गंगा के किनारे किया जा रहा अंतिम संस्कार; प्रतीकात्मक तस्वीर: नवंबर 2009/आईस्टॉक  
जल

गंगा और उसकी सहायक नदियों में शवों के निपटान को रोकने के लिए उठाए गए हैं कदम: सीपीसीबी

सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अधिकारी शवों और मानव अवशेषों को गंगा या उसकी सहायक नदियों में प्रवाहित करने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं

Susan Chacko, Lalit Maurya

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 12 अगस्त, 2024 को कोर्ट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अधिकारी शवों और मानव अवशेषों को गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रवाहित करने से रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, ताकि उनका उचित निपटान किया जा सके। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट एनजीटी द्वारा 25 जुलाई, 2024 को दिए आदेश के बाद आई है।

इस मामले में सीपीसीबी ने दस जून, 2021 को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। इन दिशा-निर्देशों में गंगा और उसकी सहायक नदियों में शवों को प्रवाहित करने से रोकने के उपायों पर प्रकाश डाला गया है।

साथ ही नदी जल के उपयोग के सम्बन्ध में क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए इस बारे में भी जानकारी दी गई है। इनका मकसद लोगों के बीच इस बारे में जागरूकता को बढ़ाना है।

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने 14 मई, 2021 को "मृतकों की गरिमा बनाए रखने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक एडवाइजरी" जारी की थी।

एडवाइजरी में इस बात पर जोर दिया गया था कि स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकारों को कब्रिस्तानों और श्मशान घाटों का उचित रखरखाव सुनिश्चित करना चाहिए। उन्हें इनका रखरखाव सुनिश्चित करना चाहिए ताकि कब्रिस्तान, श्मशान और विद्युत शवदाह गृह प्रभावी रूप से काम करने योग्य स्थिति में बने रहें।

सीपीसीबी ने यह भी जानकारी दी है कि अगस्त 2010 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आपदाओं के बाद शवों के उचित प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। इन दिशा-निर्देशों में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अज्ञात या लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के दौरान समुदाय के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाना चाहिए और इन संस्कारों के दौरान स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान किया जाना चाहिए।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने दो दिशा-निर्देश जारी किए थे। यह दिशानिर्देश 15 मार्च, 2020 और 26 अप्रैल, 2020 को जारी किए गए थे। इन दिशानिर्देशों में कोविड-19 महामारी की वजह से या उसके दौरान जीवन खोने वाले मृतकों के शवों के उचित प्रबंधन से जुड़े हैं।

गौरतलब है कि इस मामले में दायर आवेदन में निम्नलिखित मुद्दों पर प्रतिवादियों और अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था:

  • कोविड-19 से प्रभावित मानव शवों के निपटान के लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करना।

  • शवों का नदियों में निपटान या नदी के किनारे दफनाने से रोकने के लिए स्थाई व्यवस्था करना।

  • शवदाह गृहों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के साथ शवों को सभ्य तरीके से दफनाने और उनका दाह संस्कार सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करना।

  • नदी के आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की पूरी तरह जांच करना। साथ ही जहां शवों को दफनाया या उनका निपटान किया जाता है, वहां उनका उचित तरीके से प्रबंधन करना।