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दुनिया भर में भूजल के भंडार और जैव विविधता के संरक्षण में है भारी कमी : अध्ययन

शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में भूजल के प्राकृतिक भंडार और जलग्रहण क्षेत्रों का मानचित्रण किया और पाया कि भूजल पर निर्भर पारिस्थितिक तंत्र वाले 85 फीसदी संरक्षित क्षेत्र पर्याप्त रूप से संरक्षित नहीं हैं

Dayanidhi

संरक्षित क्षेत्रों में जैव विविधता का संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बनाए रखने और लोगों की भलाई के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण की तरह है।

दुनिया भर में संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार करना और उन्हें जोड़ना पहला बड़ा उद्देश्य है। आमतौर पर भूजल प्रवाह के माध्यम से संरक्षित क्षेत्रों पर असर डालने के लिए आस-पास के इलाकों में मानव गतिविधियां जैसे भूमि उपयोग आदि के द्वारा इन्हें नियंत्रित किया जा रहा है।

अब एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने जैव विविधता की सुरक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के संरक्षण के लिए भूजल जलग्रहण क्षेत्रों के बारे में पता लगाया है। ताकि पता चल सके कि दुनिया भर में देशों ने अपनी सीमाओं से ऊपर प्रकृति के भंडार को कितना प्रभावित किया है।

यह अध्ययन जर्मनी के ड्रेसडेन स्थित ड्रेसडेन प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एंड्रियास हार्टमैन और उनके सहयोगियों द्वारा किया गया है।

अध्ययन से पता चलता है कि प्रकृति के भंडार, भूजल जलग्रहण वाले इलाकों की सुरक्षा काफी नहीं है, जिसके कारण पड़ोसी इलाकों में मानवीय गतिविधियों का पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।

शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में भूजल के प्राकृतिक भंडार और जलग्रहण क्षेत्रों का मानचित्रण किया और पाया कि भूजल पर निर्भर पारिस्थितिक तंत्र वाले 85 फीसदी संरक्षित क्षेत्र पर्याप्त रूप से संरक्षित नहीं हैं। नतीजतन, जलग्रहण क्षेत्र का हिस्सा संरक्षित क्षेत्र के बाहर स्थित है।

सभी संरक्षित क्षेत्रों में से आधे में भूजल जलग्रहण क्षेत्र है जिसकी स्थानीय सीमा संरक्षित क्षेत्र की सीमाओं के बाहर है उनकी संख्या 50 फीसदी या उससे अधिक है।

अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि संरक्षित क्षेत्रों के बाहर भूजल को प्रभावित करने वाली गतिविधियों के कारण संरक्षित क्षेत्रों के लिए भारी खतरे हैं।

अध्ययन भूजल स्रोत क्षेत्रों को शामिल करने और प्राकृतिक भंडार के लिए संरक्षण और प्रबंधन उपायों में पानी के बहने वाले रास्तों के महत्व पर जोर देता है।

भूजल जलग्रहण क्षेत्रों की पहचान उनके आसपास के संरक्षण क्षेत्रों के जुड़ाव और बाहरी प्रभावों के प्रति उनके लचीलेपन के बारे में चर्चा शुरू करने में मदद करता है। इसके साथ ही, ऐसे जलग्रहण क्षेत्रों का संरक्षण और प्रबंधन भूजल पर निर्भर पारिस्थितिकी तंत्र को बाहरी खतरों से बचाने में मदद करता है।

भूजल को लेकर कार्य करने वाले शोधकर्ता हार्टमैन कहते हैं कि, जैव विविधता की रक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को संरक्षित करने के लिए, रणनीतियों के विकास में इनके परिणाम बहुत मायने रखते हैं।

संरक्षित क्षेत्रों में कमियों की पहचान करना और उनका  संरक्षण और प्रबंधन उपायों को लागू करना भविष्य में होने वाले पर्यावरणीय बदलावों को बेहतर ढंग से कम कर सकता है और पारिस्थितिक तंत्र और जीवन की गुणवत्ता को बनाए रख सकता है। यह अध्ययन नेचर सस्टेनेबिलिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।