जल

बिहार में गहरा रहा जलसंकट, क्या इस बार भी पड़ेगा सूखा

बिहार में सरकारी और निजी तालाबों की संख्या दो दशक पहले तक 2.5 लाख थी जो अब घट कर 98401 हो गई है।

DTE Staff

उमेश कुमार राय

बिहार में जल संकट को लेकर सीएम नीतीश कुमार आगामी 13 जुलाई को सूबे के सभी विधायकों के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक में वे सभी विधायकों से उनके क्षेत्र में जल संकट की समस्या को सुनेंगे और इसके समाधान पर विमर्श करेंगे।

एक जुलाई को नीतीश कुमार ने विधानसभा में कहा था कि बिहार में भयंकर सूखा पड़ने वाला है। उन्होंने कहा था, ‘चाहे मौसम विज्ञान कुछ भी कह ले, मुझे लग रहा है कि भयंकर सूखा पड़ने वाला है और इसके लिए जितना करना है, हम इसकी तैयारी कर रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा था, मौसम की जो स्थिति हो रही है, कल क्या होगा कोई नहीं जानता है। बहुत भयंकर स्थिति है। उन्होंने आगे कहा कि मिथिला क्षेत्र समेत पूरे बिहार में भूजल स्तर काफी नीचे जा रहा है, जो संकेत दे रहा है कि ये समस्या (जलसंकट) काफी गंभीर हो गई है।

गौरतलब है कि बिहार के अधिकांश हिस्सों में पेयजल की भयावह किल्लत है, जिसके चलते सरकार को टैंकरों की मदद से लोगों तक पहुंचाना पड़ रहा है। गया शहर में रोज करीब 30 टैंकर पानी की सप्लाई की जा रही है। इसी तरह अन्य इलाकों में भी सरकारी स्तर पर पानी की आपूर्ति करनी पड़ रही है।

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि सूबे के 4.50 लाख हैंडपंप सूख चुके हैं जबकि 8386 पंचायतों में 1876 पंचायतों में भूगर्भ जलस्तर काफी नीचे चला गया है। वहीं, मत्स्य निदेशालय के आंकड़े बता रहे हैं कि बिहार में सरकारी और निजी तालाबों की संख्या दो दशक पहले तक 2.5 लाख थी जो अब घट कर 98401 हो गई है।

वहीं, दूसरी तरफ बारिश का परिमाण भी बिहार में घट रहा है। बिहर औसतन 1200 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बारिश कम हो रही है। वर्ष 2014 में 848.06 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी वहीं, 2015 में महज 745 मिलीमीटर बारिश हुई थी। वर्ष 2016 में करीब 933 मिलीमीटर और वर्ष 2017 में करीब 1100 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी।

पिछले साल करीब 900 मिलीमीटर बारिश हुई थी, जो सामान्य से 25 प्रतिशत कम थी। नियमानुसार,  अगर बारिश सामान्य से 19 प्रतिशत कम बारिश हो तो सूखे की घोषणा की जाती है, इसलिए पिछले साल बिहार के 23 जिलों के 206 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। 

बिहार में मॉनसून के आने का समय 11 से 12 जून है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मॉनसून की दस्तक भी देरी से हो रही है। इस साल 21 जून को मॉनसून आया, लेकिन बारिश बहुत कम हुई। मॉनसून में देरी से धान की रोपनी भी प्रभावित हुई है। अभी तक धान का बिचरा भी नहीं डाला जा सका है।

13 जुलाई को नीतीश कुमार की अध्यक्षता में होनेवाली बैठक से विधायकों को बहुत उम्मीदें हैं। जलसंकट की समस्या को लंबे समय से विभिन्न फोरम में उठानेवाले मधुबनी के राजद विधायक समीर कुमार महासेठ कहते हैं, यह बहुत अच्छी बात है कि जलसंकट जैसे गंभीर मुद्दे पर पहली बार सभी विधायकों की बैठक हो रही है।

उन्होंने मधुबनी में गहराते जलसंकट पर चिंता जाहिर करते हुए डाउन टू अर्थ से कहा, ‘लोगों को पीने के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। जिन चांपाकलों से पानी आ रहा है, वहां लंबी कतारें लग रही हैं। कई बार लोग पानी के लिए झगड़ा भी कर लेते हैं। मैं जब एमलएलसी था तब भी इस मुद्दे को उठाया था। वर्ष 2016 में विधायक बना, तब से लगातार इस मुद्दे को उठा रहा हूं। लेकिन, दिक्कत ये है कि पानी के संकट पर बात करने पर कोई भी विभाग अपनी जिम्मेवारी समझता ही नहीं है। एक विभाग में जाइए, तो वो दूसरे विभाग पर जिम्मेवारी थोप देगा और उस विभाग के पास जाइए तो वे तीसरे विभाग में जाने को कहता है।’

उन्होंने जलसंकट को लेकर नोडल एजेंसी के गठन पर जोर देते हुए कहा कि विभागों का टालमटोल रवैया को खत्म करने के लिए नोडल एजेंसी बननी चाहिए, ताकि शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई हो। महासेठ ने सीएम के साथ बैठक में इस मुद्दे को उठाने की बात कही है।

वैशाली के जदयू विधायक राजकिशोर सिंह ने भी अपने क्षेत्र में पेयजल के संकट को स्वीकार किया। उन्होंने डाउन टू अर्थ से कहा, ‘हमारे क्षेत्र में भी पेयजल की स्थिति अच्छी नहीं है। एक-एक हैंडपम्प से कई लोगों को पानी लेना पड़ता है। कई इलाकों में पानी के टैंकर भेजे जा रहे हैं।'

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जलसंकट को लेकर बहुत गंभीर हैं और उम्मीद है कि इस बैठक से हल निकलेगा। नरकटिया के कांग्रेस विधायक विनय वर्मा भी 13 जुलाई की बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने डाउन टू अर्थ से कहा, ‘मुझे नहीं पता कि इस बैठक का कितना फायदा होगा, लेकिन जलसंकट एक गंभीर समस्या बन रही है, इससे इनकार नहीं किया सकता है। मेरे क्षेत्र में भूगर्भ जलस्तर काफी नीचे चला गया है। चांपाकल से पानी नहीं आ रहा है।’