मौसम

तिब्बती पठार में जल विज्ञान चक्र को समझने में मददगार है यह मॉडल

जटिल स्थलाकृति तिब्बती पठार में कुल नमी के आवागमन को लगभग 11 फीसदी बढ़ा देती है और हिमालय पर वर्षा के स्थानीय वितरण को महत्वपूर्ण रूप से नियंत्रित करती है।

Dayanidhi

तिब्बती पठार (टीपी) की विशाल ऊंचाई वाली भूमि, 4 किमी से अधिक की औसत ऊंचाई वाले दुनिया के तीसरे ध्रुव के रूप में जाना जाता है। इसकी अनोखी जलवायु और ऊंचाई जो कई बड़ी एशियाई नदियों का एक स्रोत है। यही सब तिब्बती पठार को जल चक्र और क्षेत्रीय पारिस्थितिकी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद करती है।

पूरे तिब्बती पठार में गर्मियों में वर्षा अपने अधिकतम स्तर तक पहुंच जाती है। मुख्यतः दक्षिण एशियाई ग्रीष्मकालीन मॉनसून द्वारा संचालित नमी के पहुंचने से ऐसा होता है। तिब्बती पठार की स्थलाकृति, विशेष रूप से हिमालय से प्रभावित, अत्यधिक जटिल है और पूरे पठार में अनोखे वर्षा पैटर्न में योगदान करती है। इस इलाके के कारण, संख्यात्मक मौसम और जलवायु मॉडल को कुछ किलोमीटर के स्थानीय आधार पर जल चक्र प्रक्रिया का अनुकरण करना चाहिए ताकि स्थलाकृति का सटीक हिसाब लगाया जा सके।

प्रो. झाओ चुन और उनकी टीम जोकि चीन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (यूएसटीसी) के वायुमंडलीय अनुसंधान के लिए उन्नत कंप्यूटिंग की प्रयोगशाला में काम कर रहे हैं। इन शोधकर्ताओं की टीम ने 4 किमी क्षैतिज पर तिब्बती पठार में क्षेत्रीय आधार पर संख्यात्मक प्रयोग किए। एक बिना हाइड्रोस्टैटिक वैश्विक बदलने वाले रिजॉल्यूशन मॉडल का उपयोग करके ऐसा किया गया। इसने टीम को पहली बार गर्मियों के दौरान तिब्बती पठार की नमी के आवागमन और वर्षा पर जटिल स्थलाकृति के प्रभावों की जांच करने में मदद की।

अध्ययन से पता चलता है कि कुछ किलोमीटर पर वैश्विक वेरिएबल-रिजॉल्यूशन सिमुलेशन गर्मियों में तिब्बती पठार पर प्रमुख मौसम संबंधी क्षेत्रों को पुन: दोहरा सकता है। अध्ययनकर्ता प्रो. झाओ ने कहा कि जटिल स्थलाकृति तिब्बती पठार में कुल नमी के आवागमन को लगभग 11 फीसदी बढ़ा देती है और हिमालय पर वर्षा के स्थानीय वितरण को महत्वपूर्ण रूप से नियंत्रित करती है।

डॉ. झाओ ने कहा कि वर्षा वितरण में क्षेत्रीय परिवर्तनों के बावजूद, पूरे तिब्बती पठार में औसत वर्षा पर विचार करते समय, सिमुलेशन के दौरान स्थलाकृति मोटे स्थानीय स्थलाकृति की तुलना में अंतर नगण्य पाया गया। हालांकि हर स्थलाकृति सुविधाओं के प्रभाव को मॉडलिंग करने के संबंध में नई जानकारी अत्यधिक फायदेमंद हैं।

प्रो झाओ ने कहा कि पिछले अध्ययनों ने मुख्य रूप से क्षेत्रीय मॉडल का उपयोग करके उच्च स्थानीय आधार पर सीमित सिमुलेशन आयोजित किए। बड़े पैमाने पर हवा के प्रसार और नमी के आवागमन पर जटिल स्थलाकृति के प्रभावों का पूरी तरह से सिमुलेशन नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पार्श्व (क्षैतिज) सीमाओं की कमी के कारण प्रभाव सीमित हैं।

प्रो. झाओ और उनकी शोध टीम के मुताबिक, वैश्विक वेरिएबल-रिजॉल्यूशन सिमुलेशन की मदद से इस समस्या से बच सकते हैं, हिमालय और तिब्बती पठार में मौसम संबंधी क्षेत्रों पर इलाके के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए क्षमता में सुधार किया जा सकता है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता ली गुडोंग ने कहा कि चिकनी स्थलाकृति की तुलना में, जटिल स्थलाकृति के साथ, हिमालय के तेज दक्षिणी ढलान उत्तर की ओर उठाए गए वायु प्रवाह को स्थानांतरित करते हैं। अधिक छोटे पैमाने की घाटियों के प्रभाव को हल किया जा सकता है, जो नमी के आवागमन के लिए चैनल के रूप में काम करते हैं। इस तरह दोनों प्रभाव वर्षा को उत्तर की ओर स्थानांतरित करते हैं।

अध्ययनकर्ता ने कहा कि वैश्विक वेरिएबल-रिज़ॉल्यूशन सिमुलेशन दृष्टिकोण भविष्य के मौसम और पूरे तिब्बती पठार में क्षेत्रीय जलवायु सिमुलेशन के लिए आशाजनक प्रतीत होता है। आगामी शोध क्षेत्रीय जलवायु और वायु गुणवत्ता पर स्थलाकृतिक प्रभावों सहित पूरे तिब्बती पठार में जल चक्र, ऊर्जा चक्र और वायुमंडलीय पर्यावरण अध्ययन के लिए नई पद्धति को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह अध्ययन एडवांस ऑफ एटमॉस्फेरिक साइंस में प्रकाशित हुआ है।