जल

"जल संचय हो ध्येय हमारा, जल संचय ही नारा"

-: जल संरक्षण पर कविता :-

Jyoti Parsad

जल की कमी से जूझ रहा है 21 वीं सदी का जग सारा,

जल संचय हो ध्येय हमारा जल संचय ही नारा।

व्यर्थ बहाओगे आज तो कल बूंद-बूंद को तरसोगे,

बादल से करोगे पुकार की अब तुम फिर कब बरसोगे।

जरूरत अनुसार उपयोग करना ही लक्ष्य हो हमारा,

जल संचय हो ध्येय हमारा जल संचय ही नारा।।

स्वच्छता और जल का एक अनूठा रिश्ता है,

तभी बचेगा कल का जल अगर आज सच्ची निष्ठा है।

संयुक्त प्रयासों से क्यों ना हो स्वच्छ संसार हमारा,

अगर जल संचय हो ध्येय हमारा जल संचय ही नारा।।

कूड़ा ना फेंको इधर-उधर जाने या अनजाने से,

दूषित होता है नदियों का जल इसके संपर्क में आने से।

कूड़े का उचित निस्तारण ही एकमात्र सहारा,

जल संचय हो ध्येय हमारा जल संचय ही नारा।।

जल और स्वच्छता की अहम भूमिका कोरोना सी महामारी में,

हाथ धोने की अलख जगा दी देखो दुनिया सारी में।

भविष्य की मुश्किलें भी टलेगी जैसे कोरोना है हारा,

जल संचय हो ध्येय हमारा जल संचय ही नारा।।

अपशिष्ट जल का पुनरूपयोग ही शुद्ध जल की खपत को रोकेगा,

भूजल भी इतनी तेजी से कभी नहीं फिर सोखेगा।

भूजल का स्तर बढ़ाने का पूरा होगा लक्ष्य हमारा,

जल संचय हो ध्येय हमारा जल संचय ही नारा।।

मानसून में वर्षा जल को संरक्षित हमें अब करना है,

खाली पड़े तालाब कुँओं को वर्षा जल से भरना है।

जलाभाव की इस समस्या से पाना है छुटकारा,

जल संचय हो ध्येय हमारा जल संचय ही नारा।।

- ज्योतिप्रसाद