जमीन तक पानी पहुंचाने के बाद धुन टीम ने अगली साहसिक यात्रा शुरू की। टीम ने जमीन की पारिस्थितिकी को पुनर्जीवित करने, देशी पेड़ों का उपयोग कर एक जंगल में परिवर्तित करने, घास के मैदान की पारिस्थितिकी वापस लाने और अंत में जगह को रहने लायक बनाने का काम शुरू किया। इसके लिए एक बढ़िया डिजाइन का होना बेहद जरूरी था। टीम ने विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक मास्टरप्लान तैयार किया, जिसमें उन्होंने स्थलाकृति और मिट्टी के प्रकार का अध्ययन किया और इन स्थानों पर 108 प्रकार के स्वदेशी वृक्षों, घासों और झाड़ियों को लगाने का निर्णय लिया। अपनी नर्सरी में पौधों को पोषित करने के बाद, टीम ने उन्हें उस जमीन में लगाया, जहां अब पर्याप्त पानी था, ताकि ये पौधों अच्छे से बढ़ सकें। उन्होंने मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए सामुदायिक चारागाह जैसे तकनीकों का भी उपयोग किया। उनके कठिन श्रम और दूरगामी नजरिये का फल अब धरती पर दिख रहा है। धुन अब लगभग 70 प्रकार के देशी वृक्षों का घर है और यहां अब एक घास का मैदान भी है। यह परिवर्तन धुन की सीमाओं से बाहर नजदीकी गांवों तक फैल चुका है। आज, मानवेंद्र एक और सपना देख रहे हैं, जो कहीं ज्यादा महत्वाकांक्षी है। उनका सपना है इन स्थानों पर एक स्थायी बस्ती बनाने का। ऐसी बस्ती जो शहरों से दूर हो, और जो प्रकृति के करीब हो।