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सितंबर में कहां होगी मानसून की भारी बारिश और कहां रहेगा सूखा, मौसम विभाग ने की भविष्यवाणी

मौसम विभाग ने सितंबर माह में मानसूनी बारिश का जो पूर्वानुमान जताया है, वह चिंतित करने वाला है

Akshit Sangomla

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि सितंबर माह में देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होगी, जबकि उत्तर पूर्व, पूर्व और उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।

आईएमडी ने एक सितंबर 2022 को सितंबर माह में चालू मानसून सीजन के दौरान होने वाली बारिश का पूर्वानुमान की घोषणा की।

आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और मिजोरम जैसे राज्यों के कई क्षेत्रों में 75 प्रतिशत या उससे अधिक बारिश की संभावना है।

आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, इन सभी राज्यों में 1 जून से 1 सितंबर के बीच सामान्य से अधिक या सामान्य बारिश हुई है और कई इलाकों ने बाढ़ का सामना किया है, जिसकी वजह से खेती तबाह हो गई है। जुलाई की शुरुआत में गुजरात में अचानक आई बाढ़ और अगस्त में कर्नाटक में बाढ़ की पुनरावृत्ति सितंबर में हो सकती है।

जबकि उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भागों में सामान्य से 75 प्रतिशत से अधिक वर्षा होगी, परंतु उत्तरी भाग शुष्क रहेगा और इस भाग में सामान्य से 35 से 75 प्रतिशत के बीच कम बारिश रिकॉर्ड की जा सकती है। यहां उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में 1 सितंबर तक राज्य के 75 में से 65 जिलों में कम या बहुत कम वर्षा हुई है।

ऐसे में अब सितंबर में होने वाले तेज और बहुत तेज बारिश उत्तर प्रदेश में बाढ़ का कारण बन सकती है। गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, राज्य पहले से ही बाढ़ की चपेट में है और 18 जिलों के 1111 गांव प्रभावित हैं।

मौसम विभाग का कहना है कि सितंबर माह में लद्दाख, बिहार, झारखंड, ओडिशा, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मेघालय के कई हिस्सों में भी 35 से 75 प्रतिशत के बीच वर्षा की कमी दर्ज की जा सकती है।

इनमें से कई राज्यों में मौजूदा सीजन में मध्यम से बहुत ज्यादा वर्षा की कमी है। पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर में देश में सबसे अधिक वर्षा की कमी 45 प्रतिशत है, इसके बाद उत्तर प्रदेश (44 प्रतिशत) और बिहार (38 प्रतिशत) का स्थान है। त्रिपुरा और झारखंड में क्रमश: 29 और 27 प्रतिशत वर्षा की कमी है।

आईएमडी के अनुसार, भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में ला नीना की घटना और हिंद महासागर का द्विध्रुव (आईओडी) की वजह से मानसूनी वर्षा प्रभावित हो सकती हैं, जबकि ला नीना अभी सक्रिय चरण में है और आम तौर पर देश में वर्षा को बढ़ाता है, हिंद महासागर द्विध्रुव अपने नकारात्मक चरण में विकसित हो रहा है और आने वाले महीनों में स्थापित हो सकता है। एक नकारात्मक आईओडी आमतौर पर देश के कई हिस्सों में वर्षा को कम करता है।

आम तौर पर दक्षिण पश्चिम मानसून 17 सितंबर को देश से प्रस्थान करना शुरू कर देता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस आ जाता है, लेकिन 2020 और 2021 की तरह ला नीना के कारण वापसी में देरी हो सकती है।