प्रतीकात्मक तस्वीर: ऋचा शर्मा/ सीएसई 
जल

सीवेज से दूषित हो रहा पानी, समिति ने कसौली में की सीवेज उपचार संयंत्र की सिफारिश: रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक कसौली जल आपूर्ति योजना में कुशल कीटाणुशोधन सुविधा की भी आवश्यकता है

Susan Chacko, Lalit Maurya

जल शक्ति विभाग को लाराह जल आपूर्ति योजना में अपनी उपचार प्रणाली की समीक्षा करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्हें तृतीयक उपचार और कीटाणुशोधन प्रणाली जोड़ने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ग्राम पंचायत को वितरित किए जाने से पहले पानी का उचित तरीके से उपचार और कीटाणुशोधन किया गया है।

यह सिफारिशें संयुक्त समिति द्वारा की गई हैं। इस समिति में सोलन के उपायुक्त, हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) शामिल थे। मामला हिमाचल प्रदेश के कसौली का है। इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट 22 अक्टूबर, 2024 को एनजीटी की साइट पर अपलोड की गई है।

समिति ने कसौली में एक सामान्य सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) स्थापित करने की भी सिफारिश की है, ताकि जलापूर्ति योजना तक जाने वाले नालों में दूषित सीवेज को बहने से रोका जा सके। इस योजना के जरिए आसपास की ग्राम पंचायतों को पेयजल प्रदान किया जाता है।

संयुक्त समिति ने मोहन मीकिन लिमिटेड से होकर बहने वाले प्राकृतिक नाले का दौरा किया। यह नाला चाचर गांव के पास नीचे की ओर 'कसौली खड्ड' नामक एक अन्य धारा से मिलता है। इस इकाई के अपशिष्ट उपचार संयंत्र (ईटीपी) और दो धाराओं के संगम बिंदु के बीच की दूरी करीब 400 मीटर है। वहीं लाराह में जल आपूर्ति योजना (डब्ल्यूएसएस) इस जंक्शन से करीब साढ़े तीन किमी दूर स्थापित की गई है।

कौन है प्रदूषण के लिए जिम्मेवार

हालांकि चाचर गांव के बाद कसौली खड्ड से मिलने से पहले नाले से लिए गए नमूनों की जांच में फीकल और टोटल कोलीफॉर्म का उच्च स्तर पाया गया। इससे पता चलता है कि नाले में सीवेज या घरेलू अपशिष्ट जल मिल रहा है।

निरीक्षण से पता चला है कि कसौली खड्ड क्षेत्र में मौजूद घरों, होमस्टे और व्यवसयिक संस्थानों द्वारा अपशिष्ट जल को नाले में छोड़ा जा रहा है, जो बाद में जल शक्ति विभाग जलापूर्ति योजना से मिल जाता है।

हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीएसपीसीबी) के ड्रेन मैप के मुताबिक, जल शक्ति विभाग की जल आपूर्ति योजना से करीब दस नाले या सहायक नदियां जुड़ी हैं। इन नालों में साफ और दूषित दोनों तरह का पानी आता है। इसमें कसौली खड्ड क्षेत्र में घरों, व्यवसायों और पर्यटन इकाइयों से निकलने वाला सीवेज भी शामिल है। इस दूषित जल को साफ करने के लिए कसौली में कोई सामान्य सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) भी नहीं है।