मौसम

पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत में सूखे के आसार, जुलाई में 122 साल के इतिहास में सबसे कम बारिश

Akshit Sangomla


देश के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी हिस्से को अगस्त और सितंबर के महीने में कम बारिश और संभवतः शायद सूखे का भी सामना करना पड़ सकता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का पूर्वानुमान है कि जून और जुलाई की तरह ही अगले दोनों महीनों में भी इन क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश के आसार हैं।

उत्तर-पूर्वी भारत के एक हिस्से में बड़ी बाढ़ के अलावा इसके ज्यादातर क्षेत्रों में जुन और जुलाई में सामान्य से कम बारिश हुई है। आईएमडी के मुताबिक, अगर इस पूरे क्षेत्र को एक मानें तो 122 साल के इतिहास में इस साल जुलाई में हुई बारिश इस महीने में होने वाली सबसे कम बारिश रही, जो सामान्य से 44.7 प्रतिशत कम थी।

दक्षिण पेनिनसुला में जुलाई में साठ प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई जबकि मध्य भारत में सामान्य से 43 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई। उत्तर-पश्चिमी भारत में भी बीते महीने में ठीकठाक यानी सामान्य से 11 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई। पूरे देश में जुलाई में सामान्य से 17 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई।

आईएमडी ने जहां एक तरफ अगस्त और सितंबर के महीने में पूरे देश के लिए सामान्य बारिश ( 94-106 प्रतिशत) की भविष्यवाणी की है, वहीं उसने पश्चिमी तटों, पूर्वी-मध्य भारत के कुछ हिस्सों, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत के लिए इन महीनों में सामान्य से कम बारिश रहने की भविष्यवाणी की है।

आईएमडी के मासिक पूर्वानुमान में भी अगस्त में देश के पूर्वी, पूर्वी-मध्य और उत्तर-पूर्वी हिस्से में कम बारिश रहने की भविष्यवाणी की गई है।

आने वाले महीनों में कम बारिश का पूर्वानुमान करने के पीछे एक वजह नकारात्मक भारतीय समुद्री दिध्रुव ( इंडियन ओसियन डाइपोल यानी आईओडी) की घटना हो सकती है, जो आमतौर पर सामान्य बारिश को कम करने का काम करती है।

एक नकारात्मक आईओडी घटना के दौरान पश्चिमी हिंद महासागर में समुद्र की सतह का तापमान, पूर्वी हिंद महासागर की तुलना में ठंडा होता है, जिसके कारण इस क्षेत्र में पूर्वी हवाएं बाधित हो जाती हैं और ऑस्ट्रेलिया की ओर बहने लगती हैं जिससे वहां अधिक बारिश होती है और भारत में आमतौर पर मानसून की बारिश कम हो जाती है।

मानसून के मौसम में नकारात्मक आईओडी घटना के चलते ही अगस्त 2021 में भी कम बारिश हुई थी क्योंकि इस महीने के दौरान बंगाल की खाड़ी में कम दबाव वाला केवल एक क्षेत्र बना था। गौरतलब है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में में ऐसे कम दबाव वाले क्षेत्र ही मानसून के मौसम के दौरान मध्य और पश्चिमी भारत में ज्यादातर बारिश लाते हैं।

आईएमडी के मुताबिक, बीती जुलाई में बिल्कुल ऐसा ही हुआ है। इस महीने मे कम दबाव के चार क्षेत्र बने, जिनकी वजह से मध्य और पश्चिमी भारत में खूब बारिश हुई। यहां तक कि ज्यादा बारिश के चलते गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र को बाढ़ का सामना करना पड़ा।

आमतौर पर जुलाई में औसतन 14 दिनों की अवधि में सक्रिय कम दबाव के तीन क्षेत्र बनते हैं। 2021 में कम दबाव वाले चार क्षेत्रों के सक्रिय रहने की अवधि एक सप्ताह ज्यादा रही थी।  

इस साल जून में मध्य और पश्चिमी भारत में सामान्य से कम बारिश रहने की वजह भी बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में में कम दबाव वाले क्षेत्रों की पूरी तरह नामौजूदगी थी। आमातौर पर जून में औसतन 11 दिनों की अवधि में सक्रिय कम दबाव के तीन क्षेत्र बनते हैं।  

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र के सहायक प्रोफेसर संदीप सुकुमारन के एक अध्ययन के अनुसार, मानसून के मौसम के दौरान बंगाल की खाड़ी में कम दबाव वाले क्षेत्रों का बनना कम हो रहा है। इस खाड़ी में कम दबाव वाले कुल क्षेत्रों के साठ प्रतिशत क्षेत्रों का निर्माण होता है। अध्ध्यन में भविष्यवाणी की गई है कि आने वाले समय में बंगाल की खाड़ी में मजबूत कम दबाव वाले क्षेत्रों का निर्माण 50 प्रतिशत तक घट सकता है।