थेन्नानगुडी गांव के अय्यनार कुलम तालाब के पुनरुद्धार के लिए खोदी गई मिट्टी का इस्तेमाल आवासीय परियोजनाओं में किया गया, जिससे गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को घर मिल सका फोटो: स्वाति भाटिया / सीएसई
जल

आवरण कथा: मात्र 90 दिन में बदल दी 178 तालाबों की तस्वीर

एक जिला कलेक्टर ने इस काम का बीड़ा उठाया। इसमें सरकारी एजेंसियों और सार्वजनिक कंपनियों के साथ ही आम लोगों ने भी सहयोग दिया

Sushmita Sengupta, Swati Bhatia, Pradeep Kumar Mishra, Vivek Kumar Sah, Mehak Puri

कराईकल जिले में एक छोटा सा गांव है थेन्नानगुडी। इसी गांव में अय्यनार मंदिर के नाम पर अय्यनार कुलम तालाब भी है, जो गाद भरने की वजह से खत्म हो चुका था। लोग बताते हैं कि 0.7 हेक्टेयर के इस तालाब के 90 प्रतिशत हिस्से में गाद भर चुकी थी और बाकी बचे हिस्से पर अवैध कब्जे हो गए थे।

2019 में में जिला कलेक्टर वहां नियमित दौरे पर गए, तब तालाब को फिर से जीवित करने की मांग उठी। स्थानीय लोगों को यह बात समझ आ गई थी कि ऐसे तालाबों की मदद से ही उनकी सिंचाई से जुड़ी परेशानी दूर हो सकती है। भूजल पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता की वजह से पानी का भूमिगत भंडार भी तेजी से खत्म हो रहा था।

लोगों की मांग पर तालाब का पता लगाने के लिए सर्वे किया गया, तब शुरू में उसका पता ही नहीं लग सका। बाद में अतिक्रमण हटाने के बाद नीर कार्यक्रम के तहत तालाब को पुनर्जीवित करने की कोशिश शुरू हुई। नीर कार्यक्रम जिला कलेक्टर कार्यालय की तरफ से शुरू की गई ऐसी अनूठी पहल थी, जिसमें सरकारी कंपनियों और एजेंसियों से फंडिंग और एक्सपर्ट्स की मदद मिली। अय्यनार कुलम तालाब के कायाकल्प पर 1.75 लाख रुपए खर्च हुए। यह धन सार्वजनिक क्षेत्र के एक केंद्रीय उपक्रम ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने अपने सीएसआर प्रोग्राम के तहत उपलब्ध कराया।

प्रमुख प्रभाव
जहां तालाबों को पुनर्जीवित किया गया है, उनमें से कुछ गांव तो ऐसे हैं, जहां किसान 15 साल बाद फिर से खेती करने लगे हैं

तालाब की खुदाई से निकली मिट्टी का इस्तेमाल भूमि अनुदान नियमों के तहत सरकारी स्थलों को भरने के लिए किया गया। इससे तिरुनलार पंचायत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को रहने के लिए मुफ्त में जमीन मुहैया कराई जा सकी। स्थानीय लोगों ने तालाब के चारों ओर से कब्जे हटाने, झाड़ियों और पौधों को साफ करने में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी दिखाई। 2 महीने के भीतर ही यह काम पूरा हो गया और गाद निकालने के बाद पहली बारिश में ही तालाब में लबालब भर गया। इस पानी का इस्तेमाल अब सिंचाई के लिए किया जाता है। तालाब के बीच में पेड़ों से भरा एक छोटा-सा द्वीप भी बनाया गया है। मनरेगा के तहत नियमित तौर पर इसकी देखरेख की जा रही है और लोग इसकी साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं।

समुदाय की भागीदारी से नीर कार्यक्रम के जरिए 90 दिन में 178 तालाबों को पुनर्जीवित कर दिखाया गया। इस कार्यक्रम को लागू करने और उससे जुड़ी कागजी कार्रवाई को पूरी करने की जिम्मेदारी कलेक्टर ऑफिस के अधिकारी सेल्वागणेश उठा रहे हैं। वह बताते हैं, “सरकारी कर्मचारियों और आम लोगों के बीच नीर कार्यक्रम को मिशन मोड पर चलाया गया जिससे इन कोशिशों को व्यवाहरिक तौर पर आसानी से पूरा किया जा सका। लोगों ने स्वेच्छा से तालाबों को अपनाना शुरू किया और अपने पैसे से उनका जीर्णोद्धार भी किया। नतीजतन, 2019 में कई जगहों पर जलस्तर 2.20 मीटर से 3.90 मीटर तक बढ़ गया। स्वयं सहायता समूह और आम लोगों की मदद से इन तालाबों की नियमित तौर पर देखभाल सुनिश्चित की जा रही है। इस प्रोग्राम की वजह से पूवम जैसे कुछ गांवों में तो किसान 15 साल लंबे अंतराल के बाद दोबारा खेती शुरू कर पाए हैं।”