क्या हीटवेब को बढ़ाने में जलवायु परिवर्तन एक बड़ा कारक सिद्ध हो रहा है?
सौ फीसदी, इसे आप इस तरह समझ सकते हैं। वैश्विक तौर पर एक डिग्री तापमान बढ़ा है। इसे यह कह सकते हैं कि यह औसत रूप से एक डिग्री बढ़ा है। इसका अर्थ है पृथ्वी के किसी हिस्से में यह 0.6 तो कहीं 1.8 या 2 डिग्री भी हो सकता है। उदाहरण के लिए यदि अप्रैल में दिल्ली का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस था और ऐसी स्थिति में यदि दो डिग्री सेल्सियस बढ़ता तो कुल मिलाकर दिल्ली का तापमान चालीस पहुंच गया। ऐसे में हीटवेब की स्थिति पैदा हो गई। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं हीटवेब को बढ़ाने में जलवायु परिवर्तन एक बड़ा कारक सिद्ध हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन को क्या एनर्जी बैलेंस कह सकते हैं?
जलवायु परिवर्तन क्या है वास्तव में यह एक समय एनर्जी बैलेंस था। वह बैलेंस अब धीरे-धीरे हट रहा है। पहले अर्थ में जितनी एनर्जी आती थी उतनी ही वापस जाती थी। तो इसके कारण हमारा एक वैश्विक तापमान संतुलित रहता था। लेकिन औद्योगिक क्रांति के बाद जैसे-जैसे कार्बन डाई आक्साइड वातावरण में बढ़ने लगा और चूंकि यह एक ग्रीन हाउस गैस है। इसके बढ़ने के कारण एनर्जी बैलेंस दूसरी दिशा में चला गया और इसके कारण हमारे वातावरण में एनर्जी बढ़ गई इसका नतीजा है वैश्विक तापमान में वृद्धि हो गई और यह जलवायु परिवर्तन का कारण बना।
क्या जलवायु परिवर्तन के कारण हीटवेब के दिनों की संख्या बढ़ रही है?
हीटवेब एक महत्वपूर्ण कारक है, जिसके कारण मानव प्रभावित होता है। हीटवेब का मानव के स्वास्थ्व पर कई प्रभाव पड़ता है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में तापमान यदि अधिकतम 36 डिग्री सेल्सियस है, ऐसे हालत में दो डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि होती है तो ये इलाके हीटवेब की सीमा पर जा पहुंचते हैं। यह सब जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है। जब तापमान में बढ़ोतरी होगी तो फ्रिक्वेंसी बढ़ेगी ही। चूंकि जलवायु परिवर्तन के कारण हीटवेब के दिनों की संख्या बढ रही है। यहां तक कि इस शताब्दी के समाप्ति तक वैश्विक तापमान में 2.4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी का दावा है। ऐसे मे यदि पृथ्वी के किसी हिस्से में दो डिग्री है तो संभव है कि वहां तीन डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी संभव है।
जलवायु परिवर्तन एक्शन प्लान में किसे अधिक फोकस किए जाने की जरूरत है?
जलवायु परिवर्तन एक्शन प्लान में कई काम किए जा रहे हैं और यह काम देश के सभी राज्यों में शुरू किए गए हैं। इसके तहत अब प्राथमिकता के आधार पर किसानों पर फोकस किया गया है। क्योंकि जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावितों की श्रेणी बांटे तो देखेंगे कि इसमें किसान पहले पायदान पर आता है। इस क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ किया जाना है।
अरबन कल्स्टर (एक ही स्थान पर बनी कई बहुमंजिला इमारतें) सामान्य तापमान के मुकाबले कितना अधिक तापमान में वृद्धि कर देते हैं?
अरबन कलस्टर होते हैं तो उनकी हीट अधिक होती है। ये मानसून में कम से कम 4 डिग्री सेल्सियस तापमान में बढ़ा देते हैं, सिटी के बाहर के वातावरण के मुकाबले। और यदि सिटी के अंदर हैं तो ऐसे में रात को यदि तापमान अधिकतम 32 से 33 डिग्री सेल्सियस है तो यह रात के लिए बहुत अधिक है और ऐसे में इस तापमान में अतिरिक्त चार या पांच डिग्री सेल्सिसस ओर जुड़ जाता है तो यह बहुत ही भयावह स्थित पैदा हो जाती है।