवल एक बार लो प्रेशर सिस्टम बना। जो 27 व 28 जून 2022 को अरब सागर में लो प्रेशर सिस्टम की वजह से बारिश हुई। हालांकि औसतन जून माह में 10.24 दिन तक लो प्रेशर सिस्टम सक्रिय रहता है, लेकिन इस साल जून में केवल दो ही दिन लो प्रेशर सिस्टम सक्रिय रहा। इसकी वजह से ही कई क्षेत्रों में बहुत कम बारिश हुई।