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2024 के पेरिस ओलंपिक पर मंडराया लू का खतरा : अध्ययन

2024 पेरिस ओलंपिक, जो 26 जुलाई से 11 अगस्त तक चलेगा, इसके आयोजकों का कहना है कि वे जलवायु-संबंधी खतरों को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं

Dayanidhi

वर्तमान सर्दी के मौसम के दौरान फ्रांस की राजधानी पेरिस में चिलचिलाती गर्मी की कल्पना नहीं की जा सकती। वहीं, आने वाले छह महीने में जब दुनिया के एथलीट यहां ओलंपिक के लिए पहुंचेंगे, तो भीषण लू या हीटवेव आयोजकों के लिए परेशानी खड़ी कर देगी।

पेरिस 2024 ओलंपिक के दौरान भीषण लू की आशंका के लिए जलवायु सिमुलेशन करने वाले एक नए अध्ययन ने इस ओर ध्यान खींचा है। अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि फ्रांस की राजधानी में रिकॉर्ड-तोड़ भीषण तापमान के खतरे का सामना करना पड़ सकता है।

एनपीजे क्लाइमेट एंड एटमॉस्फेरिक साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध में दो सप्ताह की लू या हीटवेव के खतरे को देखा गया, जो 2003 में पेरिस में महसूस की गई अब तक की रिकॉर्ड गर्मी को पार कर जाएगी।

मुख्य अध्ययनकर्ता पास्कल यिउ ने बताया, 20 वर्षों में, जलवायु बदल गई है और इस जानकारी के माध्यम से नीति निर्माताओं को चेतावनी देनी थी कि 2003 से भी बदतर स्थिति आ सकती है।

उन्होंने आगे कहा, 20वीं सदी में, इस रिकॉर्ड से आगे जाना संभव नहीं था, लेकिन अब हम न केवल इसकी बराबरी कर सकते हैं, बल्कि इस आशंका के साथ इसे पार भी कर सकते हैं।

हाल ही में द लैंसेट प्लैनेट हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक और अध्ययन में पाया गया कि पेरिस में 854 यूरोपीय कस्बों और शहरों की तुलना में गर्मी से होने वाली मृत्यु दर सबसे अधिक थी, जिसका एक कारण हरियाली वाली जगहों की कमी और घनी आबादी का होना था।

2003 की घटनाओं से भी आंकड़े बेहद खतरनाक हो गए थे जब 15,000 लोग मारे गए थे, उनमें से अधिकांश कमजोर और बुजुर्ग लोग थे जो अकेले रह रहे थे।

गर्मी से होने वाले तनाव का परीक्षण

पिछले पांच वर्षों में, पेरिस में प्रचंड गर्मी की अवधि देखी गई, जिसमें गर्मी के कई रिकॉर्ड ध्वस्त हुए। जुलाई 2019 में एक नया सर्वकालिक तापमान शिखर स्थापित हुआ था जब मौसम-फ्रांस मौसम सेवा ने राजधानी में तापमान 42.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया था।

2024 पेरिस ओलंपिक, जो 26 जुलाई से 11 अगस्त तक चलेगा और पैरालिंपिक जो अगस्त के अंत में शुरू होगा, इसके आयोजकों का कहना है कि वे खेलों के लिए जलवायु-संबंधी खतरों को लेकर पूरी तरह से अवगत हैं।

लू और चरम मौसम की घटनाएं ऐसे कारण हैं जिन्हें हम ध्यान में रखते हैं और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए हम यथासंभव तैयारी कर रहे हैं।

अध्ययनकर्ता ने बताया कि टीमों ने दोपहर की गर्मी से बचने के लिए कुछ बाहरी कार्यक्रमों को पहले या बाद में शुरू करने, समय में बदलाव करने के परिणामों को देखते हुए सिमुलेशन चलाया है।

एथलेटिक्स स्पर्धाएं, विशेष रूप से मैराथन, साथ ही टेनिस या बीच वॉलीबॉल सभी पर धूप और भारी तापमान का प्रभाव पड़ता है। युवा और फिट एथलीट दर्शकों की तुलना में अधिक प्रतिरोधी साबित हो सकते हैं, जिन्हें आयोजन स्थलों में प्रवेश करने के लिए घंटों कतारों में लगना पड़ सकता है। हो सकता है इन लोगों को खुली हवा वाले स्टेडियम में छाया के बिना घंटों तक इसका सामना करना पड़ सकता है।

अध्ययन के हवाले से ओलंपिक स्थलों के निर्माण के लिए जिम्मेदार फ्रांसीसी एजेंसी के प्रमुख निकोलस फेरैंड ने सीनेट की सुनवाई में आश्वस्त किया कि सभी इनडोर सुविधाएं वैश्विक तापन को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं।

उन्होंने पिछले महीने कहा था, हमने जांच की है कि हमारी सभी इमारतें 2050 की गर्मियों में भी आरामदायक होंगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मौसम कार्यालय और आईटी कंसल्टेंसी फर्म डसॉल्ट सिस्टम्स ने मॉडलिंग में मदद की है।

एयर कंडीशनर संबंधी मुद्दा

उत्तरी पेरिस में एथलीटों का गांव है जिसे पेरिस खेलों के लिए नए पर्यावरण मानकों को स्थापित करने के प्रयासों के तहत एयर कंडीशनिंग के बिना बनाया गया है। इसके बजाय, नदी के किनारे के टॉवर ब्लॉकों में प्राकृतिक भू-तापीय ठंडा करने की प्रणाली, साथ ही धूप से बचने के लिए छाया या सनशेड, वृक्षारोपण क्षेत्र और वेंटिलेशन है।

वे घर के अंदर के तापमान को बाहर की तुलना में कम से कम छह डिग्री सेल्सियस कम रखने की गारंटी देते हैं, जिसे कुछ देशों द्वारा अपर्याप्त माना जाता है।

ओलंपिक समन्वय में शामिल एक यूरोपीय राजनयिक ने बताया, गांव में एयर कंडीशनिंग न होना एक मुद्दा रहा है। एक समझौते के रूप में, फ्रांसीसी आयोजक अब अपने खर्च पर आने वाले प्रतिनिधिमंडलों को पोर्टेबल एयर कंडीशनर प्रदान करने की पेशकश कर रहे हैं।

टोक्यो ओलंपिक पर भी गर्मी का प्रभाव रहा

ऐसा माना जाता है कि टोक्यो में पिछला ग्रीष्मकालीन ओलंपिक रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहा था, जिसमें नियमित रूप से 30 सेल्सियस से ऊपर तापमान और 80 प्रतिशत नमी थी।

टोक्यो के आयोजकों ने ठंडे मौसम की उम्मीद में रेस वॉक इवेंट और दो मैराथन को टोक्यो के उत्तर में 800 किलोमीटर दूर करवाने की बात कही थी, हालांकि वास्तव में ऐसा नहीं हुआ। धुंध स्टेशनों सहित गर्मी-रोधी उपायों की एक श्रृंखला के बावजूद, कई एथलीटों को गर्मी में संघर्ष करना पड़ा।

अध्ययन में कहा गया है कि कई एथलीट या तो विदेशी शिविरों में या विशेष रूप से डिजाइन किए गए बुलबुले में थे, जो कृत्रिम रूप से गर्मी और आर्द्रता को बढ़ा सकते हैं, अधिक गर्म मौसम में प्रशिक्षण करके जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढलने की कोशिश कर रहे थे।

टोक्यो के बाद बोलते हुए, विश्व एथलेटिक्स के अध्यक्ष सेबेस्टियन कोए ने चेतावनी दी कि नए मानदंड वास्तव में कठोर जलवायु परिस्थितियों में प्रतिस्पर्धा करना था।