राजस्थान की राजधानी जयपुर के बाहरी इलाके में 500 एकड़ का ऐसा सूखा और धूल भरा जमीन का टुकड़ा कभी जहां मुश्किल से 30 पेड़ थे, लेकिन आज, उसी जमीन पर 120 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां, 70 प्रजातियों के देशी पेड़ और हजारों जानवर दिख जाते हैं।
फागी जिले की यह जमीन पर कभी पूरी तरह सरसब्ज थी, लेकिन एक विनाशकारी बाढ़ ने ऊपरी मिट्टी को बर्बाद कर दिया और जमीन को रेगिस्तान का हिस्सा बनने के लिए छोड़ दिया।
जमीन का भाग्य तब बदला, जब 2013 में जयपुर के एक होटल व्यवसायी मानवेंद्र सिंह शेखावत ने यह जमीन देखी। उन्होंने जमीन को टुकड़ों में बेचने के बजाय कुछ अलग करने की ठानी, ताकि यहां एक वैकल्पिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सके और अवैज्ञानिक और विनाशकारी प्रथाओं से बचाते हुए जमीन पर एक एक अनूठा व्यवसाय मॉडल खड़ा किया जाए।
लेकिन उनके इस ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए सबसे पहले यहां इस सूखी जमीन तक पानी लाना था। उन्होंने पारंपरिक जल संचयन प्रथाओं का उपयोग किया और आज इस जमीन पर 8 से अधिक जल निकाय हैं। यहां पहुंचे पानी ने पड़ोसी गांवों के जीवन और अर्थव्यवस्था को भी पूरी तरह से बदल दिया है। देखें पूरी कहानी...