बिहार के मगध क्षेत्र में भीषण गर्मी और लू ने अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। इससे बचने के लिए जिला प्रशासन ने जिले भर में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा जारी कर दी है। वहीं, राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों को 22 जून तक के लिए बंद करने के आदेश दिए हैं।
जिले के डीएम अभिषेक सिंह ने डाउन टू अर्थ के साथ बातचीत में कहा कि तीन बिंदुओं को लेकर निषेधाज्ञा जारी की गई है। उन्होंने कहा, "पहले बिंदु में सुबह 11 से चार बजे तक खुली जगह में कोई भी सार्वजनिक कार्यक्रम करने पर रोक लगाई गई है। दूसरे बिन्दु के तहत मनरेगा का काम सुबह 10.30 बजे तक करा लेने का आदेश दिया गया है और तीसरे बिन्दु में जिले में होने वाले सभी सरकारी और प्राइवेट निर्माण कार्य सुबह 11 बजे से चार बजे तक बंद रखे जाने का आदेश है क्योंकि इनमें खुले में काम होता है।"
उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा यहां के चेंबरों से भी अपील की गई है कि बहुत जरूरी दुकानों को छोड़ कर अन्य दुकानें 11 बजे तक बंद हो जाएं ताकि दुकानदार, दुकान में काम करनेवाले कर्मचारी और ग्राहक दोपहर को घर से बाहर न निकल सकें। जिला प्रशासन ने बताया कि ये निषेधाज्ञा अगले आदेश तक जारी रहेगी।
इस संबंध में जारी अधिसूचना में डीएम के हवाले से लिखा गया है कि भीषण गर्मी और लू का प्रभाव सामान्य होने तक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पूरे जिले के लिए वह ये आदेश जारी कर रहे हैं। हालांकि डीएम का कहना है कि इसे धारा 144 नहीं कहा जा सकता है, लेकिन धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कहा जा सकता है।
यहां ये भी बता दें कि कानून व्यवस्था के हालात बिगड़ने पर निषाधाज्ञा जारी की जाती है, ताकि पुलिस प्रशासन हालात को काबू में कर सके। निषेधाज्ञा या कर्फ्यू के तहत एक निर्धारित अवधि के लिए लोगों को घरों से बाहर निकलने पर रोक लगाई जाती है। दुकान, पाट व अन्य गतिविधियों पर भी एक तयशुदा समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया जाता है।
जानकार बताते हैं कि पहली बार गर्मी के कारण गया में निषेधाज्ञा जारी हुई है। गया के पुराने लोग कहते हैं कि उनकी जानकारी में पहले कभी भी इस तरह की निषेधाज्ञा वह भी गर्मी के कारण जारी नहीं हुई। लोग ये भी बताते हैं कि गर्मी के कारण इतने लोगों की मौत भी पहले कभी नहीं हुई। गया में गर्मी का आलम ये है कि दोपहर होते ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है।
गौरतलब हो कि भीषण गर्मी और लू के चलते रविवार को बिहार में 106 लोगों की मौत हो गई। इनमें सबसे ज्यादा मौतें मगध क्षेत्र के औरंगाबाद और गया में हुई हैं। औरंगाबाद में अकेले 36 लोगों की मौत हुई जबकि गया में 28 लोग लू की चपेट में आ गए।
इससे पहले शनिवार को भीषण गर्मी ने गया में 25 लोगों की जान ले ली थी, वहीं, औरंगाबाद में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने डाउन टू अर्थ से बातचीत में कहा कि शाम को छह बजे आपदा प्रबंधन विभाग के पदाधिकारियों के साथ बैठक है। इस बैठक में ही गर्मी से बचने के एहतियाती कदमों पर चर्चा की जाएगी और जरूरी हस्तक्षेप किया जाएगा।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से जारी बुलेटिन में कहा गया है कि अगले दो-तीन दिनों तक बिहार में गर्मी का कहर जारी रहेगा। रविवार को गया का अधिकतम तापमान 44.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था जो सामान्य से 7 डिग्री सेल्सियस अधिक था। मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, अगले तीन दिनों तक तापमान 41 से 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। जिला प्रशासन को उम्मीद है कि अगले दो-तीनों में हालात सुधरेंगे और तब निषेधाज्ञा हटा ली जाएगी क्योंकि 20 जून तक मॉनसून के बिहार में दस्तक देने का अनुमान है।
बिहार में दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून के आने का समय 10 से 12 जून है। यह बंगाल की खाड़ी के रास्ते बिहार में प्रवेश करता है। लेकिन, पिछले कुछ सालों से यह देर से आ रहा है। मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि केरल में ही मॉनसून की दस्तक देर से होती है, इसलिए बिहार में भी यह देर से आता है। पिछले साल तो बिहार में मॉनसून की दस्तक 25 जून को हुई थी। इससे पहले वर्ष 2017 में 16 जून से और वर्ष 2016 में 17 जून से मॉनसून की बारिश शुरू हुई थी।