जल

संसद में आज: ग्रामीण भारत में 52 प्रतिशत घरों में हो रही हैं नल से जल की आपूर्ति

डीजल में बायोडीजल के मिश्रण का वर्तमान प्रतिशत 1 फीसदी से कम है

Madhumita Paul, Dayanidhi

पेयजल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता

दिनांक 02.08.2022 की स्थिति के अनुसार देश के 19.11 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से, लगभग 9.93 करोड़ (51.96 फीसदी) घरों में नल के पानी की आपूर्ति होने की जानकारी है। इसके अलावा दी गई जानकारी के मुताबिक देश भर के गांवों में लगभग 16.99 लाख ग्रामीण बस्तियों में से, 16.73 लाख (98.46 फीसदी) बस्तियों में उचित दूरी पर स्रोतों के साथ पीने योग्य पेयजल का प्रावधान है। हालांकि 0.26 लाख (1.54 फीसदी) ग्रामीण बस्तियों में पेयजल स्रोतों में पानी की गुणवत्ता से संबंधित समस्याओं की जानकारी है, इस बात की जानकारी आज जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने लोकसभा में दी।

बायोफ्यूल या जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति

बायोफ्यूल या जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति - 2018 के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की ओएमसी ने बायोडीजल की खरीद के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) जारी की, जिसके जवाब में ओएमसी ने कुल क्षमता वाले 42 बायोडीजल संयंत्रों के लिए पत्र (एलओआई) जारी किए हैं। जिनकी लगभग 34 करोड़ लीटर की वार्षिक बायोडीजल उत्पादन की क्षमता है। डीजल में बायोडीजल के मिश्रण का वर्तमान प्रतिशत 1 फीसदी से कम है। यह आज पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में बताया।

दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) के तहत गांवों का विद्युतीकरण

राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, 2011 की जनगणना के अनुसार सभी बसे हुए गैर-विद्युतीकृत गांवों को डीडीयूजीजेवाई के तहत देश भर में 28 अप्रैल, 2018 तक विद्युतीकृत किया गया था। इस योजना के तहत कुल 18,374 गांवों का विद्युतीकरण किया गया। इस बात की जानकारी आज बिजली और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने लोकसभा में दी। 

सौर सिंचाई पंपों की स्थापना

देश में 30.06.2022 तक कुल 3.85 लाख सौर पंपों को स्थापित करने की जानकारी मिली है, जिसमें प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान (पीएमकेयूएसयूएम) योजना के तहत स्थापित सौर पंप भी शामिल हैं, यह आज बिजली और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने लोकसभा में बताया।

कोयला आधारित विद्युत संयंत्र

कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों (टीपीपी) को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित उत्सर्जन मानदंडों और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करना आवश्यक है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 31.03.2021 द्वारा टीपीपी द्वारा उत्सर्जन मानदंडों के अनुपालन के लिए समय-सीमा निर्धारित की है। इन मानदंडों के अनुपालन की सीपीसीबी और राज्य एजेंसियों द्वारा नियमित रूप से निगरानी की जाती है, यह आज बिजली और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने लोकसभा में बताया।

कृष्णा नदी में प्रदूषण

जल गुणवत्ता की निगरानी के परिणामों के आधार पर समय-समय पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा नदियों का प्रदूषण मूल्यांकन किया जाता है। सितंबर 2018 में सीपीसीबी द्वारा प्रकाशित अंतिम रिपोर्ट के मुताबिक, जैविक प्रदूषण के एक संकेतक बायो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) के संदर्भ में निगरानी परिणामों के आधार पर 323 नदियों पर 351 प्रदूषित हिस्सों की पहचान की गई थी। इन 351 हिस्सों में से कृष्णा नदी पर 4 प्रदूषित नदी हिस्सों की पहचान की गई है। इस बात की जानकारी आज जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने लोकसभा में दी।

दिल्ली की लैंड पूलिंग पॉलिसी

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने जानकारी दी है कि वे लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत कोई मॉडल सेक्टर विकसित नहीं कर रहे हैं। 27.07.2022 तक, डीडीए वेब-पोर्टल पर लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत भागीदारी के लिए कुल 6,973 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसके माध्यम से लगभग 7,317 हेक्टेयर भूमि की पूलिंग की इच्छा जताई गई है। यह आज आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री कौशल किशोर ने लोकसभा में बताया।

खुले में शौच मुक्त गांव

ऑनलाइन एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) पर राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) [एसबीएम (जी)] के तहत 11 करोड़ से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालय और 2.13 लाख सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण किया गया है। 2 अक्टूबर, 2019 तक सभी गांवों ने खुद को शौच मुक्त घोषित कर दिया था। इसके अलावा, 1 अगस्त, 2022 तक 96,622 गांवों ने खुद को ओडीएफ प्लस घोषित किया है, इस बात की जानकारी आज जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने लोकसभा में दी।

गांव में वायु गुणवत्ता की निगरानी

पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में 24 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन और दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली में 02 निगरानी स्टेशन प्रयोग के आधार पर स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2021-22 में हिमाचल प्रदेश (5), केरल (2), मिजोरम (5), ओडिशा (2), त्रिपुरा (1), उत्तर प्रदेश (2) में ग्रामीण क्षेत्रों में 17 नए निगरानी स्टेशनों को मंजूरी दी गई है। इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में दी।

प्लास्टिक कचरे को उपयोगी उत्पादों में बदलना

वर्ष 2019-20 के लिए सीपीसीबी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 34.7 लाख टीपीए प्लास्टिक का कचरा उत्पन्न हुआ था, जिसमें से 15.8 लाख टीपीए का पुनर्नवीनीकरण किया गया था और 1.67 लाख सीमेंट भट्टों में सह-संसाधित किया गया था। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में अपशिष्ट तेल परियोजनाएं स्थापित की गई हैं। यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।

टाइगर रिजर्व में ई-सर्विलांस सिस्टम लगाए गए

ई-निगरानी प्रणाली कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (उत्तराखंड), काजीरंगा टाइगर रिजर्व (असम) और रातापानी वन्यजीव अभयारण्य, भोपाल (मध्य प्रदेश) में स्थापित किए गए है, जिसमें प्रोजेक्ट टाइगर (सीएसएस-पीटी) की चल रही केंद्र प्रायोजित योजना और अनुदान- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की सहायता के लिए जारी की गई है, यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।

चक्रवात चेतावनी केंद्र

सभी 9 तटीय राज्य अर्थात, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल तथा तट वाले केंद्र शासित प्रदेश अर्थात, दादरा और नगर हवेली, दमन, दीव, माहे, यनम और पुडुचेरी और द्वीप क्षेत्र लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में चक्रवात पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित की गई हैं। इस बात की जानकारी आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में दी।

तटीय रेखा का कटाव

नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च (एनसीसीआर), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) का एक संलग्न कार्यालय, रिमोट सेंसिंग डेटा और जीआईएस मैपिंग तकनीकों का उपयोग करके 1990 से तटरेखा क्षरण की निगरानी कर रहा है। 1990 से 2018 की अवधि के लिए मुख्य भूमि की 6907.18 किमी लंबी तटरेखा का पूरी तरह से विश्लेषण किया गया है। यह देखा गया है कि समुद्र तट का (33.6 फीसदी) पिछले 28 वर्षों से कटाव की अलग-अलग स्तर के तहत है, यह आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में बताया।