प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
जल

दिल्ली में तेजी से कचरे के ढेर में तब्दील हो रहे तालाब व जोहड़, डीपीसीसी रिपोर्ट में दी गई जानकारी

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट में पर्यावरण नियमों का स्पष्ट उल्लंघन सामने आया है। साथ ही इस रिपोर्ट में आर्य नगर गांव में एक जोहड़ और पास के पार्क में कचरे की डंपिंग का भी खुलासा हुआ है।

अदालत ने इस मामले में डीपीसीसी, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली वेटलैंड प्राधिकरण को प्रतिवादी बनाया है। उन्हें अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले हलफनामे के रूप में अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा। इस मामले में अगली सुनवाई  29 नवंबर, 2024 को होनी है।

इस मामले में एनजीटी के समक्ष दायर आवेदन में कहा गया है कि तालाब को कूड़े व अन्य अपशिष्ट से भर दिया गया है, जिसकी वजह से तालाब के रूप में इसकी पहचान खत्म हो रही है।

गौरतलब है कि सात नवंबर, 2023 को जारी अपने आदेश में ट्रिब्यूनल ने आवेदन का निपटारा करते हुए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के सदस्य सचिव को साइट का निरीक्षण करने, स्थिति की पुष्टि करने, यदि आवश्यक हो तो आवश्यक कार्रवाई करने को कहा था। साथ ही इस बारे में रजिस्ट्रार जनरल से एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया था। एनजीटी ने यह भी निर्देश दिया था कि यदि आवश्यक हो तो मामले को अदालत के समक्ष रखा जाना चाहिए।

डीपीसीसी ने 12 मार्च, 2024 को प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निरीक्षण के दौरान, तालाब में बोतलें और पॉलीथीन जैसे प्लास्टिक कचरे को तैरते देखा गया। ऐसा प्रतीत होता है कि इसके आसपास रहने वाले स्थानीय निवासी तालाब में अवैध रूप से कचरा डाल रहे हैं। तालाब के बगल में स्थित एक पार्क में गोबर और कचरा मौजूद था।

इस पार्क का प्रबंधन एमसीडी के हाथों में है। इतना ही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में उचित सीवर प्रणाली का अभाव है, और तालाब के बगल में एक खुला नाला सीधे सीवेज को तालाब में छोड़ रहा है। पार्क के प्रवेश द्वार पर भी कचरा जमा था, जो तालाब में जा सकता है।

बवाना और नरेला में हो रहा है प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक की बनी वस्तुओं का निर्माण

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बवाना और नरेला में कथित रूप से प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) की बनी चीजों का उत्पादन करने वाली इकाइयों के साथ-साथ दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम और दिल्ली नगर निगम को अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश 20 अगस्त, 2024 को दिया गया है।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने 27 मई, 2024 को इससे जुड़ी 36 इकाइयों को तत्काल बंद करने का आदेश दिया था। हालांकि, अदालत को जानकारी दी गई है कि ये इकाइयां बंद करने के आदेश का उल्लंघन कर अभी भी चल रही हैं।

इस मामले में आवेदक की ओर से पेश वकील ने सीपीसीबी के सदस्य सचिव द्वारा चार फरवरी, 2022 को जारी एक सर्कुलर का हवाला दिया है। इस सर्कुलर में सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी चीजों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। अदालत को जानकारी दी गई है कि यह इकाइयां प्रतिबंधित वस्तुओं का उत्पादन करके इन नियमों का उल्लंघन कर रही हैं।

एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स के अवशेषों की निगरानी के मामले में नवंबर में होगी अगली सुनवाई

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 16 अगस्त, 2024 को एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स के अवशेषों की निगरानी से जुड़े अपने दिशा-निर्देशों की एक प्रति एनजीटी को सौंप दी है।

वहीं पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपने जवाब में इन दिशा-निर्देशों को पूरी तरह से लागू करने के संबंध में निर्देश प्राप्त करने के लिए अदालत से चार सप्ताह का समय मांगा है।

20 अगस्त, 2024 को दिए अपने आदेश में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि इस मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर, 2024 को होगी।