मौसम

बारिश-ओलों ने बढ़ाई किसानों की मुसीबत, आलू-दलहन को नुकसान की आशंका

DTE Staff

मंयक चौधरी

बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। अलगे तीन दिनों तक मौसम और खराब होने की संभावना मौसम वैज्ञानिक जता रहे हैं और राजस्थान, उससे सटे पंजाब के साथ दिल्ली-एनसीआर में इसका अधिक असर रहेगा। ओलावृष्टि का ही असर रहा कि शुक्रवार को सर्द हवाओं से मैदानी भाग में उत्तर प्रदेश का मेरठ क्षेत्र सबसे ठंडा रहा जहां का तापमान 9.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के ऊपर सक्रिय पश्चिम विक्षोभ पूर्व दिशा की ओर बढ़ रहा है। इस पश्चिम विक्षोभ की वजह से ही इस इलाके में विकसित हुआ चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तर पश्चिम राजस्थान और उससे सटे पंजाब पर बना हुआ है। इसकी वजह से सर्द हवाएं हिमाचल और उत्तराचंल की ओर से आ रही हैं। जिससे राजस्थान के बीकानेर, नागौर, चुरु व सीकर इलाके में भारी ओलावृष्टि हुई। इसमें गेहूं और दहलन की फसलों जैसे मटर, चना और सरसों को भारी नुकसान हुआ है। अभी भी इन इलाकों में बारिश से और नुकसान होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अगले 36 घंटों में राजस्थान और पंजाब के साथ ही उत्तर प्रदेश और हरियाणा में तेज बारिश और ओलावृष्टि होने के आसार हैं।

प्याज की तरह रुला सकता है आलू

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जेपी डबास का कहना है कि ओलावृष्टि और बारिश की वजह से गेहूं और दलहन की फसल के अलावा आलू की फसल को भी भारी नुकसान की आशंका है। उन्होंने बताया की अगेती आलू की फसल में इस समय आलू का आकार बढ़ रहा है और पछेती फसल में आलू की शुरुआत है ऐसे में किसानों को सावधान रहने की जरूरत है। ऐसे में आलू की फसल में ब्लाइट (सड़न पैदा होना) रोग की संभावना बढ़ जाती है। इस रोग को समय से न रोक पाने की स्थिति में यह महामारी का रूप ले लेती है।

उन्होंने आशंका जताई कि अधिक खराब मौसम की वजह से आलू की कम फसल प्याज की तरह आम आदमी को रुला सकती है। उन्होंने सलाह दी कि ऐसे में किसानों को फसल की निगरानी के साथ रिडोमिल दवा का छिड़काव करना चाहिए। डाइथेन दवाई का इस्तेमाल कतई ना करें क्योंकि यह दवा असरकारक नहीं रहेगी। यह दवा तभी असर करती है जब ब्लाइट की बीमारी अत्यधिक फैल जाए। डॉ. डबास का कहना है कि गेहूं और दलहन की फसलों के अलावा फूलों की खेती के लिए ओलावृष्टि से नुकसान की संभावना है लेकिन फिलहाल उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अधिकांश हिस्सों में जहां केवल बारिश ही हुई है वहां गन्ने के साथ गेहूं की फसलों और चारे के लिए यह लाभदायक साबित हुई है।