जल

इस शख्‍स ने चेक डैम बना कर बढ़ा दिया भूजल स्तर

Shahnawaz Alam

नीति आयोग द्वारा 2018 में घोषित सबसे पिछड़े जिले में शुमार हरियाणा के मेवात (नूंह) के चारों खंडों में भूजल की स्थिति सबसे खराब है। हरियाणा पब्लिक हेल्‍थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की रिपोर्ट बताती है, नूंह में पेयजल की स्थिति प्रदेश में सबसे खराब है। पेयजल के लिए लोगों को कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।

पेयजल की लगातार दिक्‍कत को देखते हुए जल संरक्षण को लेकर कदम उठाने की सख्‍त जरूरत थी, लेकिन कोई इसमें आगे नहीं आ रहा था। पानी की किल्‍लत को देखते हुए जल संरक्षण का बीड़ा उठाया नूंह जिले के फिरोजपुर खंड के गांव बघोला निवासी हाजी इब्राहिम ने। उन्‍होंने वह काम किया, जो काम केंद्र या राज्‍य सरकार को करना चाहिए। अरावली की तलहटी में बसे दो गांव घाटा-शमशाबाद में पानी की दिक्‍कत को देखते हुए यहां बांध (चेक डैम) बनवाने के बारे में सोचा। ताकि बारिश का पानी जमा होकर ग्राउंड वाटर को रिचार्ज कर सके।

पेशे से किसान इब्राहिम के पास पैसे नहीं थे, लेकिन इनके इरादे बुलंद थे। बकौल इब्राहिम, साल 2000 की बात है, उस साल बारिश ठीक हुई थी। लेकिन इसके बावजूद अरावली से सटे इन गांवों में पानी की बहुत किल्‍लत थी। इसके बाद उन्‍होंने जल संरक्षण को लेकर काम करने का मन बनाया, पहले तो समझ नहीं आया कि करें क्‍या.. उनके दिमाग में अरावली की पहाडि़यों से उतरने वाला पानी रोकने का ख्‍याल आया। वहीं से बांध (चेक डैम) बनाने के बारे में सोचा। इसके लिए दिल्‍ली स्थित गांधी संग्राहलय में कार्यरत अपने दोस्‍त महंत तिवारी से बात की और उसके बाद बांध के लिए माकूल जगह तलाशने के लिए अरावली की खाक छानना शुरू की। कई दिनों की मशक्‍कत के बाद एक घाटा-शमशाबाद गांव के बीच का एक जगह मिली। लेकिन, इब्राहिम का कोई बांध बनाने का इल्‍म नहीं था, तो इसके लिए दोस्‍त महंत तिवारी की मदद से तरुण भारत संघ से संपर्क किया। उन्‍होंने बांध की तकनीकी पहलू के बारे में समझा और उससे मदद ली।

इसके बाद इब्राहिम ने पहले खुद का पैसा जोड़ा और काम शुरू करवाया, लेकिन जल्‍द ही तंगी ने गिरफ्त में ले लिया। इसके बाद उन्‍होंने दोस्‍तों और कुछ ग्रामीणों से मदद ली और करीब दो लाख की लागत और चार महीने की मशक्‍कत के बाद अरावली की पानी बहने से रोकने के लिए तलहटी से 50 गज की ऊंचाई पर आधे किमी के क्षेत्रफल में बांध बनवाकर खड़ा कर दिया। हाजी इब्राहिम के विजन को देखते हुए पत्‍थर वाले बांध बनाने के‍ लिए पत्‍थर मुफ्त दिए तो गांव वालों ने श्रम दान किया।

हरियाणा कृषि विभाग के हाइड्रोलॉजी विंग की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 1974 से इस क्षेत्र में भूजल स्‍तर गिरना शुरू हुआ था और उसके बाद लगातार गिरावट आते गई। वर्ष 2000 तक इस क्षेत्र में भूजल स्‍तर 400 फीट से अधिक नीचे पहुंच गया था, लेकिन इस बांध के बनने के बाद भूजल स्‍तर में धीरे-धीरे और सुधार आया और अब करीब 150 फीट पर पानी उपलब्‍ध है। इस नतीजे को देखते हुए साल 2006 में वन विभाग ने अरावली से सटे दो गांवों में बांध बनाने का निर्णय लिया था, हालांकि कुछ बांध पर अभी भी काम पूरा नहीं हुआ है। सहगल फाउंडेशन के साथ काम कर चुके पर्यावरण एनालिस्‍ट चेतन अग्रवाल कहते है कि अरावली से सटे गांव की भूमि रेतीली है। लेकिन अधिक ढलान होने की वजह से पानी बर्बाद हो जाता था। व्‍यक्तिगत प्रयास के बाद वहां भूजल स्‍तर में सुधार हुआ है। जिससे वहां रहने वाले करीब चार हजार लोगों को फायदा पहुंच रहा है।