अफ्रीका में जल संसाधनों का वितरण बेहद विषम है। यहां छह देशों के पास महाद्वीप का 54 फीसदी पानी है, जबकि गंभीर जल संकट से जूझ रहे 27 देशों के पास इसका महज सात फीसदी हिस्सा है; फोटो:यूनिसेफ 
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स्टेट ऑफ अफ्रीका एनवायरमेंट: अफ्रीका में क्यों है जल संकट?

सभी अफ्रीकी देशों पर जल संकट मंडरा रहा है। यह महाद्वीप दुनिया में पानी की गंभीर कमी से जूझ रही 22 फीसदी आबादी का घर है

DTE Staff

"जल सुरक्षा का मतलब सिर्फ यह नहीं कि किसी देश में कितना प्राकृतिक जल मौजूद है, बल्कि इसका मतलब यह भी है कि वे अपने जल संसाधनों का प्रबंधन और उपयोग कितनी अच्छी तरह से करते हैं।" यह बातें सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट और डाउन टू अर्थ ने अपनी नई रिपोर्ट "स्टेट ऑफ अफ्रीका एनवायरमेंट 2024" में कही हैं।

क्या आपने कभी सोचा है कि अफ्रीका के सबसे जल-समृद्ध देश, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में, एक व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत कैसे करता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि उसके दिन की शुरूआत पानी की तलाश से होती है।

अगर वो किस्मत का धनी है, तो उसे छह-सात किलोमीटर दूर पानी मिल जाता है। विडम्बना देखिए कि उसकी यह लंबी पैदल अपने परिवार के लिए महज दस से 15 लीटर पानी जुटाने के लिए होती है, जो उसके परिवार के छह से सात सदस्यों के जीवन का आधार है।

देखा जाए तो भारत की तरह ही अफ्रीका में यह जिम्मेवारी महिलाओं के कंधों पर है। कांगो में, महिलाएं अन्य घरेलू कार्यों के साथ-साथ पानी एकत्र करने की जिम्मेवारी भी निभाती हैं।

विश्व बैंक द्वारा 2014 में जारी एक अनुमान से पता चला है कि कांगों में प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाली एक लड़की अपना 15 फीसदी समय पानी लाने में बिताती है। वहीं माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाली लड़की अपना 16 फीसदी समय पानी को देती है। इसका मतलब यह है कि कांगो की एक औसत महिला अपने जीवन का करीब छठा हिस्सा पानी की खोज और घर तक पहुंचाने में बिताती है।

कांगो में पानी की कमी बेहद विरोधाभासी प्रतीत होता है, क्योंकि इसे अफ्रीका के 'जल-समृद्ध' देश के रूप में जाना जाता है। विश्व बैंक का भी कहना है कि अफ्रीका की सतह पर जितना भी जल है उसका 50 फीसदी कांगो में है। इसी तरह अफ्रीका में मौजूद जल संसाधनों का करीब एक चौथाई हिस्सा यहां मौजूद है।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और यूएनईपी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक नदियां 20,000 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैली हुई हैं, वहीं झीलें और नदियां 86,080 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करती हैं। इस तरह यह कांगो की साढ़े तीन फीसदी जमीन को कवर करती हैं। कांगो नदी, जो उपलब्ध जल के हिसाब से अफ्रीका की सबसे बड़ी नदी है, साल भर बहती है और देश के 98 फीसदी हिस्से को कवर करती है।

देखा जाए तो अफ्रीका 'कांगो सिंड्रोम' का सामना कर रहा है, मतलब यहां पानी तो बहुत है, लेकिन यह बहुत से लोगों की पहुंच से बाहर है। इस महाद्वीप में 17 नदियां, 160 से ज्यादा झीलें और बड़ी-बड़ी आर्द्रभूमियां हैं। मतलब की इनके साथ प्रचुर जल संसाधनों से संपन्न है।

पानी होने के बावजूद क्यों प्यासा है अफ्रीका

अफ्रीका की नील नदी दुनिया की सबसे लंबी नदी है और विक्टोरिया दूसरी सबसे बड़ी झील है। स्टेट ऑफ अफ्रीका एनवायरमेंट रिपोर्ट 2024 के मुताबिक अफ्रीका में भूमिगत जलभृतों में 6.6 लाख वर्ग किलोमीटर पानी मौजूद है। जो बांधों, नदियों में हर साल संग्रहित ताजे पाने से 100 गुणा अधिक है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के मुताबिक अफ्रीका में कुल नवीकरणीय जल संसाधन 3,930 वर्ग किमी के बराबर हैं। जो दुनिया में मौजूद कुल जल का करीब नौ फीसदी है। अफ्रीका की आद्रभूमियां महाद्वीप की कुल सतह का करीब एक फीसदी हिस्सा कवर करती है।

केन्या तकनीकी विश्वविद्यालय के जोआन न्याका द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, इस क्षेत्र में मौजूद भूजल नदियों और झीलों में पाए जाने वाले पानी से लगभग 100 गुना अधिक है। इन भूजल स्रोतों का अनुमानित क्षेत्रफल 660,000 वर्ग किमी है। इस अध्ययन के नतीजे स्प्रिंगर लिंक में प्रकाशित हुए हैं।

विश्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट, 'द हिडन वेल्थ ऑफ नेशंस', के मुताबिक उप-सहारा अफ्रीका में भूजल खाद्य सुरक्षा को बेहतर बनाने और गरीबी को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। यह वो क्षेत्र है जहां 25.5 करोड़ लोग गरीबी में जीवन गुजारने को मजबूर हैं। हालांकि स्थानीय उथले जलभृत, भूजल संसाधन के 60 फीसदी से अधिक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके बावजूद यहां बहुत कम भूमि पर सिंचाई की व्यवस्था है।

अफ्रीका में बहुत सीमित मात्रा मे जल का उपयोग किया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक यहां बारिश और नवीकरणीय जल का महज 3.8 फीसदी हिस्सा ही उपयोग किया जाता है। हालांकि उत्तरी अफ्रीकी देशों में यह आंकड़ा कहीं बड़ा है, जहां बारिश के 18.6 फीसदी और नवीकरणीय जल का करीब 152.6 फीसदी हिस्सा का उपयोग किया जा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलिया के बाद अफ्रीका दुनिया का दूसरा सबसे सूखा महाद्वीप है और यहां जल संकट एक बड़ी विकट समस्या है। नवंबर 2022 में प्रकाशित एक सर्वेक्षण के अनुसार, उप-सहारा अफ्रीका 2020 से 2021 के बीच सबसे अधिक जल-तनाव वाला क्षेत्र था। इस क्षेत्र में सर्वेक्षण में शामिल 36 फीसदी आबादी पानी की समस्या से त्रस्त थी।

उप-सहारा अफ्रीका के देशों कैमरून और इथियोपिया गंभीर जल संकट से जूझ रहे हैं। कैमरून में 63.9 फीसदी जबकि इथियोपिया में 45 फीसदी लोग पानी की कमी से जूझ रहे थे। वहीं दूसरी तरफ चीन जैसे एशियाई देशों में यह दर बेहद कम है। चीन में तो महज 3.6 फीसदी आबादी इस समस्या से त्रस्त है।

उप-सहारा अफ्रीका के 31 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 300 करोड़ लोगों पर किए सर्वेक्षण से पता चला है कि इनमें से 43.6 करोड़ लोग पानी की समस्या से जूझ रहे थे। इस अध्ययन के मुताबिक उप-सहारा अफ्रीका के 21 देशों में 2021 के दौरान यह समस्या कहीं ज्यादा गंभीर थी। इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी रिसर्च से जुड़ी मानवविज्ञानी सेरा यंग के नेतृत्व में किए इस अध्ययन में दुनिया भर में पसरी जल समस्या को पहली बार उजागर किया था।

शोधकर्ता यह भी पता लगा पाने में सक्षम थे किस समूह के लोगों को पानी की कमी का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ा था।

उन्होंने इंडिविजुअल वाटर इनसिक्योरिटी एक्सपीरियंस स्केल नामक एक उपकरण की मदद से यह मापा कि लोगों को पानी से जुड़ी समस्याएं किस तरह से हुईं, जैसे कि कितनी बार उन्हें पर्याप्त पानी न मिल पाने को लेकर चिंता हुई, वे अपने हाथ नहीं धो पाए या पानी की कमी के कारण उन्हें अपने खाने में बदलाव करना पड़ा। उन्होंने यह जानने के लिए कई लोगों से सवाल पूछे कि अलग-अलग लोगों के लिए ये समस्याएं कितनी गंभीर थीं।

रिसर्च से पता चला है कि कम आय और शहरों के बाहरी इलाकों में रहने वाले लोग पानी की कमी को लेकर कहीं ज्यादा संवेदनशील थे। उदाहरण के लिए, बुर्किना फासो के शहरों की तुलना में उसके बाहरी इलाकों में रहने वाले लोगों में जल संकट की समस्या अधिक गंभीर थी। सेनेगल, कांगो, गैबॉन और इथियोपिया के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए भी यही सच था।"

संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी "ग्लोबल वाटर सिक्योरिटी 2023 असेसमेंट" के मुताबिक सभी अफ्रीकी देश पानी को लेकर सुरक्षित नहीं है और जल संकट का सामना कर रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक गंभीर जल संकट का सामना कर रहे 114 देशों में से करीब आधे देश अफ्रीका के हैं। वहीं सबसे गंभीर जल संकट का सामना करने वाले पांच देशों में से तीन देश अफ्रीका में है। यह देश इरिट्रिया, सूडान और इथियोपिया हैं। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में पानी की गंभीर कमी से जूझ रही 22 फीसदी आबादी का घर अफ्रीका है। वहीं दुनिया के 78 फीसदी आबादी यानी 630 करोड़ लोग उन क्षेत्रों में रह रहे हैं जो किसी न किसी रूप में पानी की कमी से जूझ रहे हैं।

इसमें से 430 करोड़ लोग एशिया-प्रशांत क्षेत्र से सम्बन्ध रखते हैं, जबकि 140 करोड़ अफ्रीका में रह रहे है। वहीं अमेरिका के 41.5 करोड़, और यूरोप में साढ़े छह करोड़ लोग ऐसे क्षेत्रों में रह रहे हैं जहां पानी की कमी है। रिपोर्ट के मुताबिक 13 अफ्रीकी देशों में पानी की समस्या बेहद गंभीर है।

मूल्यांकन का मुख्य बिंदु यह है कि प्राकृतिक जल की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता ही जल सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करती है। अफ्रीका, एशिया-प्रशांत और अमेरिका के कई देशों में जहां ताजा पानी के प्रचुर संसाधन होने के बावजूद भी पानी की कमी से संबंधित मौतों की दर बहुत अधिक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पास स्वच्छ जल तक पहुंच सीमित है, पानी की गुणवत्ता खराब है और वे अपने जल संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर रहे हैं। भले ही इन क्षेत्रों को बाढ़ और सूखे से बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार अफ्रीका में पानी, साफ-सफाई और स्वच्छता सेवाओं की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। नतीजन इस क्षेत्र में जल सुरक्षा की स्थिति भी बेहद निराशाजनक है। 54 अफ्रीकी देशों में करीब 31फीसदी यानी 41.1 करोड़ से अधिक लोग पीने के साफ पानी से वंचित हैं, जोकि उनकी बुनियादी जरूरत है। वहीं महज 15 फीसदी (20.1 करोड़) लोगों को ही स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल मिल रहा है।

भले ही अफ्रीका में दुनिया का नौ फीसदी ताजा पानी मौजूद है, लेकिन इसके बावजूद यहां के कुल क्षेत्रफल का करीब 66 फीसदी हिस्सा शुष्क या अर्ध-शुष्क है। अफ्रीका में जल संसाधनों का वितरण बेहद विषम है।

यहां छह देशों के पास महाद्वीप का 54 फीसदी पानी है, जबकि गंभीर जल संकट से जूझ रहे 27 देशों के पास इसका महज सात फीसदी हिस्सा है। यह स्पष्ट करता है कि उप सहारा अफ्रीका में पानी की आकाल क्यों है, जहां आधी से अधिक आबादी साफ और सुरक्षित पानी के लिए संघर्ष कर रही है।

(यह लेख स्टेट ऑफ अफ्रीका एनवायरमेंट रिपोर्ट 2024 से लिया गया है। आप इस रिपोर्ट को यहां से निःशुल्क डाउनलोड कर सकते हैं)