मौसम

उत्तराखंड में तीन दिन में 400 फीसदी अधिक बारिश, भारी नुकसान

उत्तराखंड में इस साल जलवायु परिवर्तन का असर साफ तौर पर देखा जा रहा है, राज्य में सामान्य से कम बारिश होने के बावजूद भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी

Trilochan Bhatt

उत्तराखंड के कुछ जिलों में पिछले 60 घंटे से ज्यादा समय से लगातार हो रही बारिश से इन जिलों में भारी नुकसान हुआ है। भूस्खलन से सड़कें बंद हो रही हैं और पुलों को भी नुकसान हुआ है। देहरादून और टिहरी जिलों में जहां इन तीन दिनों में सामान्य से 400 प्रतिशत तक ज्यादा बारिश दर्ज हुई, वहीं दूसरी ओर उत्तरकाशी और अल्मोड़ा जैसे जिलों में बारिश हुई ही नहीं है।

देहरादून हाल के दिनों में बारिश के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। अपेक्षाकृत सूखी रहने वाली जाखन नदी में 27 अगस्त की सुबह जबरदस्त जल सैलाब आने से देहरादून-़ऋषिकेश राजमार्ग पर रानीपोखरी के पास बना पुल बह गया। रात को जाखन नदी के कैचमेंट एरिया मसूरी और सहस्रधारा क्षेत्र में बहुत भारी बारिश दर्ज की गई। मसूरी में 239 मिमी और सहस्रधारा क्षेेत्र में 139 मिमी बारिश हुई।

इससे पहले 25 अगस्त को भी सहस्रधारा और मसूरी क्षेत्र में भारी बारिश हुई थी। सहस्रधारा में 254 और मसूरी में 112 मिमी बारिश हुई थी। 25 अगस्त से लेकर अब तक इस देहरादून जिले के इस क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ है। हालांकि किसी की जान नहीं गई, लेकिन दर्जनभर बस्तियों में मलबा घुसने से लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है।

देहरादून के अलावा टिहरी जिले में सबसे ज्यादा बारिश हुई है। इस जिले की सीमा से गुजरने वाले चारधाम प्रोजेक्ट वाले दोनों राष्ट्रीय राजमार्ग, गंगोत्री हाईवे और बद्रीनाथ हाईवे कई जगहों पर दरक रहे हैं। गंगोत्री हाईवे पर फकोट के पास कई करीब 50 मीटर लंबा हाईवे पूरी तरह बह गया है।

नरेन्द्रनगर के आसपास भी दर्जनों जगहों पर हाईवे दरक रहा है। बद्रीनाथ हाईवे तोताघाटी के आसपास कई जगह दरक गया है या पहाड़ी से मलबा आने के कारण बंद हो गया है। इन दोनों राजमार्गों पर टिहरी के जिला मजिस्ट्रेट ने एक आदेश जारी कर आवाजाही पर रोक लगा दी है।

दोनों हाईवे के बंद हो जाने से रुद्रप्रयाग और चमोली जिले पूरी तरह से राज्य के बाकी हिस्सों से कट गये हैं, जबकि पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी से आने वालों को 100 से 200 किमी ज्यादा सफर करके देहरादून पहुंचना पड़ रहा है। देहरादून से ऋषिकेश के बीच मुख्य मार्ग का पुल टूट जाने से अब वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

सबसे खास बात यह है कि उत्तराखंड के लगभग सभी जिलों में अब तक पिछले वर्ष की तुलना में कम बारिश हुई है, लेकिन भूस्खलन की घटनाएं पिछले वर्ष से ज्यादा दर्ज की गई हैं। जून से लेकर अब तक राज्य में अतिवृष्टि और भूस्खलन जैसी करीब 3000 घटनाएं होने का अनुमान है। जबकि पिछले वर्ष पूरे सीजन में बारिश के कारण होने वाली कुल घटनाओं की संख्या 2838 दर्ज की गई थी।

बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस वर्ष उत्तराखंड में जून में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई थी, लेकिन जुलाई में बारिश सामान्य से कम रही। अगस्त में अब तक सामान्य से 31 प्रतिशत कम बारिश हुई है। पिछले तीन दिनों से बारिश और भूस्खलन की घटनाओं से प्रभावित देहरादून और टिहरी जिलों में भी अब तक सामान्य से कम बारिश हुई है।

देहरादून में 1 जून, 2021 से 27 अगस्त, 2021 की सुबह तक सामान्य रूप से 1230.3 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन 1063.7 मिमी बारिश ही हुई। यानी सामान्य से 14 प्रतिशत कम बारिश अब तक दर्ज की गई। इसी तरह टिहरी जिले में इस अवधि में सामान्य रूप से 800.5 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार 710.2 मिमी यानी सामान्य से 11 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई।

राज्य में पिछले वर्ष और इस वर्ष मानसून सीजन में हुई बारिश की तुलना करने पर साफ होता है कि पिछले वर्ष अगस्त में बारिश की स्थिति कुछ ठीक थी, जबकि इस वर्ष जून में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई। जून में उत्तराखंड में सामान्य रूप से 177.8 मिमी बारिश होती है। जून 2020 में सामान्य से 18 प्रतिशत कम यानी 145.5 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, लेकिन इस वर्ष जून में 262.8 मिमी बारिश हुई, यानी 2021 में जून के महीने में उत्तराखंड में सामान्य से 48 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई।

जुलाई, 2020 में उत्तराखंड में सामान्य से 10 प्रतिशत कम बारिश हुई थी। जबकि इस वर्ष 9 प्रतिशत कम हुई। सामान्य तौर पर जुलाई में 407.7 मिमी बारिश होती है। 2020 में 367.3 मिमी और 2021 में 371.6 मिमी बारिश हुई। अगस्त में सामान्य रूप से 397.7 मिमी बारिश होती है। 2020 में सामान्य से 7 प्रतिशत कम 370.1 प्रतिशत बारिश हुई। 2021 में अब तक 358.3 प्रतिशत बारिश होनी चाहिए, लेकिन इससे 31 प्रतिशत कम 247.6 मिमी बारिश हुई है।

मौसम विज्ञान केन्द्र के देहरादून के निदेशक बिक्रम सिंह भी मानते हैं कि इस वर्ष अगस्त के महीने में अच्छी बारिश नहीं मिल पाई है। वे कहते हैं कि आमतौर पर पर्वतीय जिलों में अगस्त तक बारिश नॉर्मल के आसपास हो जाती है और मैदानी जिलों में कुछ कम दर्ज होती है। इस बार अब तक पर्वतीय जिला चम्पावत बारिश में सबसे पीछे है, जहां सामान्य से 69 प्रतिशत कम बारिश हुई है।

उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिलों में मैदानी जिलों की तुलना में कम बारिश हुई है। इन दोनों जिलों में अब तक सामान्य से 57 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। ओवरऑल देखें तो बागेश्वर जिले में अब तक सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। जून के महीने में 288 प्रतिशत ज्यादा बारिश वाले चमोली जिले में अगस्त 27 तक सामान्य से 6 प्रतिशत कम बारिश हुई है।